खतरा अस्तित्व का
बुधवार, 11 फ़रवरी 2009
एक बादल का टुकड़ा
खरगोश के छौने जैसा
फुदक रहा है
इन काले पहाडों के ऊपर
बरसने को आतुर
पर सहम जाता है
बार बार
पहाडों की कठोरता
और उनके बीच से
निकलती हुयी
लपटों को देखकर
की कहीं वे
उसका अस्तित्व
ही न समाप्त कर दें।
--------------
हेमंत कुमार
खरगोश के छौने जैसा
फुदक रहा है
इन काले पहाडों के ऊपर
बरसने को आतुर
पर सहम जाता है
बार बार
पहाडों की कठोरता
और उनके बीच से
निकलती हुयी
लपटों को देखकर
की कहीं वे
उसका अस्तित्व
ही न समाप्त कर दें।
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हेमंत कुमार