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भजन-(6)शक्ति बाण प्रकरण

गुरुवार, 30 अप्रैल 2015

क्या लेके अवधपुर जाऊँगा, मैं तात को क्या बतलाऊँगा।
जब मातु पूछेगी लखन कहां,तब कैसे मैं समझाऊँगा।।
यदि लखन छोड़कर मुझे गया,तो महा प्रलय आयेगा,
कुल देव अनर्थ की स्थिति में,माथे कालिख पुत जायेगा,
है सूर्यवंश का महाशपथ, ना अवध में मुंह दिखलाऊंगा।
क्या लेके अवधपुर जाऊँगा,मैं तात को क्या बतलाऊँगा।।

उठो वीरवर राम पुकारें, सच तू तो बहुत बलशाली है
तुम बिन राम जियेगा कैसे, तुम बिन जीवन खाली है,
जो तुम ना उठे तो शपथ है ये,अग्नि समाधि सजाऊंगा।
क्या लेके अवधपुर जाऊँगा, मैं तात को क्या बतलाऊँगा।
न आये अभी बूटी लेकर,अब भोर भी होने वाली है,
कुल देव करें रक्षा मेरी,अब मेरी ये झोली खाली है,
यदि लखन मुझे मिल जायेगा, तुम पर सर्वस्व लुटाऊँगा।
क्या लेके अवधपुर जाऊँगा, मैं तात को क्या बतलाऊँगा।
00000

   
राजेश्वर मधुकर
शैक्षिक दूरदर्शन लखनऊ में प्रवक्ता उत्पादन के पद पर कार्यरत श्री राजेश्वर मधुकर बहुमुखी प्रतिभा के धनी हैं।मधुकर के व्यक्तित्व में कवि,लेखक,उपन्यासकार और एक अच्छे फ़िल्मकार का अनोखा संगम है।सांझ की परछांई(बौद्ध दर्शन पर आधारित  उपन्यास),आरोह स्वर(कविता संग्रह),घड़ियाल(नाटक), छूटि गइल अंचरा के दाग(भोजपुरी नाटक) आदि  इनकी  प्रमुख कृतियां हैं। इनके अतिरिक्त मधुकर जी ने अब तक लगभग एक दर्जन से अधिक टी वी सीरियलों का लेखन एवं निर्देशन तथा सांवरी नाम की भोजपुरी फ़ीचर फ़िल्म का  लेखन,निर्देशन एवं निर्माण भी किया है।आपके हिन्दी एवं भोजपुरी गीतों के लगभग 50 कैसेट तथा कई वीडियो एलबम भी बन चुके हैं। 
 मो0 9415548872    

    

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भजन(5)--अशोक वाटिका प्रसंग

सोमवार, 27 अप्रैल 2015

डूब गयी अखियां असुअन में, नींद नही तो सपन न आये।
राम बिना सिय कैसे जिये, जिय जाये नहीं हिय चैन ना आये।।.......

राम बिमुख सिय जीवन कैसे, होई कबहू नहिं पूरा,
कोई घट ज्यों बिन जल सूना, रोवत फिरत अधूरा,
पसरा शोक अशोक तले तजू देह, सदा यहि मन में आये।
डूब गयी अखियां अंसुअन में, नींद नही तो सपन न आये।।..........

सातो वचन का भूल गये, सिय की याद अबहूं नहिं आई
बेगिहिं आई हरो दुख मेरो, हे दीन बन्धु दया रघुराई,
संकट सबहिं मिटै वहि पल, जेहिं छन नयना दरसन को पाये।
राम बिना सिय कैसे जिये, जिय जाये नहीं हिय चैन ना आये।।.......

