वजूद की तलाश
सोमवार, 15 दिसंबर 2008
माँ ने कहा तुम हंसो
तो मैं हंसने लगा
बापू ने कहा रोओं
तो मैं रोने लगा।
भइया ने कहा
नाच कर दिखलाओ
और मेरे नंगे पाँव
थिरक उठे
पथरीली जमीन पर।
बहना ने चाहा
की मैं गाऊं
और मैं गाने लगा।
ऐसे ही किसी एक दिन
हँसता रोता नाचता गाता
हुआ मैं
बन जाऊंगा
सेमल का फूल
और अपने सपनों को
मुट्ठी में बंद करके
उड़ जाऊंगा
नीले असमान में दूर
बहुत दूर
अपने वजूद की तलाश में।
००००००००
हेमंत कुमार
तो मैं हंसने लगा
बापू ने कहा रोओं
तो मैं रोने लगा।
भइया ने कहा
नाच कर दिखलाओ
और मेरे नंगे पाँव
थिरक उठे
पथरीली जमीन पर।
बहना ने चाहा
की मैं गाऊं
और मैं गाने लगा।
ऐसे ही किसी एक दिन
हँसता रोता नाचता गाता
हुआ मैं
बन जाऊंगा
सेमल का फूल
और अपने सपनों को
मुट्ठी में बंद करके
उड़ जाऊंगा
नीले असमान में दूर
बहुत दूर
अपने वजूद की तलाश में।
००००००००
हेमंत कुमार