भजन(5)--अशोक वाटिका प्रसंग
सोमवार, 27 अप्रैल 2015
डूब गयी अखियां असुअन में, नींद नही तो सपन न आये।
राम बिना सिय कैसे जिये, जिय जाये नहीं हिय चैन ना आये।।.......
राम बिमुख सिय जीवन कैसे, होई कबहू नहिं पूरा,
कोई घट ज्यों बिन जल सूना, रोवत फिरत अधूरा,
पसरा शोक अशोक तले तजू देह, सदा यहि मन में आये।
डूब गयी अखियां अंसुअन में, नींद नही तो सपन न आये।।..........
सातो वचन का भूल गये, सिय की याद अबहूं नहिं आई
बेगिहिं आई हरो दुख मेरो, हे दीन बन्धु दया रघुराई,
संकट सबहिं मिटै वहि पल, जेहिं छन नयना दरसन को पाये।
राम बिना सिय कैसे जिये, जिय जाये नहीं हिय चैन ना आये।।.......
हे रघुकुल रघुनाथ प्रान प्रिय, विनती सुनौ अब बेगिहि
आओ,
राक्षस दल करि दलन दशानन हति, निज सिय को लेई जाओ,
तरस गयी अंखियां देखन छबि, वो रुप दीखै जो मन को भाये।
राम बिना सिय कैसे जिये, जिय जाये नहीं हिय चैन ना आये।।.......
000
राजेश्वर मधुकर
शैक्षिक दूरदर्शन लखनऊ
में प्रवक्ता उत्पादन के पद पर कार्यरत श्री राजेश्वर मधुकर बहुमुखी प्रतिभा के
धनी हैं।मधुकर के व्यक्तित्व में कवि,लेखक,उपन्यासकार और
एक अच्छे फ़िल्मकार का अनोखा संगम है।“सांझ की परछांई”(बौद्ध दर्शन पर आधारित उपन्यास),“आरोह स्वर”(कविता संग्रह),“घड़ियाल”(नाटक), “छूटि गइल अंचरा के दाग”(भोजपुरी नाटक) आदि इनकी
प्रमुख कृतियां हैं। इनके अतिरिक्त मधुकर जी ने अब तक लगभग एक दर्जन से अधिक
टी वी सीरियलों का लेखन एवं निर्देशन तथा “सांवरी” नाम की भोजपुरी फ़ीचर
फ़िल्म का लेखन,निर्देशन एवं
निर्माण भी किया है।आपके हिन्दी एवं भोजपुरी गीतों के लगभग 50 कैसेट तथा कई वीडियो एलबम भी बन चुके
हैं।
मो0
9415548872
0 टिप्पणियाँ:
एक टिप्पणी भेजें