सांता क्लाज़ से
बुधवार, 24 दिसंबर 2008
सबके,
दुनिया भर के बच्चों के
प्यारे सान्ताक्लाज़
एक बार आप
हमारी बस्ती में जरूर आओ ।
हमें नहीं चाहिए
कोई उपहार
कोई गिफ्ट
कोई खिलौना रंग बिरंगा
आपसे
हमें तो बस
किसी बच्चे की
पुरानी , फटी ,गुदड़ी
या फ़िर कोई
उतरन ही दे देना
जो इस हाड़ कंपाती
ठंडक में
हमें जिन्दा रख सके ।
हमारी असमय
बूढी हो चली माँ
झोपडी के कोने में
टूटी चरपैया पर पडी
रात रात भर खों खों खांसती है
बस एक बार
आप उसे देख भर लेना
सुना है
आपके
देख लेने भर से
बड़े से बड़े असाध्य
रोग के रोगी
भी ठीक हो जाते हैं ।
हमारी बडकी दीदी
तो अम्मा के हिस्से
का काम करने
कालोनियों में जाते जाते
पता नहीं कब
अचानक ही
अनब्याही माँ बन गयी
पर छुटकी दीदी के हाथ
हो सके तो
पीले करवा देना ।
हमारे हाथों में
साइकिलों , स्कूटरों , कारों के
नट बोल्ट कसते कसते
पड़ गए हैं गड्ढे (गांठें)
अगर एक बार
छू भर लोगे आप
तो शायद हमारी पीड़ा
ख़तम नहीं तो
कुछ काम तो जरूर हो जाएगी ।
चलते चलते
एक गुजारिश और
प्यारे सान्ताक्लाज़
हमारी बस्ती को तो
रोज़
उजाडा जाता है
हम प्रतिदिन
उठा कर फेंके जाते हैं
दुनिया भर के बच्चों के
प्यारे सान्ताक्लाज़
एक बार आप
हमारी बस्ती में जरूर आओ ।
हमें नहीं चाहिए
कोई उपहार
कोई गिफ्ट
कोई खिलौना रंग बिरंगा
आपसे
हमें तो बस
किसी बच्चे की
पुरानी , फटी ,गुदड़ी
या फ़िर कोई
उतरन ही दे देना
जो इस हाड़ कंपाती
ठंडक में
हमें जिन्दा रख सके ।
हमारी असमय
बूढी हो चली माँ
झोपडी के कोने में
टूटी चरपैया पर पडी
रात रात भर खों खों खांसती है
बस एक बार
आप उसे देख भर लेना
सुना है
आपके
देख लेने भर से
बड़े से बड़े असाध्य
रोग के रोगी
भी ठीक हो जाते हैं ।
हमारी बडकी दीदी
तो अम्मा के हिस्से
का काम करने
कालोनियों में जाते जाते
पता नहीं कब
अचानक ही
अनब्याही माँ बन गयी
पर छुटकी दीदी के हाथ
हो सके तो
पीले करवा देना ।
हमारे हाथों में
साइकिलों , स्कूटरों , कारों के
नट बोल्ट कसते कसते
पड़ गए हैं गड्ढे (गांठें)
अगर एक बार
छू भर लोगे आप
तो शायद हमारी पीड़ा
ख़तम नहीं तो
कुछ काम तो जरूर हो जाएगी ।
चलते चलते
एक गुजारिश और
प्यारे सान्ताक्लाज़
हमारी बस्ती को तो
रोज़
उजाडा जाता है
हम प्रतिदिन
उठा कर फेंके जाते हैं
फूटबोल के मानिंद
शहर के एक कोने से दूसरे
दूसरे से तीसरे
तीसरे से चौथे
और उजडे जाने की यह
अंतहीन यात्रा है….
की ख़तम ही नहीं होती ।
चलते चलते
भागते भागते
हम हो चुके हैं पस्त/क्लांत/परास्त
सान्ताक्लाज़
हो सके तो हमारे लिए भी
दुनिया के किसी कोने में
एक छोटी सी बस्ती
जरूर बना देना ।
सबके
दुनिया भर के
बच्चों के
प्यारे सान्ताक्लाज़
एक बार आप
हमारी बस्ती में जरूर आना .
हेमंत कुमार
शहर के एक कोने से दूसरे
दूसरे से तीसरे
तीसरे से चौथे
और उजडे जाने की यह
अंतहीन यात्रा है….
की ख़तम ही नहीं होती ।
चलते चलते
भागते भागते
हम हो चुके हैं पस्त/क्लांत/परास्त
सान्ताक्लाज़
हो सके तो हमारे लिए भी
दुनिया के किसी कोने में
एक छोटी सी बस्ती
जरूर बना देना ।
सबके
दुनिया भर के
बच्चों के
प्यारे सान्ताक्लाज़
एक बार आप
हमारी बस्ती में जरूर आना .
हेमंत कुमार
9 टिप्पणियाँ:
हमारी असमय
बूढी हो चली माँ
झोपडी के कोने में
टूटी चरपैया पर पडी
रात रात भर खों खों खांसती है
बस एक बार
आप उसे देख भर लेना
सुना है
आपके
देख लेने भर से
बड़े से बड़े असाध्य
रोग के रोगी
भी ठीक हो जाते हैं ।
............ इतनी प्यारी पुकार को सांता क्लॉज़ सुनते हैं
.......ज़रूर आयेंगे
सच पूछा जाये तो आँखें छलक रही हैं और
हाथ दुआ में उठे हैं.......
dear hemant sir,
apki kavitaein such me ekdum yatharth ko darshati hai..or ye bilkul man ki gahraiyon me sama jati hai..such me dukh hota hai in bachchon ki dasha ke bare me soch ke,,,kash ki such me aisa koi sanat aye.....
kash ye kash sirf kash na ho...
chaliye prarthna karte hai milkar ki apki ye fariyaad bhi opr kisi farishte tak pahuche..or in nanhe bachchon ki sooni ankhen bhi krismas ke kisi sitare ko dekh ke jagmaga jaye....
with regards.....
WAH JI. KAISE APKI TAAREEF KARUN SHABD NAHEEN HAIN . BHAVPOORNA KAVITA . BADHAI
नया साल आपको मंगलमय हो
SARAL BHAV..GEHAN ARTH!!
sir, as u r a experienced person in the media industry...can u give me guidence for career in this{writing} field??i wanna some suggestions frm ur side..
Touching,A realistic approach to SANTA CLAUS
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