जाडा पकने लगा
गुरुवार, 15 जनवरी 2009
जाडा अब पकने लगा
फूल उठी सरसों
गेंदे की गंध से
महक उठा हर घर ।
नए नए पत्तों में
सुग्गों की सुन गुन
चिहीं चिहीं बोल उठी
छोटी सी मुनमुन ।
ढोलक की थाप पर
पायल की रुनझुन
बुलबुल भी गा उठी
गीतों की तान सुन ।
खपरैले पर लौकी के
बीच छिपी गौरैया
रेशमी मुलायम धूप
देख कर बोल उठी
जाडा अब पकने लगा
फूल उठी सरसों ।
००००००
हेमंत कुमार
फूल उठी सरसों
गेंदे की गंध से
महक उठा हर घर ।
नए नए पत्तों में
सुग्गों की सुन गुन
चिहीं चिहीं बोल उठी
छोटी सी मुनमुन ।
ढोलक की थाप पर
पायल की रुनझुन
बुलबुल भी गा उठी
गीतों की तान सुन ।
खपरैले पर लौकी के
बीच छिपी गौरैया
रेशमी मुलायम धूप
देख कर बोल उठी
जाडा अब पकने लगा
फूल उठी सरसों ।
००००००
हेमंत कुमार
8 टिप्पणियाँ:
ढोलक की थाप पर
पायल की रुनझुन
बुलबुल भी गा उठी
गीतों की तान सुन ।
बदलते मौसम का वर्णन,उसकी खूबसूरती,
बसंत झलक उठा है इस कविता में......
नए नए पत्तों में
सुग्गों की सुन गुन
चिहीं चिहीं बोल उठी
छोटी सी मुनमुन ।
अति सुंदर प्राकृतिक चित्रण /लौकी के बीच छिपी गौरैया का पढ़ कर ऐसा मन हुआ कि अभी दौड़ कर अपने गाव चला जाऊं खपरेल पर लौकी और कद्दू की बेल जिसने देखी होगी उसको तो आपकी रचना पढ़ कर आनंद आ ही गया होगा /ठडं की धूप को रेशमी मुलायम कहना बहुत प्यारा लगा
Basant ke aagaman ka ehsas karati ek sundar rachna.
सुंदर!
आज पहली बार इस ब्लॉग पर आया. एक सुंदर गीत देख कर अच्छा लगा.इसी कारण पुरानी पोस्टें देखने की इच्छा हुई. ११ जनवरी और ७ जनवरी की कवितायें भी बहुत अच्छी हैं.विशेषतः पराया धन. साधुवाद.
kiyaa baat hai bouth he aacha post hai ji very nice
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खपरैले पर लौकी के
बीच छिपी गौरैया
रेशमी मुलायम धूप
देख कर बोल उठी
जाडा अब पकने लगा
फूल उठी सरसों ।
आपने तो यहाँ बैठे ही भारत में हो रहे मौसम परिवर्तन का आंनद दिला दिया ...बहुत खूब ...आभार...
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