बचपन
रविवार, 17 मई 2009
एक बचपन
मांगता है
रोबोट राकेट
सुबह सुबह
दूसरा रोटी।
एक बचपन
सिर पर उठा लेता है
पूरे घर को
दूसरा बोझ।
एक बचपन
बनता है मदारी
दूसरा जमूरा।
एक बचपन
पढ़ता है पुस्तकें
दूसरा
कठिन समय को।
बचपन होता है
राष्ट्र का भविष्य ।
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कवि:शैलेन्द्र
प्रभारी सपादक ‘जनसत्ता’
कोलकाता संस्करण
मोबाइल न—09903146990
0 श्री शैलेन्द्र हिन्दी के सुपरिचित कवि एवम वरिष्ठ पत्रकार हैं। आपके अब तक तीन काव्य संकलन प्रकाशित हो चुके हैं।कविताओं के साथ ही समय समय पर दिनमान,रविवार,श्रीवर्षा,हिन्दी परिवर्तन,जनसत्ता आदि पत्र पत्रिकाओं में समाचार कथायें,लेख,टिप्पणियां,कुछ कहानियों का प्रकाशन।पत्रकारिता में एक लंबी संघर्षमय यात्रा पूरी करके इस समय ‘जनसत्ता’ के कोलकाता संस्करण में प्रभारी संपादक पद पर कार्यारत हैं।
हेमन्त कुमार द्वारा प्रकाशित।
17 टिप्पणियाँ:
एक बचपन
सिर पर उठा लेता है
पूरे घर को
दूसरा बोझ।
शैलेन्द्र जी की सार्थक..........आज के समय पर खरी उतरती रचना के लिए धन्यवाद हेमंत जी...........
कवि शैलेन्द्र जी ,बचपन राष्ट्र का भविष्य है,उसकी मांग बताती है,देश का बचपन क्या है..
हमे सन्तोष (?) है कि हमने इन दोनो का संतुलित बचपन जिया है। पगडण्डी थी हल्की सी, बाकी राह बनाई।
हेमंत जी के माध्यम से
आज अचानक आपसे मुलाकात
करके बहुत ख़शी हुई!
आपकी यह कविती अनूठी है!
क्या आपको मेरी याद है!
एक बचपन
सिर पर उठा लेता है
पूरे घर को
दूसरा बोझ।
एक बचपन
बनता है मदारी
दूसरा जमूरा।
हेमंत जी,
कवि शैलेन्द्र जी की ये बहोत ही प्रभावशाली कविता है बाल जीवन को लेकर ,,,,शायद ही कहीं इतनी गहन कविता पढने को मिली हो ....इतनी सरलता से उन्होंने दो बाल जीवन की पर्थाक्यता को दर्शा दिता है ....आभार ....!!
shukria hemant jee. aabhar sabhi tippani likhane balon ka,
ravi jee, aapko bhula nahin hun. kaise bhul sakata hun. ek hi panne par chape then hum dono our aapane pyari chitthi likhi thi. chitthion ka likha jana kitana kam ho gaya hai.
phir se sabhi ka aabhar.
shailendra.
शैलेंद्र जी,
आपकी टिप्पणी पढ़कर प्रसन्नता हुई!
एक बचपन
बनता है मदारी
दूसरा जमूरा।
kitna sach hai yeh sab...
bahut sundar
एक उत्कृष्ट कविता पढ़वाने के लिए साधुवाद.
एक बचपन
सिर पर उठा लेता है
पूरे घर को
दूसरा बोझ।
-उत्कृष्ट प्रभावशाली कविता.
EK BACHPAN BANTAA HAI MADARI DUSRAA JAMURAA, JEEVAN KAA KADUAA SATYA RACHNA KE PRAKAASHAN KE LIYA BADHAAI
Priti
बहुत ही अच्छा और सच्चा लिखा है
अक्षय-मन
बहुत अच्छी कोशिश है।
Gehra prabhav chodti hai yah rachna.Badhai.
kanya bhroon hatyaa par nai kahaani blog par dalii hai ho sake to padhe
priti
प्रभावशाली कविता है बाल जीवन को लेकर!!!
धन्यवाद हेमंत जी...........!!
किफायत सहित इस्तेमाल किए गए कीमती शव्द.
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