भजन(4)सबरी प्रसंग...........
रविवार, 26 अप्रैल 2015
धन्य धन्य प्रभु
दरसन दीन्हो, निज सेवक के भाग्य
जगायो।
हे करुणानिधि आसन
बइठो, धो लूं चरन मोरी कुटिया
आयो।।
अचरज भरी दृष्टि से
हे प्रभु अइसे ठाढ़े नाहीं निहारो,
बाट जोहत मोरे नयना
थकि गये अब तो नाथ उबारो,
चुनि चुनि बेर सहेज
रखी मैं जान पड़ी प्रभु भागि के आयो।
धन्य धन्य प्रभु
दरसन दीन्हो, निज सेवक के भाग्य
जगायो।।
नाहिं प्रभु तनि धीर
धरो ई सबरी बेर अइसे ना दीहै,
बेर कहीं खटटी होई
तो सकल जतन पानी फिर जइहै,
मैं चख लूं मीठी जब
निकले बस वो ही बेर नाथ तुम खायो।
धन्य धन्य प्रभु
दरसन दीन्हो, निज सेवक के भाग्य
जगायो।।
लो चख लो यह बेर
महाप्रभु अइसी बेर ना कबहूं पइहो,
तू मालिक प्रभु मैं
वनबासी चाहे कितनो जुगत लगइहो,
सच दूजै हाथ ई बेर
ना मिलिहैं, भक्ति भाव एहि बेर
समाया।
धन्य धन्य प्रभु
दरसन दीन्हो, निज सेवक के भाग्य
जगायो।।
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राजेश्वर मधुकर
शैक्षिक दूरदर्शन लखनऊ
में प्रवक्ता उत्पादन के पद पर कार्यरत श्री राजेश्वर मधुकर बहुमुखी प्रतिभा के
धनी हैं।मधुकर के व्यक्तित्व में कवि,लेखक,उपन्यासकार और
एक अच्छे फ़िल्मकार का अनोखा संगम है।“सांझ की परछांई”(बौद्ध दर्शन पर आधारित
उपन्यास),“आरोह स्वर”(कविता संग्रह),“घड़ियाल”(नाटक), “छूटि गइल अंचरा के दाग”(भोजपुरी नाटक) आदि इनकी
प्रमुख कृतियां हैं। इनके अतिरिक्त मधुकर जी ने अब तक लगभग एक दर्जन से अधिक
टी वी सीरियलों का लेखन एवं निर्देशन तथा “सांवरी” नाम की भोजपुरी फ़ीचर
फ़िल्म का लेखन,निर्देशन एवं
निर्माण भी किया है।आपके हिन्दी एवं भोजपुरी गीतों के लगभग 50 कैसेट तथा कई वीडियो एलबम भी बन चुके
हैं।
मो0
9415548872
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