कैसे-कैसे बढ़ता बच्चा-----
शनिवार, 9 जून 2012
(आज
इतना शिक्षित होने के बाद भी प्रायः बहुत से युवा माता पिता अपने नन्हें बच्चों की देखभाल सही ढंग से नहीं कर पाते।उन्हें यह भी नहीं पता होता कि पैदा होने के बाद से बच्चे की क्या जरूरतें रहेंगी?उनकी देख रेख कैसे की जाय?बच्चे
के अंदर हर आने वाले दिन में क्या बदलाव आयेंगे?मैंने अपने इस लेख में पैदाइश से
लेकर 5 वर्ष तक के बच्चों को पालने से सम्बन्धित कुछ खास बिन्दुओं को लिखने कोशिश की है।इससे शायद
उन युवाओं को लाभ मिल सकेगा जिन्हें भविष्य में माता पिता बनना है।)
नारियों को प्रकृति की अनोखी रचना कहा
गया है। अन्य बातों को छोड़ भी दें तो भी इस बात को दुनिया का कोई भी व्यक्ति नहीं
नकार सकता है कि केवल नारियों का शरीर ही बच्चा रचने में समर्थ है। दुनिया की हर
नारी बहुत ही उत्सुकता से उस दिन का इन्तजार करती है जब उसे मां बनने का सुख
मिलेगा।इसीलिये हर नारी के साथ ही पुरुषों को भी बच्चों के पालन पोषण से सम्बन्धित
कुछ बातें जरूर जाननी चाहिये।ताकि वे अपने बच्चों का सही विकास कर सकें।
प्यार,सफ़ाई,टीका ,भोजन दें हम उसको अच्छा॥
बच्चे के जीवन के पहले साल में की जाने वाली देखभाल ही उसके आगे के जीवन की
नींव मजबूत बनाती है।यहां हम आपको कुछ खास गुर बता रहे हैं,जिससे आप पहले साल में
अपने बच्चे की सही देख भाल कर सकते हैं।
कपड़े:-बच्चे को ढीले,नरम और सूती कपड़े ही पहनायें।बाजार से खरीदे कपड़े धो कर ही पहनायें।मौसम के हिसाब से उसे
ऊनी या सूती कपड़े पहनायें। नाइलोन या सेन्थेटिक कपड़ों का इस्तेमाल कम
से कम करें।
सफ़ाई:- बच्चे को हमेशा साफ़ सुथरा रखें।उसे शुरू से ही रोज नहाने की आदत डालें।नाखूनों को काटकर छोटा रखें।
स्तनपान:- यह बच्चे के लिये बहुत जरूरी है। खासकर पैदाइश के आधे घण्टे बाद मां के स्तन से निकलने वाली “खीस” बच्चे को जरूर पिलायें।यह बच्चे
में जीवन भर रोगों से लड़ने की
ताकत पैदा करता है।स्तनपान करते समय बच्चे को शुद्ध गरम दूध मिलता है।
यह आसानी से पचता है और बच्चे की रोग रोधी ताकत को बढ़ाता है।हां,स्तनपान
हमेशा सही ढंग से ही कराना चाहिये।
अन्य आहार:- चार पांच माह के बच्चे के लिये मां के दूध के अलावा ऊपरी
आहार की जरूरत होती है।इसके लिये
उसे:(1) ऊपर का दूध,सब्जी,दाल का जूस,फ़लों का रस आदि तरल पदार्थ दें।(2) उसे
कुछ तरल ठोस चीजें जैसे घुटी हुयी दाल,अनाज की लप्सी,पका
हुआ केला या उबला आलू(मसलकर) दें।उसे ठोस चीजें जैसे कच्चे फ़ल,चावल का
माड़,दाल,सब्जियां या सूजी का हलवा भी दें।धीरे धीरे मां का दूध कम
हो जायेगा।स्तनपान छोड़ने के बाद उसे ऊपरी दूध दिन में 5-6
बार दें।उसे रात 10 बजे से सुबह 6 बजे तक सोने दें।बच्चे को तीसरे चौथे माह अन्य तरल
चीजें देना शुरू करें। पांचवे छ्ठे माह कुछ गीली ठोस चीजें,आठवें
नवें माह ठोस,तथा बारहवें माह से साधारण खाना देना शुरू करें।
शारीरिक विकास:-बच्चे के सामान्य शारीरिक विकास
की जानकारी उसकी बढ़ती लंबाई और वजन से हो सकती है।
आयु(माह में) -- वजन किलो में –लंबाई सेण्टी मी0 में—लंबाई इंच में
पैदाइश के समय—
3------ ------45--------- -----18-------
-------1------ ---4------ ------50--------- -----20-------
------2------- ----5------ ------55--------- -----22-------
------3------- ----5.5---- ------60--------- -----24-------
