भजन-(6)शक्ति बाण प्रकरण
गुरुवार, 30 अप्रैल 2015
क्या लेके अवधपुर जाऊँगा, मैं तात को क्या बतलाऊँगा।
जब मातु पूछेगी लखन कहां,तब कैसे मैं समझाऊँगा।।
यदि लखन छोड़कर मुझे गया,तो महा प्रलय आयेगा,
कुल देव अनर्थ की स्थिति में,माथे कालिख पुत जायेगा,
है सूर्यवंश का महाशपथ, ना अवध में मुंह दिखलाऊंगा।
क्या लेके अवधपुर जाऊँगा,मैं तात को क्या बतलाऊँगा।।
उठो वीरवर राम पुकारें, सच तू तो बहुत बलशाली है
तुम बिन राम जियेगा कैसे, तुम बिन जीवन खाली है,
जो तुम ना उठे तो शपथ है ये,अग्नि समाधि सजाऊंगा।
क्या लेके अवधपुर जाऊँगा, मैं तात को क्या बतलाऊँगा।
न आये अभी बूटी लेकर,अब भोर भी होने वाली है,
कुल देव करें रक्षा मेरी,अब मेरी ये झोली खाली है,
यदि लखन मुझे मिल जायेगा, तुम पर सर्वस्व लुटाऊँगा।
क्या लेके अवधपुर जाऊँगा, मैं तात को क्या बतलाऊँगा।
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शैक्षिक दूरदर्शन लखनऊ
में प्रवक्ता उत्पादन के पद पर कार्यरत श्री राजेश्वर मधुकर बहुमुखी प्रतिभा के
धनी हैं।मधुकर के व्यक्तित्व में कवि,लेखक,उपन्यासकार और
एक अच्छे फ़िल्मकार का अनोखा संगम है।“सांझ की परछांई”(बौद्ध दर्शन पर आधारित
उपन्यास),“आरोह स्वर”(कविता संग्रह),“घड़ियाल”(नाटक), “छूटि गइल अंचरा के दाग”(भोजपुरी नाटक) आदि इनकी
प्रमुख कृतियां हैं। इनके अतिरिक्त मधुकर जी ने अब तक लगभग एक दर्जन से अधिक
टी वी सीरियलों का लेखन एवं निर्देशन तथा “सांवरी” नाम की भोजपुरी फ़ीचर
फ़िल्म का लेखन,निर्देशन एवं
निर्माण भी किया है।आपके हिन्दी एवं भोजपुरी गीतों के लगभग 50 कैसेट तथा कई वीडियो एलबम भी बन चुके
हैं।
मो0
9415548872
2 टिप्पणियाँ:
बहुत सुन्दर रचना
adbhut...uttam....
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