ठहराव
बुधवार, 23 अगस्त 2017
ठहराव
ठहरो जरा
सुस्ता लो
किसी बूढ़े बरगद की छांव में
किसी घनी नीम की छाया में
किसी बँसवारी के झुरमुट में
किसी कुएं की जगत पर
या इन सबको छोड़
जहां तुम्हें सकून मिल सके
वहीं सुस्ता लो
आखिर इतनी लंबी यात्रा की है तुमने
अपने संघर्षमय जीवन की
तो थोड़ा सुस्ताने का हक तो
बनता ही है तुम्हारा।
किसी घनी नीम की छाया में
किसी बँसवारी के झुरमुट में
किसी कुएं की जगत पर
या इन सबको छोड़
जहां तुम्हें सकून मिल सके
वहीं सुस्ता लो
आखिर इतनी लंबी यात्रा की है तुमने
अपने संघर्षमय जीवन की
तो थोड़ा सुस्ताने का हक तो
बनता ही है तुम्हारा।
ठहराव
चाहे कहीं का भी हो
तुम्हें देता है बहुत कुछ
पेड़ पौधों से बतियाने का मौका
उनके सुख दुख से तादात्म्य
स्थापित करने के खूबसूरत पल
और हां इसके साथ ही
बँसवारी का मधुर संगीत भी तो सुनोगे तुम
वही संगीत जो बचपन में तुम्हें
खींचता था चुम्बक की तरह।
तुम्हें देता है बहुत कुछ
पेड़ पौधों से बतियाने का मौका
उनके सुख दुख से तादात्म्य
स्थापित करने के खूबसूरत पल
और हां इसके साथ ही
बँसवारी का मधुर संगीत भी तो सुनोगे तुम
वही संगीत जो बचपन में तुम्हें
खींचता था चुम्बक की तरह।
और फिर
ठहरने सुस्ताने की प्रक्रिया में ही
यही बरगद नीम पीपल बांसों का झुरमुट
यही सब मिलकर भर देंगे स्वच्छ आक्सीजन तुम्हारे फेफड़ों में
जिससे तुम फिर हो जाओगे तैयार
अपनी आगे की यात्रा जारी रखने को।
यही बरगद नीम पीपल बांसों का झुरमुट
यही सब मिलकर भर देंगे स्वच्छ आक्सीजन तुम्हारे फेफड़ों में
जिससे तुम फिर हो जाओगे तैयार
अपनी आगे की यात्रा जारी रखने को।
इसी
ठहराव में ही तुम मुस्कराओगे
कभी अपने बचपन को याद करके
दूर किसी पगडंडी से गुजरते
एक दो युवा जोड़े खींचेंगे
कुछ खूबसूरत रेखाचित्र
कभी युवावस्था में देखे हुए कुछ
रोमानी ख्वाबों के बिम्बों को भी
कर देंगे साकार तुम्हारे सामने।
कभी अपने बचपन को याद करके
दूर किसी पगडंडी से गुजरते
एक दो युवा जोड़े खींचेंगे
कुछ खूबसूरत रेखाचित्र
कभी युवावस्था में देखे हुए कुछ
रोमानी ख्वाबों के बिम्बों को भी
कर देंगे साकार तुम्हारे सामने।
ठहराव को
मत मानो तुम विराम
ठहरो जरूर कुछ पल सुस्ताओ
लंबी लंबी सांसों से शरीर को
भर दो ऊर्जा से
मुड़ कर देखो भी एक बार अपने पीछे
छोड़ आये लंबे लंबे रास्तों को
फिर मुस्कुराओ थोड़ा सा ही सही
याद करो ठहराव के सुखद पलों को
और बढ़ चलो फिर से आगे
अपने नए पड़ाव की ओर।
0000
डॉ0 हेमन्त कुमार
23/08/2017
ठहरो जरूर कुछ पल सुस्ताओ
लंबी लंबी सांसों से शरीर को
भर दो ऊर्जा से
मुड़ कर देखो भी एक बार अपने पीछे
छोड़ आये लंबे लंबे रास्तों को
फिर मुस्कुराओ थोड़ा सा ही सही
याद करो ठहराव के सुखद पलों को
और बढ़ चलो फिर से आगे
अपने नए पड़ाव की ओर।
0000
डॉ0 हेमन्त कुमार
23/08/2017
5 टिप्पणियाँ:
सही कहा
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