दस्तक
शनिवार, 14 मार्च 2009
हर रात होती है
एक दस्तक
मेरी खिड़कियों पर
और मेरा कमरा
भर उठता है
मोगरे की
नशीली गंध से।
एक दस्तक
मेरी खिड़कियों पर
और मेरा कमरा
भर उठता है
मोगरे की
नशीली गंध से।
लेकिन
मेरी अंजुलियों में
सिमटने से पूर्व ही
हवाएं ले जाती हैं
मोगरे को
पड़ोसी खिड़कियों की ओर।
*********
हेमंत कुमार
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मेरी अंजुलियों में
सिमटने से पूर्व ही
हवाएं ले जाती हैं
मोगरे को
पड़ोसी खिड़कियों की ओर।
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हेमंत कुमार