भजन-(8)-वाल्मीकि आश्रम प्रकरण
शुक्रवार, 8 मई 2015
नाथ सदा तुम साथ
मेरे बस बिनती यही है हमें ना
बिसरइहो।
तुम बिन सिय आधार कहां, निज सिय को चरन सदा बइठइहो।।
छोड़ अवधपुर निर्जन वन में दरसन को यह मन है रोता,
कैसे होगे मम रघुराई बस हर पल हिय में यही है होता,
अवध से त्यागे निज सिय को प्रभु हिय से सिय को नाहिं
हटइहो।
नाथ सदा तुम साथ
मेरे, बस बिनती यही है
हमें ना बिसरइहो।।
कन्द मूल खा भूमि शयन कर एक एक दिन कटि जइहें,
विरह बियोग शोक दुख सारे प्रभु देह साथ चलि जइहैं
जब तक प्राण रहे तन में इस आंखिन माहिं सदा बसि रहिहो।
नाथ सदा तुम साथ
मेरे, बस बिनती यही है
हमें ना बिसरइहो।।
आपन तो सुध चैन नहिं मन आवत मेरे प्रभु कस होइहें,
यहि सोच एक एक दिन बीतत कुशल क्षेम कस पइहें,
सूर्यवंश कुलदीप महाप्रभु बस बिनती यही मन भीतर रहिहो।
नाथ सदा तुम साथ
मेरे, बस बिनती यही है
हमें ना बिसरइहो।।
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राजेश्वर मधुकर
शैक्षिक दूरदर्शन लखनऊ
में प्रवक्ता उत्पादन के पद पर कार्यरत श्री राजेश्वर मधुकर बहुमुखी प्रतिभा के
धनी हैं।मधुकर के व्यक्तित्व में कवि,लेखक,उपन्यासकार और
एक अच्छे फ़िल्मकार का अनोखा संगम है।“सांझ की परछांई”(बौद्ध दर्शन पर आधारित
उपन्यास),“आरोह स्वर”(कविता संग्रह),“घड़ियाल”(नाटक), “छूटि गइल अंचरा के दाग”(भोजपुरी नाटक) आदि इनकी
प्रमुख कृतियां हैं। इनके अतिरिक्त मधुकर जी ने अब तक लगभग एक दर्जन से अधिक
टी वी सीरियलों का लेखन एवं निर्देशन तथा “सांवरी” नाम की भोजपुरी फ़ीचर
फ़िल्म का लेखन,निर्देशन एवं
निर्माण भी किया है।आपके हिन्दी एवं भोजपुरी गीतों के लगभग 50 कैसेट तथा कई वीडियो एलबम भी बन चुके
हैं।
मो0
9415548872