हे रघुकुल रघुनाथ प्रान प्रिय, विनती सुनौ अब बेगिहि आओ,
राक्षस दल करि दलन दशानन हति, निज सिय को लेई जाओ,
तरस गयी अंखियां देखन छबि, वो रुप दीखै जो मन को भाये।
राम बिना सिय कैसे जिये, जिय जाये नहीं हिय चैन ना आये।।.......
000
राजेश्वर मधुकर
       शैक्षिक दूरदर्शन लखनऊ में प्रवक्ता उत्पादन के पद पर कार्यरत श्री राजेश्वर मधुकर बहुमुखी प्रतिभा के धनी हैं।मधुकर के व्यक्तित्व में कवि,लेखक,उपन्यासकार और एक अच्छे फ़िल्मकार का अनोखा संगम है।सांझ की परछांई(बौद्ध दर्शन पर आधारित  उपन्यास),आरोह स्वर(कविता संग्रह),घड़ियाल(नाटक), छूटि गइल अंचरा के दाग(भोजपुरी नाटक) आदि  इनकी  प्रमुख कृतियां हैं। इनके अतिरिक्त मधुकर जी ने अब तक लगभग एक दर्जन से अधिक टी वी सीरियलों का लेखन एवं निर्देशन तथा सांवरी नाम की भोजपुरी फ़ीचर फ़िल्म का  लेखन,निर्देशन एवं निर्माण भी किया है।आपके हिन्दी एवं भोजपुरी गीतों के लगभग 50 कैसेट तथा कई वीडियो एलबम भी बन चुके हैं। 

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भजन(4)सबरी प्रसंग...........

रविवार, 26 अप्रैल 2015


धन्य धन्य प्रभु दरसन दीन्हो, निज सेवक के भाग्य जगायो।
हे करुणानिधि आसन बइठो, धो लूं चरन मोरी कुटिया आयो।।

अचरज भरी दृष्टि से हे प्रभु अइसे ठाढ़े नाहीं निहारो,
बाट जोहत मोरे नयना थकि गये अब तो नाथ उबारो,
चुनि चुनि बेर सहेज रखी मैं जान पड़ी प्रभु भागि के आयो।
धन्य धन्य प्रभु दरसन दीन्हो, निज सेवक के भाग्य जगायो।।

नाहिं प्रभु तनि धीर धरो ई सबरी बेर अइसे ना दीहै,
बेर कहीं खटटी होई तो सकल जतन पानी फिर जइहै,
मैं चख लूं मीठी जब निकले बस वो ही बेर नाथ तुम खायो।
धन्य धन्य प्रभु दरसन दीन्हो, निज सेवक के भाग्य जगायो।।

लो चख लो यह बेर महाप्रभु अइसी बेर ना कबहूं पइहो,
तू मालिक प्रभु मैं वनबासी चाहे कितनो जुगत लगइहो,
सच दूजै हाथ ई बेर ना मिलिहैं, भक्ति भाव एहि बेर समाया।
धन्य धन्य प्रभु दरसन दीन्हो, निज सेवक के भाग्य जगायो।।
               000

राजेश्वर मधुकर
शैक्षिक दूरदर्शन लखनऊ में प्रवक्ता उत्पादन के पद पर कार्यरत श्री राजेश्वर मधुकर बहुमुखी प्रतिभा के धनी हैं।मधुकर के व्यक्तित्व में कवि,लेखक,उपन्यासकार और एक अच्छे फ़िल्मकार का अनोखा संगम है।सांझ की परछांई(बौद्ध दर्शन पर आधारित  उपन्यास),आरोह स्वर(कविता संग्रह),घड़ियाल(नाटक), छूटि गइल अंचरा के दाग(भोजपुरी नाटक) आदि  इनकी  प्रमुख कृतियां हैं। इनके अतिरिक्त मधुकर जी ने अब तक लगभग एक दर्जन से अधिक टी वी सीरियलों का लेखन एवं निर्देशन तथा सांवरी नाम की भोजपुरी फ़ीचर फ़िल्म का  लेखन,निर्देशन एवं निर्माण भी किया है।आपके हिन्दी एवं भोजपुरी गीतों के लगभग 50 कैसेट तथा कई वीडियो एलबम भी बन चुके हैं। 

