नागफ़नियों के बीच
गुरुवार, 28 अप्रैल 2011
कितनी नागफ़नियां
और उगाओगे
इस नन्हें से सीने में।
अभी तो यह बेचारा ‘वैध’ शब्द
से परिचित भी नहीं हुआ था
और तुमने
इसे ‘अवैध’
घोषित कर दिया
‘जाति’ शब्द का
अर्थ जानने से पहले ही
इसे बद्जात घोषित कर दिया।
कान्वेण्ट और मदरसे की
संस्कृतियों के बीच
तुमने लटका दिया
इसे ‘पेण्डुलम’की तरह।
राजानीति शब्द सुनने के
पूर्व ही
तुम इसे राजनीति के
शिकंजों में कस कर
करने लगे परीक्षण
कि किस खांचे में यह फ़िट बैठेगा।
गुब्बारे और कलम की जगह
तुमने पकड़ा दिया चाकू
इसके हाथों में
जिसने कि अभी
चाकू की धार भी
नहीं देखी थी।
अभी कितनी नागफ़नियां
और उगाओगे
इस नन्हें से सीने में।
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हेमन्त कुमार