रीतापन
बुधवार, 19 अगस्त 2009
हर बारिश में
तुम्हारे
पास होने का एहसास
बुन देता है एक गुंजलक
मेरे चारों ओर।
बंध जाते हैं
मेरे हाथ पांव
कैद हो जाती हैं सांसें
और गुंजलक खुलने पर
मैं पाता हूं कि
बारिश खतम हो चुकी है
और मैं रीता रह गया हूं।
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हेमन्त कुमार