नागफ़नियों के बीच
गुरुवार, 28 अप्रैल 2011
कितनी नागफ़नियां
और उगाओगे
इस नन्हें से सीने में।
अभी तो यह बेचारा ‘वैध’ शब्द
से परिचित भी नहीं हुआ था
और तुमने
इसे ‘अवैध’
घोषित कर दिया
‘जाति’ शब्द का
अर्थ जानने से पहले ही
इसे बद्जात घोषित कर दिया।
कान्वेण्ट और मदरसे की
संस्कृतियों के बीच
तुमने लटका दिया
इसे ‘पेण्डुलम’की तरह।
राजानीति शब्द सुनने के
पूर्व ही
तुम इसे राजनीति के
शिकंजों में कस कर
करने लगे परीक्षण
कि किस खांचे में यह फ़िट बैठेगा।
गुब्बारे और कलम की जगह
तुमने पकड़ा दिया चाकू
इसके हाथों में
जिसने कि अभी
चाकू की धार भी
नहीं देखी थी।
अभी कितनी नागफ़नियां
और उगाओगे
इस नन्हें से सीने में।
00000
हेमन्त कुमार
20 टिप्पणियाँ:
practical poem.. nicely written Hemant.. :)
बहुत मार्मिक अभिव्यक्ति
Bitter truth of life....
Hemant ji bahut achi rrachna hai.
Regards,
irfan.
मर्मस्पर्शी ....प्रभावित करती रचना
उपाधियों के दलदल में जूझता जीवन। बहुत सुन्दर रचना।
AISE BACHCHO KO JAB MAI SADAK PAR BHATAKATE HUYE AUR UNAKI ANAKHO ME EK AJIB SI UDASI KO JAB DEKH LETI HU TO KALEJA MUH KO AA JATA HAI ....MARMSPARSHI
सही बात है, अभी तो बेचारे ने कितने शब्दों के अर्थ भी नहीं जाने थे कि इसे उनका हथियार बना डाला हमने..कितनी नागफनियाँ उगाएँगे हम...
दिल को छू लिया
दिल को छूने वाली अभिव्यक्ति है । आप के सभी ब्लांग पढ़े बहुत सुन्दर है। मेरे ब्लांग में भी आप आये तो मुझे खुशी होगी धन्यवाद…
मासूमों के सीने में जहर भरते देख तल्खी जुबान और लेखनी में भी आ ही जाती है ...
आखिर कब तक ...
सार्थक प्रश्न , हर जिम्मेदार नागरिक को करना चाहिए !
आह! सच को बहुत ही सही तरीके से प्रस्तुत किया है…………मर्मस्पर्शी शानदार रचना।
गहन भावों की सशक्त अभिव्यक्ति
आदरणीय श्रीहेमंतकुमारजी,
जिसने कि अभी
चाकू की धार भी
नहीं देखी थी।
बहुत सुंदर,बहुत बधाई।
॥ उष्णो दहति चाङ्गारः शीतः कृषायते करम् ॥
कोयला गर्म होता है तो जलाता है और ठंडा होने पर श्याम हो जाता है..!!
मार्कण्ड दवे।
http://mktvfilms.blogspot.com
अभी कितनी नागफ़नियां
और उगाओगे
इस नन्हें से सीने में।...
बहुत मार्मिक रचना...बहुत प्रभावी प्रस्तुतीकरण..बहुत सुन्दर
कान्वेण्ट और मदरसे की
संस्कृतियों के बीच
तुमने लटका दिया
इसे ‘पेण्डुलम’की तरह।...
Bitter truth !
Very touching lines .
.
कितनी नागफ़नियां
और उगाओगे
इस नन्हें से सीने में।
बहुत भावपूर्ण रचना ...
मार्मिक
http://rimjhim2010.blogspot.com/
bahut sunder rachna ........
ek dhardar sandesh deti sunder marmik rachna.
नागफनियों के बीच
या
नागफनियों के बीज ?
एक टिप्पणी भेजें