भजन—(1) दशरथ प्रकरण
सोमवार, 13 अप्रैल 2015
आज से आप यहां आनन्द ले सकते हैं भजनों की एक नयी शृंखला का जिसमें मेरे अभिन्न मित्र श्री राजेश्वर मधुकर जी ने राम कथा के कुछ चुनिंदा प्रसंगों को भजनों के रूप में शब्दबद्ध किया है।इसी कड़ी का पहला भजन।
दशरथ प्रकरण
तज दूंगा प्राण राम तुझ बिन, बन वनवासी मत वन जाओ।
हे अवधपुरी कुलदीप सुनो, बन वनवासी मत वन जाओ।
चाहे मर्यादा खण्डित हो यह रघुकुल जग में परिहास बने,
दोनो ही जग में हो निन्दा इस अवध का जो इतिहास बने,
अन्यायपूर्ण इस निर्णय का प्रतिकार करो मत वन जाओ।
तज दूंगा प्राण राम तुझ बिन, बन वनवासी मत वन जाओ।
कैकेयी को जो वचन दिया यह सुन तुम बन जा विद्रोही,
इस अवध का हित बस इसमें है जो कहता हूं तू कर वो ही,
कर युद्ध छीन लो अवधराज और तुम राजा बन जाओ।
तज दूंगा प्राण राम तुझ बिन, बन वनवासी मत वन जाओ।
हे राम तेरे बिन ये जीवन मणि खोकर सर्प क्या जीता है,
बिन जल के घट का मोल नही उस घट का जीवन रीता है,
प्रतिकार करो मेरे वचनों का हे राम इसी पल झुठलाओ।
तज दूंगा प्राण राम तुझ बिन, बन वनवासी मत वन जाओ।
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शैक्षिक
दूरदर्शन लखनऊ में प्रवक्ता उत्पादन के पद पर कार्यरत श्री राजेश्वर मधुकर बहुमुखी
प्रतिभा के धनी हैं।मधुकर के व्यक्तित्व में कवि,लेखक,उपन्यासकार और
एक अच्छे फ़िल्मकार का अनोखा संगम है।“सांझ की परछांई”(बौद्ध दर्शन पर आधारित
उपन्यास),“आरोह स्वर”(कविता संग्रह),“घड़ियाल”(नाटक),“छूटि गइल अंचरा के दाग”(भोजपुरी नाटक) आदि इनकी
प्रमुख कृतियां हैं। इनके अतिरिक्त मधुकर जी ने अब तक लगभग एक दर्जन से अधिक
टी वी सीरियलों का लेखन एवं निर्देशन तथा “सांवरी” नाम की भोजपुरी फ़ीचर
फ़िल्म का लेखन,निर्देशन एवं
निर्माण भी किया है।आपके हिन्दी एवं भोजपुरी गीतों के लगभग 50 कैसेट तथा कई वीडियो एलबम भी बन चुके
हैं।
मो0 9415548872
1 टिप्पणियाँ:
ek sundar rachana
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