नदी किनारे एक शाम
शुक्रवार, 10 अप्रैल 2009
कितना अच्छा लगता है
शाम को नदी किनारे
पानी में पैर डुबा कर बैठना
पानी में कंकडियाँ उछालना
और नदी की धार को देखना।
मछुआरों के छोटे छोटे बच्चों का
ऊंची कगारों पर से नदी में कूदना
नदी की तेज धार में मछलियों की तरह फिसलना
और मछुआरों का दूर नदी की बीच धारा में
माझी गीतों की तान छेड़ते हुए
नावों पर स्वच्छंद विचरण करना।
इनसे भी ज्यादा अच्छा लगता है
पुल पर से गुजरती हुई ट्रेनों को देखना
दूर क्षितिज की ओट में
डूबते हुए सूर्य के प्रतिबिम्ब को
नदी के जल में देखना।
सचमुच कितना सुखद लगता है
शाम के समय
नदी के किनारे
पानी में पैर डुबा कर बैठना
आती जाती लहरों को गिनना
और नदी की धार को देखना।
००००००००००
हेमंत कुमार
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शाम को नदी किनारे
पानी में पैर डुबा कर बैठना
पानी में कंकडियाँ उछालना
और नदी की धार को देखना।
मछुआरों के छोटे छोटे बच्चों का
ऊंची कगारों पर से नदी में कूदना
नदी की तेज धार में मछलियों की तरह फिसलना
और मछुआरों का दूर नदी की बीच धारा में
माझी गीतों की तान छेड़ते हुए
नावों पर स्वच्छंद विचरण करना।
इनसे भी ज्यादा अच्छा लगता है
पुल पर से गुजरती हुई ट्रेनों को देखना
दूर क्षितिज की ओट में
डूबते हुए सूर्य के प्रतिबिम्ब को
नदी के जल में देखना।
सचमुच कितना सुखद लगता है
शाम के समय
नदी के किनारे
पानी में पैर डुबा कर बैठना
आती जाती लहरों को गिनना
और नदी की धार को देखना।
००००००००००
हेमंत कुमार