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भजन(3)वनवास या़त्रा प्रकरण

सोमवार, 20 अप्रैल 2015

देखे दो तपसी और एक नारी, दो सुकुमार एक सुकुमारी।
गौर वर्ण छबि नैन बसि गयी, निरखत ना हटी दृष्टि हमारी।।
माथे तिलक केश अति सुन्दर, नर नाहीं नरायण लागे,
कौन देश जो इनको त्यागे, कौन देश के लोग अभागे,
बिधना का तुम सोई गये जो डारि दियो अस बिपदा भारी।
देखे दो तपसी और एक नारी, दो सुकुमार एक सुकुमारी।।
कोमल बदन कमल मुख धूमिल,पांव छिले दुख नाहिं सहाये,
संग सुकुमारी सहत दुख सारे, देखत अइस नैन भरि आये,
मातु पिता गुरु कौन अधर्मी चांद सुरुज को दीन्ह निकारी।
देखे दो तपसी और एक नारी, दो सुकुमार एक सुकुमारी।।
वन का जीवन बन वनवासी, कइसे सगरी उम्र बितइहै,
भूमि शयन आ कन्द मूल खा, कइसे सगरी उम्र बितइहै
देखि दशा पाथर भी पिघले, हम मानव का जोर हमारी।
देखे दो तपसी और एक नारी, दो सुकुमार एक सुकुमारी।।
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राजेश्वर मधुकर
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भजनः (2)निषाद प्रकरण

गुरुवार, 16 अप्रैल 2015



यह राज पाट सब ले लो प्रभु, बन राजा राज करो।
हे रघुनन्दन ये बिनती है, तुम अब स्वीकार करो।।
मत जाओ वन बन सन्यासी, अब सहन नहीं होता है।
यह रुप देखकर हे प्रभुवर यह मेरा अन्तर्मन रोता ह॥
सेवक को सेवा का अवसर, हे नाथ प्रदान करो।
हे रघुनन्दन ये बिनती है, तुम अब स्वीकार करो।।
निज चरणों का आश्रय देकर, यह जीवन धन्य करें प्रभुवर।
तन मन धन सब तुम पर अर्पण, उपकार करें प्रभु हम पर॥
बन सेवक  सदा करूं सेवा, प्रभु ये उपकार करो।
हे रघुनन्दन ये बिनती है, तुम अब स्वीकार करो।।
                  000

राजेश्वर मधुकर
शैक्षिक दूरदर्शन लखनऊ में प्रवक्ता उत्पादन के पद पर कार्यरत श्री राजेश्वर मधुकर बहुमुखी प्रतिभा के धनी हैं।मधुकर के व्यक्तित्व में कवि,लेखक,उपन्यासकार और एक अच्छे फ़िल्मकार का अनोखा संगम है।सांझ की परछांई(बौद्ध दर्शन पर आधारित  उपन्यास),आरोह स्वर(कविता संग्रह),घड़ियाल(नाटक), छूटि गइल अंचरा के दाग(भोजपुरी नाटक) आदि  इनकी  प्रमुख कृतियां हैं। इनके अतिरिक्त मधुकर जी ने अब तक लगभग एक दर्जन से अधिक टी वी सीरियलों का लेखन एवं निर्देशन तथा सांवरी नाम की भोजपुरी फ़ीचर फ़िल्म का  लेखन,निर्देशन एवं निर्माण भी किया है।आपके हिन्दी एवं भोजपुरी गीतों के लगभग 50 कैसेट तथा कई वीडियो एलबम भी बन चुके हैं। 
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भजन—(1) दशरथ प्रकरण

सोमवार, 13 अप्रैल 2015

आज से आप यहां आनन्द ले सकते हैं भजनों की एक नयी शृंखला का जिसमें मेरे अभिन्न मित्र श्री राजेश्वर मधुकर जी ने राम कथा के कुछ चुनिंदा प्रसंगों को भजनों के रूप में शब्दबद्ध किया है।इसी कड़ी का पहला भजन। 
दशरथ प्रकरण