-----4-------- ----6------ ------62--------- -----25-------
-----5-------- ----6.5---- ------65--------- -----26-------
-----6-------- ----7------ ------70--------- -----28-------
-----8-------- ----7.7---- ------75--------- -----30-------
-----10------- ----8.9---- ------80--------- -----32-------
-----12------- ----9.2---- ------90--------- -----36-------
जब आपका बच्चा एक से डेढ़ साल के बीच पहुंच जाय,आप उसे दिन में कम से कम 5-6 बार खाना खिलायें। ड़ेढ़ से तीन साल के बीच पहुंचने
पर आप यह ध्यान रखें कि उसका भोजन एक बड़े व्यक्ति का आधा हो।बच्चे के विकास को 5 भागों में बांटा जा सकता है।
शारीरिक,मानसिक,भाषा सम्बन्धी, सामाजिक और रचनात्मक।
सामान्य विकास के कुछ संकेत:-
1 से 2 हंसता,मां को पहचानता
है।
3 से 4 अपनी गर्दन संभाल सकता
है।
4 से 5 करवट बदलना,खिलौने
पकड़ना।
6 से 7 बैठना,खिलौने पकड़ना।
8 से 9 घुटने के बल चलना।
10से12 सहारा लेकर खड़ा
होना।चलने की कोशिश।
बच्चा चले फ़िरे छुये हर चीज।
एक से तीन साल के बीच बच्चा----
*ज्यादा से ज्यादा जानना चाहता है।
*घर के लोगों को पहचानता है।
*अकेले खेलना पसद करता है।
*शौच करने की समझ आती है।
चौथा साल बनाओ अच्छा।
इस उम्र में बच्चा अपनी पहचान चाहता है।हाथ,आंख का तालमेल बैठाता है।बड़ों की नकल करता है।भाषा,रंग,आकार की समझ बढ़ाता है। नये शब्द सीखता है।
चार साल का हो गया बच्चा
दिलवाओ इसको अब शिक्षा।\
इस उम्र में बच्चा हर काम खुद करना चाहता है।कहानी सुनता,समझता है।मिलजुल कर खेलना चाहता है।
लिखता,पढ़ता और समझता।
बच्चा अब संतुलन बना लेता है।लिखने की शुरुआत के साथ कल्पना शक्ति का विकास। नियम से खेलने ,आसान काम करने की क्षमता का विकास होता है।
9 माह पर -- बच्चा चाहेगा कि आप उसे
कुछ पढ़ कर सुनायें।सुनकर वह शब्दों को समझने की कोशिश करेगा।
1 साल पर -- किताब के पन्ने पलट
सकेगा।उसे छोटी छोटी कहनियां पढ़ कर सुनायें।रंगीन चित्र दिखायें।
2 साल पर -- किताबें पसन्द करेगा।
आपके पढ़ने पर खुश होगा।उसे रोज नयी किताबें पढ़ कर सुनाइये।
किताबों से उसे खेलने दीजिये।
3 साल पर -- बच्चे की क्रियाशीलता
बढ़ जाती है। वह हर चीज जानने,समझने,छूने की कोशिश करता है।उसे छोटी कहानियां गीत
सुनाइये।
4 साल पर -- इस उम्र में आकाश,सूरज
,चांद,जानवर बच्चे को अच्छे लगते हैं।उसे ऐसी किताबें पढ़ कर
सुनायें जो उसकी कल्पना को बढ़ायें।अच्छे गीत सुनायें।
5 साल पर -- अब वह गद्य,कहानियां
पढ़ने,सुनने के योग्य हो जाता है।उसकी उत्सुकता पढ़ने,सुनने,जानने के प्रति बढ़ जाती है।उसे रोज कुछ पढ़ कर सुनायें। आपको चाहिये
कि बच्चे को कम से कम रोज एक कहानी सुनायें।कहानी सुनाने से
उसकी कल्पना शक्ति का विकास होगा साथ ही वह नये शब्दों,भाषा को
सीखेगा।
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डा0हेमन्त
कुमार
6 टिप्पणियाँ:
नव विवाहितों के लिये संग्रहणीय आलेख..
सार्थक आलेख ... जानकारी का लाभ उठाना चाहिए जरूरतमंदों कों ...
bahut hi sarahniye prayas hai yah apka,
बेहतरीन प्रस्तुति।
कल 13/06/2012 को आपकी इस पोस्ट को नयी पुरानी हलचल पर लिंक किया जा रहा हैं.
आपके सुझावों का स्वागत है .धन्यवाद!
'' छोटे बच्चों की बड़ी दुनिया ''
acchi jankari sabke liye....
बहुत ही अच्छा और संग्रहणीय आलेख
सादर
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