बैग में क्या है---?
शुक्रवार, 10 अगस्त 2012
(हिन्दी में बच्चों को लेकर कविताएं
बहुत ज्यादा नहीं हैं।बहुत कम रचनाकार बच्चों को अपना विषय बनाते हैं या फ़िर उनके
अन्तर्मन में झांकने की कोशिश करते हैं। जबकि आज बच्चों की हालातों के बारे में हम
सभी को सोचना लिखना चाहिये। आज मैं शैलजा पाठक की एक ऐसी ही कविता प्रकाशित कर रहा
हूं।
मुंबई---महानगर—कक्षा सात में पढ़ने वाली एक
मासूम लड़की की आत्महत्या की खबर किसी भी संवेदनशील मन व्यक्ति को विचलित और
उद्वेलित कर देगी।इस घटना ने शैलजा पाठक के अन्तर्मन को कितना अधिक व्यथित किया था
ये बात हम उनकी इस कविता में देख सकते हैं--- )
24 टिप्पणियाँ:
जो नहीं बनना है मुझको
चाहते हो क्यों वही
जो दे नहीं सकता हूं तुमको
नन्हीं सी आंखों में
भविष्य का बोझ मत थोपो
अंकुर हूं पनपने से पहले
मौत की गोद में मत सौंपो------।
यह रोष होना स्वाभाविक है।
शैलजा जी और आपको को बधाई और धन्यवाद इतनी अच्छी रचना को इस मंच पर साझा करने के लिए।
सादर
कल 12/08/2012 को आपकी यह बेहतरीन पोस्ट http://nayi-purani-halchal.blogspot.in पर लिंक की जा रही हैं.आपके सुझावों का स्वागत है .
धन्यवाद!
हाय रे बैग
अंकुर हूं पनपने से पहले
मौत की गोद में मत सौंपो------।मार्मिक चित्रण
मार्मिक .......
बालमन की संवेदना को प्रकट करती कृति ....
umdaa ji.
एक तो पीठ पर बैग का भार ऊपर से माता पिता की अपेक्षाओं का भार नन्हा दिल कैसे संभाले ???शैलजा जी की कविता दिल को छू गई
जो दे नहीं सकता हूं तुमको
नन्हीं सी आंखों में
भविष्य का बोझ मत थोपो
अंकुर हूं पनपने से पहले
मौत की गोद में मत सौंपो------।
सामजिक आकांक्षाओं का बोझ ढोते बच्चे कुम्हलाता बचपन ..
गहन भाव युक्त अभिव्यक्ति ....सादर !!!
जीवन सार है बस्ते में ..
क्या करे वजन उठाना ही पड़ता है ..
सुन्दर प्रस्तुति
आज कल सच ही बहुत बोझ है बैग में ... पुस्तकों का भी और माता पिता की अपेक्षाओं का साथ ही बच्चों के अपने भविष्य का ।
Bohot sundar. . . .
बहुत सुन्दर रचना है..
मार्मिक रचना...
sundar shilja ji sarthak satik rachna , badhai is tarah ki baaten baccho ko takleef hi deti hai .
सुन्दर चित्रण
बच्चों के लिए बैग का बहुत महत्त्व है |वह उनका खजाना भी है जिसमें उनकी सहेजी हुई अनगिनत चीजें छिपी हैं |
आशा
अपना भविष्य सँवारने के लिये बालमन को समझना आवश्यक होगा, सुन्दर कविता।
थोपते क्यों हो ये मुझ पर
जो नहीं बनना है मुझको
चाहते हो क्यों वही बहुत ही अच्छा लिखा है बधाई
सार्थकता लिए सटीक प्रस्तुति ... आभार
Ek bhaw vibhor kar dene wali rachna. Aabhaar.
............
कितनी बदल रही है हिन्दी!
बच्चों को समझकर और समझा कर चलना बहुत जरूरी हो गया है --मन को छू लेने वाली कविता
bilkul sach liha hai aapne ..
sarthak bat kahati kavita ...!!
nice sir
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