तज दूंगा प्राण राम तुझ बिन, बन वनवासी मत वन जाओ।
हे अवधपुरी कुलदीप सुनो, बन वनवासी मत वन जाओ।

चाहे मर्यादा खण्डित हो यह रघुकुल जग में परिहास बने,
दोनो ही जग में हो निन्दा इस अवध का जो इतिहास बने,
अन्यायपूर्ण इस निर्णय का प्रतिकार करो मत वन जाओ।
तज दूंगा प्राण राम तुझ बिन, बन वनवासी मत वन जाओ।

कैकेयी को जो वचन दिया यह सुन तुम बन जा विद्रोही,
इस अवध का हित बस इसमें है जो कहता हूं तू कर वो ही,
कर युद्ध छीन लो अवधराज और तुम राजा बन जाओ।
तज दूंगा प्राण राम तुझ बिन, बन वनवासी मत वन जाओ।

हे राम तेरे बिन ये जीवन  मणि खोकर सर्प क्या जीता है,
बिन जल के घट का मोल नही उस घट का जीवन रीता है,
प्रतिकार करो मेरे वचनों का हे राम इसी पल झुठलाओ।
तज दूंगा प्राण राम तुझ बिन, बन वनवासी मत वन जाओ।
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राजेश्वर मधुकर
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निवेदिता मिश्र झा की कविताएं।

शुक्रवार, 10 अप्रैल 2015


वृक्ष
तुम
पहचानते हो
बेला,जूही,कचनार
या सखुए की डाली
देवदार,चीड़ तो दूर की बात…।
चलो नेट में ढूंढते हैं
गूगल सही बताता है बात।
ये है तुम्हारा या मेरा हाल
निहारते हम दूर आकाश
तरसती दरार पड़ी धरती
रिसता रहा मन…।
कहीं हरा सा,सूखा कहीं
कारण तुम और मैं
स्वयं को तराशने में लगे
काटो वृक्ष
गर्मी में ढूंढते ठंढ
पूरा विश्व…।
जूझता सा हर ओर,मन विह्वल
कहां से आए वो नजराना
तुमने सुना सिसकियों की आवाज़?
रोते जानवर,कराहता पेड़
महलों से निकल सड़क पर आओ
वृक्ष बचाओ।
000
भाई
ये नहीं है मात्र धागा
रक्षा सूत्र
द्रौपदी कृष्ण
हुमायूँ कर्णवती के उदाहरण को
करता ही तो है सार्थकता प्रदान
आज नहीं देना २१ या ५०१ नेग
देना सरहद पर खड़े प्रहरियों की तरह
हिमालय की तरह
थोड़ी सी महँगी है
बात,,,,
शहर में खिलखिलाती
वो मासूम बेटियाँ
प्यारी सी हैं
कोई दुर्घटना
नहीं नहीं---नहीं
वो भी बहन है
और बाँधा होगा उसने भी
किसी कलाई पर मेरी तरह
राखी
पवित्रता क़ायम रहे
आश्वासन या नेग
जो भी समझो या निवेदन।
000

प्रेम
इकतरफ़ा प्रेम
निरन्तर मन की गतिशीलता
समय,उम्र ,तप,मर्यादा से अनजान
मात्र अपनी ही मनमानी है
अनायास
मृत्यु को बुलाना,
उड़ान भरने में नैतिकता को परे हटाना
चूप्पी की घोर अन्तरंग अव्यवस्था
छोड़ो इन बातों को
प्रेम तो प्रेम है
माथे पर की लकीर या....
हाथ पर की वो आड़ी तिरछी
दोष किसको
प्रेम एक बार ही होता है
क़िस्मत वाले को ही मिल पाता है
अपना ......
वैसे शहर में शायद कई बार होता है
कितने को
मगर इकतरफ़ा नहीं होता---।
000

