I am a writer and media person.My aim in life is to see a smiles on the face of all children in the universe. I am writing for children and adults, both for 30 years. Working continuously in print and on electronic media.Some 40 books of rhymes,stories, poetry,short plays including also a children's encyclopedia & illustrated dictionary are published in Hindi.I am also writing for different radio programmes. At present I am working on EducationalTelevision,Lucknow,(India.As part of my job I wrote about 300 scripts for E.T.V.and also produced more than 200 programmes.
15 टिप्पणियाँ:
बहुत उम्दा रचना है।बधाई।
इस जंगल के
दरख्तों से
क्यों पूछते हो
इनकी खैरियत ।
इन दरख्तो को भी दर्द होता है. इनका एहसास भी अपने एहसास से रूबरू करवा दो.
बहुत सुन्दर रचना
मर्मस्पर्शी रचना.
यह samsya देखें कब ख़तम होती है.जंगल bachane की मुहीम कितनी रंग लाती है.
मार्मिक कथ्य...गहरे भाव!
जंगलो मे पेड ना होने पर इस का असर पक्षियो पर भी पडा है।जिन का कल तक उस पर आशियाना था।
क्या खूब लिखा है
वाह !!
वाह कितना कमाल का लिखा है .........एक गंभीर समस्या के प्रति लिखा है आपने ..........
दरख्तों से
क्यों पूछते हो
इनकी खैरियत ।
bahut achha likha aapne दरख्तो ka दर्द jintni jaldi logon ko samjh aa jay, utna achha.
दहशतजर्द चेहरों पर तो
खुद ही चस्पा है
रोज तिल तिल कर
मरते हुये
अपने जिबह होने के
इन्तजार
की तस्वीरें
हेमंत जी प्रकृति से ही मनुष्य जीवन है ...हमें इन्हें बचाना चाहिए ....प्रकृति के दर्द को उकेरती बहुत सुंदर रचना ......!!
वर्तनी में सुधार करें...कुछ लय नहीं बन रही ....इन्तजार तक ही रहने देते तो ठीक था ....कृपया अन्यथा न लें ....!!
vatavaran aur ham ek dusare ke bina nahi rah sakate.mahatva ko samajhanaa hi hogaa.
jvalant mudde ko le likhee marmik rachana .
badhai .
jvalant mudde ko le likhee marmik rachana .
badhai .
वक़्त की हाथ में कांटे उग आये हैं शायद,
जहाँ भी छूटा है, एक नया जख्म
हाँ जैसे मरने वाले से पूछो कि तेरा हाल क्या है।
कविता बहुत भाई।
sundar blog hai aapka. rahat mili.
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