हवाएं भी गज़ब करती है ,हमारी खुशबू दूसरों के घर उड़ा ले जाती है ,किसी ने शायद हवा के बारे में कहा भी था """हवा घरों में कहाँ इतनी तेज़ चलती है , उसे तो सिर्फ मेरा दिया बुझाना था ""
I am a writer and media person.My aim in life is to see a smiles on the face of all children in the universe. I am writing for children and adults, both for 30 years. Working continuously in print and on electronic media.Some 40 books of rhymes,stories, poetry,short plays including also a children's encyclopedia & illustrated dictionary are published in Hindi.I am also writing for different radio programmes. At present I am working on EducationalTelevision,Lucknow,(India.As part of my job I wrote about 300 scripts for E.T.V.and also produced more than 200 programmes.
4 टिप्पणियाँ:
हेमंत जी
खूबसूरत कल्पना है आपकी....
मेरी अंजुलियों में
सिमटने से पूर्व ही
हवाएं ले जाती हैं
मोगरे को
पड़ोसी खिड़कियों की ओर।
हवाएं भी गज़ब करती है ,हमारी खुशबू दूसरों के घर उड़ा ले जाती है ,किसी ने शायद हवा के बारे में कहा भी था """हवा घरों में कहाँ इतनी तेज़ चलती है , उसे तो सिर्फ मेरा दिया बुझाना था ""
मेरी अंजुलियों में
सिमटने से पूर्व ही
हवाएं ले जाती हैं
मोगरे को
पड़ोसी खिड़कियों की ओर.....ye namurad hvayen....!!
phir intzaar rahta hai nayi subah ka....mongre ka.......kabhi to wah khushboo ruk jaayegi,
bahut khoobsurat rachna..........
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