मानस रंजन महापात्र की कवितायेँ
शुक्रवार, 4 मार्च 2022
मानस रंजन महापात्र की कवितायेँ
(फोटो-हेमन्त कुमार) |
(1)एक चमकीली शाम की
प्रतीक्षा में
कितना मजेदार है समय के साथ लड़ना
जीते तो सिकंदर हार भी जाओ तो
बेशक लिखा जाएगा तुम्हारा नाम
हर दीवार पर तुम चाहो या न चाहो
शायद खुद को इसी लिए तुम सौंप देते
बार.बार समय के हाथों
मानो कोई बूढ़े बरगद के पेड़ हो।
अब तक छिड़ी थी जो जंग उसमें
कौन जीता ? कौन हारा ? हम सभी तो
दर्शक हैं, निर्णायक को किसने देखा ?
अक्सर लगता जैसे यहाँ युद्ध कभी
हुआ ही नहीं थाए समय बीत जाता,
फिर लगता,युद्ध तो लड़ा गया,
पर तय नहीं हो पाई थी हार,जीत
मानो सभी जीते, सभी हुए पराजित भी।
कितना मजेदार है समय के साथ लड़ना
एकांत कमरे में शब्द ढूंढते रहोगे
चारों ओर सैकड़ों अक्षर होने के बावजूद
किसी को बता नहीं पाओगे
तुम अपनी जय,पराजय का इतिहास
समझ नहीं पाओगे, समय कल था या नहीं
आज है भी या नहीं और कल होगा या नहीं ?
फिर भी अकेले तुम खड़े मिलोगे मैदान में
एक चमकीली शाम की प्रतीक्षा में।
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(2)कारखाना
लहूलुहान होना तो
कोई बड़ी बात नहीं
बड़ी बात है,लहू से सराबोर
अपने अकेलेपन को समझना
जब तक तुम समझे नहीं
तुम छटपटाती एक
परकटी चिड़िया हो
समझ जाओ तो
महात्मा बन जाओगे
किसी से कहोगे नहीं कुछ भी
बस खड़े मिलोगे,चुपचाप
चौराहे की मूर्ति की तरह
जबकि तुम्हारे आगे,पीछे,ऊपर,नीचे
चल रहा होगा घमासान युद्ध।
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(3)समझौता
अब तो मैंने समझौता कर लिया है
हवा के साथएधुएँ के साथएरास्ते के साथ
रंगबिरंगी टोपियों के साथ
निशब्द।
मांग लिया है कुछ बचा हुआ समय
स्वप्न से,उदास भविष्य से
बारिश में फिर कभी न भीगने के
आश्वासन पर।
न जाने क्यों फिर
फटी मिट्टी की दरारों से सिर उठा रहा
एक चेहरा अहंकार का
यह जानते हुए भी
कि मैं विवश हूँ, कल सुबह
खड़े होने के लिए खेल के मैदान में
एक नया मुखौटा पहनकर।
००००
ओडिया से हिंदी अनुवाद : राधू
मिश्र
मोबा0: 9178
549549
कवि:मानस रंजन महापात्र (जन्म:15 जून 1960) ओड़िया भाषा के एक प्रख्यात कवि, अनुवादक व संपादक हैं।पांच कविता संकलन,दो कहानी संकलन तथा पचास से अधिक अनुवाद पुस्तक के लेखक श्री महापात्र लंबे समय तक राष्ट्रीय पुस्तक न्यास,(एन०बी०टी0)नई दिल्ली के राष्ट्रीय बाल साहित्य केन्द्र के प्रमुख भी रहे हैं।इस समय वे पुरी(ओड़िशा) में रहते हैं।(मोबा : 98919 46178)
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