वो चर्च
मेरी भीड़ वाली उस गली के बाद था
वो चर्च
अकेला मानों भीड़ से नाराज़गी
दीवारों पर सान्तवना के शब्द
मगर मौन
रविवार के बाद का दिन मेरा
कई मुरादें ,प्रार्थना से व्यस्त
मगर दूसरे दिन वही सीढ़ियाँ
और मेरे छूटते बचपन की दूर जाने की जिद्द !
मेरे एकतरफे प्रेम का मात्र वही गवाह
पत्थर बोलते हैं
हँसाते हैं
आज जाना चाहती हूँ
मेरे छुपाए बातों की अवधि ख़त्म है
शायद
पादरी बदलें होगें
मगर स्वप्न में पुराने दोस्त नें बताया
जीर्णोद्धार होने को है
मिल आऊँ
क्योंकि अब
उम्र ने फिर बढ़ने की जिद्द की है
ले आँऊ वो पोटली,
जो उसके पास है !
000000
कवियत्री---
निवेदिता मिश्र झा
सम्प्रति दिल्ली में निवास।पत्रकार व काउन्सलर।तीन पुस्तक प्रकाशित,चार साझा संग्रह।नीरा मेरी माँ है ,मैं नदी हूँ, देवदार के आँसू
मोबाइल--9811783898







