प्रतिष्ठित बाल साहित्यकार और कहानीकार प्रेमस्वरूप श्रीवास्तव जी के 90वें जन्मदिवस पर हुआ “बालवाटिका” पत्रिका का लोकार्पण
मंगलवार, 12 मार्च 2019
प्रतिष्ठित बाल साहित्यकार
और कहानीकार प्रेमस्वरूप श्रीवास्तव जी के 90वें जन्मदिवस पर हुआ “बालवाटिका” पत्रिका का लोकार्पण
श्री प्रेमस्वरूप श्रीवास्तव
हिंदी के प्रतिष्ठित कहानीकार,लेखक और बालसाहित्यकार हैं।दिनांक 11मार्च को
उनका 90वां जन्मदिन हिंदी के प्रतिष्ठित दैनिक “जन्संदेश टाइम्स” लखनऊ के सभाकक्ष
में मनाया गया।इस अवसर पर भीलवाड़ा,राजस्थान से प्रकाशित बच्चों की स्थापित पत्रिका
”बालवाटिका” के श्री प्रेमस्वरूप श्रीवास्तव पर केन्द्रित मार्च-2019 अंक का
लोकार्पण भी संपन्न हुआ।इस अवसर पर लखनऊ एवं कानपुर के बालसाहित्यकार,पत्रकार एवं
प्रेमस्वरूप श्रीवास्तव के पाठक एवं प्रशंसक मौजूद थे।
दीप
प्रज्ज्वलन एवं श्री प्रेमस्वरूप श्रीवास्तव जी की तस्वीर पर माल्यार्पण के पश्चात
उपस्थित समस्त अतिथियों ने “बालवाटिका”
पत्रिका का लोकार्पण किया।
कार्यक्रम
में मुख्य अतिथि के रूप में बोलते हुए कानपुर से आये वरिष्ठ बाल साहित्यकार कौशल
पाण्डेय ने प्रेमस्वरूप श्रीवास्तव जी के बाल साहित्य के प्रति सपर्पण की बात
बताते हुए कहा कि “प्रेमस्वरूप श्रीवास्तव जी का 1950 से शुरू हुआ लेखन जीवन पर्यंत
चलता रहा।उन्होंने बड़ों की कहानी,रेडियो
नाटकों के लेखन के साथ ही प्रचुर मात्रा में बाल साहित्य भी लिखा।उनकी 50से ज्यादा
किताबें भी प्रकाशित हुयी लेकिन उन्होंने जीवन में न ही कभी किसी प्रकाशक से
किताबें छापने का अनुरोध किया न ही किसी समीक्षक,आलोचक से अनुरोध किया कि वो उनकी
किताबों की समीक्षा करे या उस पर टिप्पणी लिखे।न ही किसी रंगकर्मी से अपने नाटकों
के मंचन की बात कही। इस मामले में प्रेमस्वरूप श्रीवास्तव जी साहित्य के प्रति
पूरी तरह से समर्पित और स्वाभिमानी
व्यक्तित्व वाले लेखक थे।”
इस अवसर पर
बोलते हुए वरिष्ठ पत्रकार एवं कवि डा० सुभाष राय ने “बालवाटिका” पत्रिका की चर्चा
करते हुए कहा कि “बालवाटिका” का बाल साहित्यकारों के समग्र जीवन को पाठकों से
जोड़ने का यह प्रयास निश्चित रूप से सराहनीय है।उन्होंने पत्रिका में प्रकाशित
प्रेमस्वरूप जी की बात का उदाहरण देते हुए कहा कि ”पत्रिका में डा० हेमन्त कुमार
ने इस बात का उल्लेख किया है कि प्रेमस्वरूप जी कहा करते थे कि “अगर उनका लेखन ख़तम
हो गया तो जीवन का क्या मतलब?” यानि लेखन को उन्होंने जीवन से जोड़ा।उसे ही अपनी
जीवनधारा माना।
सुभाष राय ने कहा
कि लिखना यदि जीवन से जुड़ा हो तो वो लिखना किसी भी साहित्यकार का हो वह बहुत
महत्वपूर्ण है।इसी बात को आगे बढाते हुए उन्होंने ने यह भी कहा कि लेखक का लिखा हुआ पाठक तक
पहुँचना चाहिए तभी उस लेखन की सार्थकता है।डा० राय ने हरिशंकर परसाई जी का उदाहरण
देते हुए बताया कि वो अपनी अप्रकाशित रचनाओं की कई प्रतियाँ बना कर थैले में रखते
थे और उसे मुफ्त ही लोगों को पढने के लिए देते थे।
अपने
