भजन(3)वनवास या़त्रा प्रकरण
सोमवार, 20 अप्रैल 2015
देखे दो तपसी और एक नारी, दो सुकुमार एक सुकुमारी।
गौर वर्ण छबि नैन बसि गयी, निरखत ना हटी दृष्टि हमारी।।
माथे तिलक केश अति सुन्दर, नर नाहीं नरायण लागे,
कौन देश जो इनको त्यागे, कौन देश के लोग अभागे,
बिधना का तुम सोई गये जो डारि दियो अस बिपदा भारी।
देखे दो तपसी और एक नारी, दो सुकुमार एक सुकुमारी।।
कोमल बदन कमल मुख धूमिल,पांव छिले दुख नाहिं सहाये,
संग सुकुमारी सहत दुख सारे, देखत अइस नैन भरि आये,
मातु पिता गुरु कौन अधर्मी चांद सुरुज को दीन्ह निकारी।
देखे दो तपसी और एक नारी, दो सुकुमार एक सुकुमारी।।
वन का जीवन बन वनवासी, कइसे
सगरी उम्र बितइहै,
भूमि शयन आ कन्द मूल खा, कइसे सगरी उम्र बितइहै
देखि दशा पाथर भी पिघले, हम मानव का जोर हमारी।
देखे दो तपसी और एक नारी, दो सुकुमार एक सुकुमारी।।
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राजेश्वर मधुकर
शैक्षिक दूरदर्शन लखनऊ में प्रवक्ता उत्पादन के पद पर कार्यरत श्री
राजेश्वर मधुकर बहुमुखी प्रतिभा के धनी हैं।मधुकर के व्यक्तित्व में कवि,लेखक,उपन्यासकार और एक अच्छे फ़िल्मकार का अनोखा
संगम है।“सांझ की परछांई”(बौद्ध दर्शन पर आधारित
उपन्यास),“आरोह स्वर”(कविता संग्रह),“घड़ियाल”(नाटक), “छूटि गइल अंचरा के दाग”(भोजपुरी नाटक) आदि इनकी प्रमुख कृतियां
हैं। इनके अतिरिक्त मधुकर जी ने अब तक लगभग एक दर्जन से अधिक टी वी सीरियलों का
लेखन एवं निर्देशन तथा “सांवरी” नाम की भोजपुरी फ़ीचर
फ़िल्म का लेखन,निर्देशन एवं निर्माण भी
किया है।आपके हिन्दी एवं भोजपुरी गीतों के लगभग 50 कैसेट तथा कई वीडियो एलबम भी बन चुके
हैं।
मो0 9415548872
1 टिप्पणियाँ:
बहुत सुन्दर रचना
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