एक संवाद अपनी अम्मा से---।
शुक्रवार, 21 अगस्त 2015
एक बार
बस एक बार मेरे हाथ
हो जाएं लम्बे
इतने लम्बे
जो पहुंच सकें दूर
नीले आसमान
और तारों के बीच से झांकते
आपके पैरों तक
अम्मा
और जैसे ही मैं स्पर्श करूं
आपके घुटनों को
सिर्फ़ एक बार आप
डांटें मुझे कि
बेवकूफ़ राम
चरणस्पर्श पंजों को छूकर
करते हैं
घुटनों को नहीं।
अम्मा सुनिए
अक्सर भटकता हुआ मन
पहुंच जाता है
यादों की रसोई में
और हूक सी उठती है
दिल में
एक बार
पत्थर वाले कोयले
की दहकती भट्ठी के पास बैठूं
धीरे से आकर
डालूं कुछ तिनके भट्ठी में
आप मुझे डराएं चिमटा दिखा कर
प्यार से कहें
“का हो
तोहार मन पढ़ै में
ना लागत बा?”
ज्यादा कुछ नहीं
सिर्फ़ एक बार
भट्ठी की आंच में
सिंकी
आलू भरी गरम रोटियां
और टमाटर की चटनी
यही तो मांग रहा।
वक्त फ़िसलता जा रहा
मुट्ठी से निकलती बालू सा
यादें झिंझोड़ती हैं
हम सभी को।
कहीं घर के किसी कोने में
कील पर टंगी सूप
उस पर चिपके चावल के दाने
कहते हैं सबसे
यहीं कहीं हैं अम्मा
उन्हें नहीं पसन्द
सूप से बिना फ़टके
चावल यूं ही बीन देना।
अभी भी जब जाता हूं
घर तो
अनायास मंदिर के सामने
झुक जाता है मेरा सर
बावजूद इसके की आपने
नास्तिक होने का ठप्पा
मेरे ऊपर लगा दिया था।
पर वहां भी आपके हाथो का स्पर्श
सर पर महसूस तो करता हूं
लेकिन दिखती तो वहां भी नहीं
आप अम्मा।
वैसे
एक राज की बात बताऊं अम्मा
बाथरूम के दरवाजे पर बंधी मोटी रस्सी
मैंने हटाई नहीं अभी तक
पिता जी के बार बार टोकने के
बावजूद
आखिर उसी रस्सी को पकड़ कर
आप उठेंगी न कमोड से।
अम्मा
आप जो भी कहें
नालायक
चण्डलवा
बदमाश
नास्तिक----
सब मंजूर है मुझे
पर एक बार
सिर्फ़ एक बार
खाना चाहता हूं
आपके हाथों की
सोंधी रोटी
बेसन की कतरी
एक हल्का थप्पड़
और चन्द मीठी झड़कियां।
सुन रही हैं न अम्मा।
000
डा0हेमन्त कुमार
8 टिप्पणियाँ:
कमाल की रचना !
maa ka saaya hamesha saath rahta hai .jarurat hai dil se laga kar rakhane ki
chhuti hui bhavabhivyakti
maa ka saaya hamesha saath rahta hai .jarurat hai dil se laga kar rakhane ki
chhuti hui bhavabhivyakti
बहुत सुंदर प्रस्तुति
आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल रविवार (23-08-2015) को "समस्याओं के चक्रव्यूह में देश" (चर्चा अंक-2076) पर भी होगी।
--
सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
--
चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
ब्लॉग बुलेटिन की आज की बुलेटिन, सपनों का मतलब - ब्लॉग बुलेटिन , मे आपकी पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !
माँ बहुत याद आती है
कमाल.
बहुत खूबसूरत अहसास और प्रस्तुति.
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