अध्यक्षीय वक्तव्य में प्रतिष्ठित बालसाहित्य समीक्षक और आलोचक श्री बंधु
कुशावर्ती ने कहा कि प्रेमस्वरूप श्रीवास्तव जी मूलतः कहानीकार और नाटककार हैं और
1964 में इलाहाबाद आने के पहले वो खुद को एक कहानीकार के रूप में प्रतिष्ठित कर
चुके थे।1964 में शिक्षा प्रसार विभाग के फिल्म प्रोडक्शन सेक्शन में स्क्रिप्ट
राइटिंग से जुड़ने के बाद से ही उन्होंने बाल साहित्य लेखन भी शुरू किया और रेडियो
पर बाल कहानियों नाटकों के अलावा तत्कालीन सभी पत्र पत्रिकाओं में बाल कहानियाँ
लिखना शुरू किया।बाद के समय में उन्होंने
अपना अधिकाँश लेखन बच्चों के लिए किया।और बाल साहित्य लेखन में उन्होंने खुद को
उसी तरह स्थापित किया जिस तरह बड़ों की कहानियों के लेखन में किया था।
बंधुजी ने बताया
कि सन 1964 का समय वह समय था जब सरकारी स्तर पर भी अच्छे बाल साहित्य लेखन के लिए
प्रयास किये जा रहे थे तथा श्री संपूर्णानंद जी के मुख्यमंत्रित्व काल में इस
दिशा में काफी काम भी हुआ।शिक्षा विभाग
द्वारा भी बाल पत्रिकाओं का प्रकाशन शुरू किया गया।संभवतः शिक्षा विभाग में नौकरी
करने और प्राथमिक शिक्षा विभाग द्वारा हो रहे प्रयासों से प्रभावित हो कर ही
प्रेमस्वरूप जी का रुझान बाल साहित्य लेखन की तरफ बढ़ा और उन्होंने जीवन पर्यंत बाल
साहित्य को समृद्ध किया।बंधू कुशावर्ती ने बताया कि प्रेमचंद के सम्पूर्ण साहित्य
को एकत्रित करने और उसे पाठकों तक पहुँचाने में उनके पुत्र अमृत राय का बहुत बड़ा
योगदान है। प्रेमचंद के लिए जो काम अमृत राय ने किया था वही काम प्रेमस्वरूप
श्रीवास्तव के साहित्य को पाठकों तक पहुंचाने के लिए आज डा०हेमन्त कुमार कर रहे
हैं।
प्रेमस्वरूप
श्रीवास्तव के पुत्र और बाल साहित्यकार डा० हेमन्त कुमार ने प्रेमस्वरूप
श्रीवास्तव जी से जुड़ी यादों को साझा करने के साथ ही “बालवाटिका” के सम्पादक डा०
भैंरूलाल गर्ग जी एवं प्रतिष्ठित बालसाहित्यकार एवं बालसाहित्य इतिहास लेखक डा०
प्रकाश मनु जी के प्रति विशेष आभार व्यक्त किया जिनके प्रयासों से “बालवाटिका” का
प्रेमस्वरूप श्रीवास्तव जी पर केन्द्रित यह अंक प्रकाशित हो सका।कार्यक्रम के अंत
में प्रतिष्ठित बाल साहित्यकार अखिलेश श्रीवास्तव चमन ने श्रीवास्तव जी के बाल
साहित्य लेखन परम्परा को आगे बढाने के लिए डा० हेमन्त को बधाई देने के साथ सभी
आगंतुक अतिथियों का धन्यवाद ज्ञापन किया।
इस कार्यक्रम में वरिष्ठ कवि,लेखक भगवान
स्वरूप कटियार, बाल साहित्यकार पूनम श्रीवास्तव,डा० शीला पाण्डेय,पर्यावरण के
प्रसिद्ध फिल्मकार श्री चिक्का मुनियप्पा,शैक्षिक दूरदर्शन की साउंड इंजीनियर
सुधाश्री,प्रसिद्ध युवा कवयित्री एवं गायिका डा०प्रीति गुप्ता,रेडियो उद्घोषिका और
कलाकार शिखा दुबे,युवा बाल गीतकार नित्या शेफाली ने उपस्थित होकर कार्यक्रम की
गरिमा बढाई साथ ही प्रेमस्वरूप श्रीवास्तव के जन्मदिवस पर आयोजित इस कार्यक्रम को
सफल बनाया।
००००००
डा० हेमन्त कुमार
मोबाइल—9451250698
8 टिप्पणियाँ:
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