मंगलवार, 20 नवंबर 2012
कीमत
पुरस्कार
सम्मान
मरणोपरान्त……परमवीर
चक्र
और अब मुआवजा……शोक
संवेदना पत्र,
ये पांच शब्द ईजाद
किये हैं
हमारी संसद ने
पिछले पैंसठ सालों
में
भूख से
कुलबुलाती अंतड़ियों का
पेट भरने के लिये।
फ़िक्स कर दिया है
रेट
हमारी संसद ने
देश की जनता के
हर काम हर कुर्बानी
उनके साथ घटने वाली
घटनाओं,दुर्घटनाओं
और
हादसों का।
लिखने पर किसी
खद्दरधारी की
यशोगाथा
मिलेगा सम्मान या
पुरस्कार अंगवस्त्रम
पत्रं पुष्पं और
रूपये इक्यावन हज़ार
कारगिल में शहादत पर
मिलेगा मरणोपरान्त
चक्र
और छोड़ दिया जायेगा
परिवार
राम भरोसे/सड़क पर
भटकने को।
मरने पर किसी
दुर्घटना/बिल्डिंग कोलैप्स
या किसी मेले की
भगदड़ में
परिवार को मिलेंगे
रुपये
दो,एक लाख या फ़िर पचास
हजार।
अगर गलती से भी मौत
हो जाती है किसी
युवक की
नौकरी खोजने के
दौरान
किसी सेप्टिक टैंक
में गिरने
या धूप में बेहोश
होने से
(कहने को—असली वजह है भूख)
तो मृतक के परिवार
को मिलेंगे
रूपये पच्चीस हजार
नगर प्रशासन से,
और पचास हजार
प्रधानमंत्री सहायता
कोष से।
इन सब से भी अलग
अगर आप मर जाते हैं
किसी थू थू/धिक्कार
या शक्ति प्रदर्शन
रैली के दौरान
प्लेटफ़ार्म पर मची
भगदड़ में
ट्रक पलटने अथवा
मंच ढहने पर उसके
नीचे दबकर
तो
इत्मिनान रखिये आप
आपके शवदाह का खर्च
भी
परिवार वालों को
नहीं उठाना होगा
आपका शव
बहा दिया जाएगा किसी
नदी में
या दफ़ना दिया जाएगा
कब्रिस्तान में
क्योंकि आपके शव की
शिनाख्त ही
नहीं हो सकी थी
फ़िर कुछ दिनों के
बाद
आपके परिवार को
मिलेगा
रैली की आयोजक
पार्टी
की ओर से
सिर्फ़ एक शोक
संवेदना पत्र।
अब ये
तय करना है आपको
कि आपको कौन सी मौत
चाहिये
हमारी संसद तो
हर तरह से तैयार है।
0000
हेमन्त कुमार
5 टिप्पणियाँ:
वीरों का मान अनमोल है उसे मान के अतिरिक्त और कैसे मापा जा सकता है?
Veeron ka samman to jayaz hai....veer maare jate hain,lekin samman se unke pariwaaron ka sir to ooncha hota hai!
http://www.parikalpnaa.com/2012/12/blog-post_5.html
एक कडवा सत्य अपनी सत्यता के साथ निशब्द कर गया।
आह...मन को झकझोरती रचना...
बहुत बढ़िया
अनु
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