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लेबल

. ‘देख लूं तो चलूं’ "आदिज्ञान" का जुलाई-सितम्बर “देश भीतर देश”--के बहाने नार्थ ईस्ट की पड़ताल “बखेड़ापुर” के बहाने “बालवाणी” का बाल नाटक विशेषांक। “मेरे आंगन में आओ” ११मर्च २०१९ ११मार्च 1mai 2011 2019 अंक 48 घण्टों का सफ़र----- अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस अण्डमान का लड़का अनुरोध अनुवाद अभिनव पाण्डेय अभिभावक अम्मा अरुणpriya अर्पणा पाण्डेय। अशोक वाटिका प्रसंग अस्तित्व आज के संदर्भ में कल आतंक। आतंकवाद आत्मकथा आनन्द नगर” आने वाली किताब आबिद सुरती आभासी दुनिया आश्वासन इंतजार इण्टरनेट ईमान उत्तराधिकारी उनकी दुनिया उन्मेष उपन्यास उपन्यास। उम्मीद के रंग उलझन ऊँचाई ॠतु गुप्ता। एक टिपण्णी एक ठहरा दिन एक तमाशा ऐसा भी एक बच्चे की चिट्ठी सभी प्रत्याशियों के नाम एक भूख -- तीन प्रतिक्रियायें एक महत्वपूर्ण समीक्षा एक महान व्यक्तित्व। एक संवाद अपनी अम्मा से एल0ए0शेरमन एहसास ओ मां ओडिया कविता ओड़िया कविता औरत औरत की बोली कंचन पाठक। कटघरे के भीतर कटघरे के भीतर्। कठपुतलियाँ कथा साहित्य कथावाचन कर्मभूमि कला समीक्षा कविता कविता। कविताएँ कवितायेँ कहां खो गया बचपन कहां पर बिखरे सपने--।बाल श्रमिक कहानी कहानी कहना कहानी कहना भाग -५ कहानी सुनाना कहानी। काफिला नाट्य संस्थान काल चक्र काव्य काव्य संग्रह किताबें किताबों में चित्रांकन किशोर किशोर शिक्षक किश्प्र किस्सागोई कीमत कुछ अलग करने की चाहत कुछ लघु कविताएं कुपोषण कैंसर-दर-कैंसर कैमरे. कैसे कैसे बढ़ता बच्चा कौशल पाण्डेय कौशल पाण्डेय. कौशल पाण्डेय। क्षणिकाएं क्षणिकाएँ खतरा खेत आज उदास है खोजें और जानें गजल ग़ज़ल गर्मी गाँव गीत गीतांजलि गिरवाल गीतांजलि गिरवाल की कविताएं गीताश्री गुलमोहर गौरैया गौरैया दिवस घर में बनाएं माहौल कुछ पढ़ने और पढ़ाने का घोसले की ओर चिक्कामुनियप्पा चिडिया चिड़िया चित्रकार चुनाव चुनाव और बच्चे। चौपाल छिपकली छोटे बच्चे ---जिम्मेदारियां बड़ी बड़ी जज्बा जज्बा। जन्मदिन जन्मदिवस जयश्री राय। जयश्री रॉय। जागो लड़कियों जाडा जात। जाने क्यों ? जेठ की दुपहरी टिक्कू का फैसला टोपी ठहराव ठेंगे से डा० शिवभूषण त्रिपाठी डा0 हेमन्त कुमार डा०दिविक रमेश डा0दिविक रमेश। डा0रघुवंश डा०रूप चन्द्र शास्त्री डा0सुरेन्द्र विक्रम के बहाने डा0हेमन्त कुमार डा0हेमन्त कुमार। डा0हेमन्त कुमार्। डॉ.ममता धवन डोमनिक लापियर तकनीकी विकास और बच्चे। तपस्या तलाश एक द्रोण की तितलियां तीसरी ताली तुम आए तो थियेटर दरख्त दरवाजा दशरथ प्रकरण दस्तक दिशा ग्रोवर दुनिया का मेला दुनियादार दूरदर्शी देश दोहे द्वीप लहरी नई किताब नदी किनारे नया अंक नया तमाशा नयी कहानी नववर्ष नवोदित रचनाकार। नागफ़नियों के बीच नारी अधिकार नारी विमर्श निकट नियति निवेदिता मिश्र झा निषाद प्रकरण। नेता जी नेता जी के नाम एक बच्चे का पत्र(भाग-2) नेहा शेफाली नेहा शेफ़ाली। पढ़ना पतवार पत्रकारिता-प्रदीप प्रताप पत्रिका पत्रिका समीक्षा परम्परा परिवार पर्यावरण पहली बारिश में पहले कभी पहले खुद करें–फ़िर कहें बच्चों से पहाड़ पाठ्यक्रम में रंगमंच पार रूप के पिघला हुआ विद्रोह पिता पिता हो गये मां पिताजी. पितृ दिवस पुण्य तिथि पुण्यतिथि पुनर्पाठ पुरस्कार पुस्तक चर्चा पुस्तक समीक्षा पुस्तक समीक्षा। पुस्तकसमीक्षा पूनम श्रीवास्तव पेड़ पेड़ बनाम आदमी पेड़ों में आकृतियां पेण्टिंग प्यारा कुनबा प्यारी टिप्पणियां प्यारी लड़की प्यारे कुनबे की प्यारी कहानी प्रकृति प्रताप सहगल प्रतिनिधि बाल कविता -संचयन प्रथामिका शिक्षा प्रदीप सौरभ प्रदीप सौरभ। प्राथमिक शिक्षा प्राथमिक शिक्षा। प्रेम स्वरूप श्रीवास्तव प्रेम स्वरूप श्रीवास्तव। प्रेमस्वरूप श्रीवास्तव प्रेमस्वरूप श्रीवास्तव. प्रेमस्वरूप श्रीवास्तव। प्रेरक कहानी फ़ादर्स डे।बदलते चेहरे के समय आज का पिता। फिल्म फिल्म ‘दंगल’ के गीत : भाव और अनुभूति फ़ेसबुक बंधु कुशावर्ती बखेड़ापुर बचपन बचपन के दिन बच्चे बच्चे और कला बच्चे का नाम बच्चे का स्वास्थ्य। बच्चे पढ़ें-मम्मी पापा को भी पढ़ाएं बच्चे। बच्चों का विकास और बड़ों की जिम्मेदारियां बच्चों का आहार बच्चों का विकास बच्चों को गुदगुदाने वाले नाटक बदलाव बया बहनें बाघू के किस्से बाजू वाले प्लाट पर बादल बारिश बारिश का मतलब बारिश। बाल अधिकार बाल अपराधी बाल दिवस बाल नाटक बाल पत्रिका बाल मजदूरी बाल मन बाल रंगमंच बाल विकास बाल साहित्य बाल साहित्य प्रेमियों के लिये बेहतरीन पुस्तक बाल साहित्य समीक्षा। बाल साहित्यकार बालवाटिका बालवाणी बालश्रम बालिका दिवस बालिका दिवस-24 सितम्बर। बीसवीं सदी का जीता-जागता मेघदूत बूढ़ी नानी बेंगाली गर्ल्स डोण्ट बेटियां बैग में क्या है ब्लाइंड स्ट्रीट ब्लाग चर्चा भजन भजन-(7) भजन-(8) भजन(4) भजन(5) भजनः (2) भद्र पुरुष भयाक्रांत भारतीय रेल मंथन मजदूर दिवस्। मदर्स डे मनीषियों से संवाद--एक अनवरत सिलसिला कौशल पाण्डेय मनोविज्ञान महुअरिया की गंध मां माँ मां का दूध मां का दूध अमृत समान माझी माझी गीत मातृ दिवस मानस मानस रंजन महापात्र की कविताएँ मानस रंजन महापात्र की कवितायेँ मानसी। मानोशी मासूम पेंडुकी मासूम लड़की मुंशी जी मुद्दा मुन्नी मोबाइल मूल्यांकन मेरा नाम है मेराज आलम मेरी अम्मा। मेरी कविता मेरी रचनाएँ मेरे मन में मोइन और राक्षस मोनिका अग्रवाल मौत के चंगुल में मौत। मौसम यात्रा यादें झीनी झीनी रे युवा रंगबाजी करते राजीव जी रस्म मे दफन इंसानियत राजीव मिश्र राजेश्वर मधुकर राजेश्वर मधुकर। राधू मिश्र रामकली रामकिशोर रिपोर्ट रिमझिम पड़ी फ़ुहार रूचि लगन लघुकथा लघुकथा। लड़कियां लड़कियां। लड़की लालटेन चौका। लिट्रेसी हाउस लू लू की सनक लेख लेख। लेखसमय की आवश्यकता लोक चेतना और टूटते सपनों की कवितायें लोक संस्कृति लोकार्पण लौटना वनभोज वनवास या़त्रा प्रकरण वरदान वर्कशाप वर्ष २००९ वह दालमोट की चोरी और बेंत की पिटाई वह सांवली लड़की वाल्मीकि आश्रम प्रकरण विकास विचार विमर्श। विश्व पुतुल दिवस विश्व फोटोग्राफी दिवस विश्व फोटोग्राफी दिवस. विश्व रंगमंच दिवस व्यंग्य व्यक्तित्व व्यन्ग्य शक्ति बाण प्रकरण शब्दों की शरारत शाम शायद चाँद से मिली है शिक्षक शिक्षक दिवस शिक्षक। शिक्षा शिक्षालय शैलजा पाठक। शैलेन्द्र श्र प्रेमस्वरूप श्रीवास्तव स्मृति साहित्य प्रतियोगिता श्रीमती सरोजनी देवी संजा पर्व–मालवा संस्कृति का अनोखा त्योहार संदेश संध्या आर्या। संवाद जारी है संसद संस्मरण संस्मरण। सड़क दुर्घटनाएं सन्ध्या आर्य सन्नाटा सपने दर सपने सफ़लता का रहस्य सबरी प्रसंग सभ्यता समय समर कैम्प समाज समीक्षा। समीर लाल। सर्दियाँ सांता क्लाज़ साक्षरता निकेतन साधना। सामायिक सारी रात साहित्य अमृत सीता का त्याग.राजेश्वर मधुकर। सुनीता कोमल सुरक्षा सूनापन सूरज सी हैं तेज बेटियां सोन मछरिया गहरा पानी सोशल साइट्स स्तनपान स्त्री विमर्श। स्मरण स्मृति स्वतन्त्रता। हंस रे निर्मोही हक़ हादसा। हाशिये पर हिन्दी का बाल साहित्य हिंदी कविता हिंदी बाल साहित्य हिन्दी ब्लाग हिन्दी ब्लाग के स्तंभ हिम्मत हिरिया होलीनामा हौसला accidents. 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