लघुकथा --उत्तराधिकारी
शुक्रवार, 3 अप्रैल 2009
गंगू को मरे बीस साल से ज्यादा हो चुके थे। उसकी सारी कमाई उसका पुत्र मंगू उड़ा चुका था। लेकिन मंगू भी विष्णु का भक्त था । उसने भी अपने पिता की ही तरह वर्षों विष्णु भगवान की तपस्या की। अंत में भगवान विष्णु ने प्रसन्न होकर उसे दर्शन दिया। भगवान विष्णु मुस्कराए और बोले,---“हे वत्स वर्षों से तुम मेरी तपस्या कर रहे हो बोलो तुम्हें क्या चाहिए?”
“हे नाथ !बस मुझे आपकी भक्ति मिलती रहे यही मेरी इच्छा है.”मंगू चतुराई से बोला।
“मंगू! मैं तुम्हारी भक्ति से प्रसन्न हूँ। आज जो चाहे मांग लो।” भगवान विष्णु ने कहा।
मंगू ने कुछ क्षणों तक सोचा। फ़िर अपनी वाणी में शहद घोलता हुआ बोला, “हे मेरे आराध्य देव आप मुझे मेरे पिता की तरह ही ‘नेता’ बना दीजिये।”
“क्या? नेता…ऐसा कदापि नहीं हो सकता।” विष्णु भगवान नाराज होकर बोले।
“ पर..पर आपने मेरे पिता को तो…..”
“तब में और अब में बहुत अन्तर आ चुका है मंगू। समय बहुत बदल चुका है। मैं तुम्हें…नेता…बनने का वरदान नहीं दे सकता।” भगवान विष्णु मंगू की बात काट कर बोले।
“लेकिन मेरे अन्दर कमी क्या है?”मंगू ने पूछा।
“कमी…?”भगवान विष्णु के माथे पर बल पड़ गए।” बताओ तुमने आज तक कितनी हत्याएं की हैं?”
“एक भी नहीं प्रभु।” मंगू सहम कर बोला।
“तुमने कितने बलात्कार किए हैं?”विष्णु ने पूछा।
“भला मैं ये पाप कैसे कर सकता हूँ।” मंगू बोला।
“तुमने आज तक कितनी बैंक डकैतियां की?”भगवान विष्णु ने तेज आवाज में पूछा।
“ये अनर्थ मुझसे नहीं हो सकता था स्वामी।” मंगू रुंआसा हो गया।
“तुम्हारे खिलाफ कितने थानों में स्मगलिंग,ड्रग्स के धंधे और किडनैपिंग के केस दर्ज हैं?”भगवान विष्णु खीझ कर बोले।
“एक भी नहीं मेरे आराध्य देव।” मंगू रोते हुए भगवान के चरणों में गिर पड़ा।
“तो जाओ मंगू । ये सभी काम पूरे करके थोड़ा अनुभव प्राप्त करो। फ़िर मुझसे ‘नेता’बनने का वरदान मांगना।” भगवान विष्णु मुस्कराकर बोले और अंतर्ध्यान हो गए।
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“हे नाथ !बस मुझे आपकी भक्ति मिलती रहे यही मेरी इच्छा है.”मंगू चतुराई से बोला।
“मंगू! मैं तुम्हारी भक्ति से प्रसन्न हूँ। आज जो चाहे मांग लो।” भगवान विष्णु ने कहा।
मंगू ने कुछ क्षणों तक सोचा। फ़िर अपनी वाणी में शहद घोलता हुआ बोला, “हे मेरे आराध्य देव आप मुझे मेरे पिता की तरह ही ‘नेता’ बना दीजिये।”
“क्या? नेता…ऐसा कदापि नहीं हो सकता।” विष्णु भगवान नाराज होकर बोले।
“ पर..पर आपने मेरे पिता को तो…..”
“तब में और अब में बहुत अन्तर आ चुका है मंगू। समय बहुत बदल चुका है। मैं तुम्हें…नेता…बनने का वरदान नहीं दे सकता।” भगवान विष्णु मंगू की बात काट कर बोले।
“लेकिन मेरे अन्दर कमी क्या है?”मंगू ने पूछा।
“कमी…?”भगवान विष्णु के माथे पर बल पड़ गए।” बताओ तुमने आज तक कितनी हत्याएं की हैं?”
“एक भी नहीं प्रभु।” मंगू सहम कर बोला।
“तुमने कितने बलात्कार किए हैं?”विष्णु ने पूछा।
“भला मैं ये पाप कैसे कर सकता हूँ।” मंगू बोला।
“तुमने आज तक कितनी बैंक डकैतियां की?”भगवान विष्णु ने तेज आवाज में पूछा।
“ये अनर्थ मुझसे नहीं हो सकता था स्वामी।” मंगू रुंआसा हो गया।
“तुम्हारे खिलाफ कितने थानों में स्मगलिंग,ड्रग्स के धंधे और किडनैपिंग के केस दर्ज हैं?”भगवान विष्णु खीझ कर बोले।
“एक भी नहीं मेरे आराध्य देव।” मंगू रोते हुए भगवान के चरणों में गिर पड़ा।
“तो जाओ मंगू । ये सभी काम पूरे करके थोड़ा अनुभव प्राप्त करो। फ़िर मुझसे ‘नेता’बनने का वरदान मांगना।” भगवान विष्णु मुस्कराकर बोले और अंतर्ध्यान हो गए।
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हेमंत कुमार
10 टिप्पणियाँ:
वह हेमंत जी
कहानी के माध्यम से कितनी सचाई बयान कर दी. आज के नेताओं का सही चरित्र बयान कर दिया आपने तो..............लाजवाब
कर दिया ना काम! ;)
व्यंग्य बाण अचूक चलाया है .....बहुत बढिया
आज के नेता की सच्चाई बखान करती तीखे व्यंग्य वाली कथा हेतु साधुवाद..
बढिया व्यंग्य है।यही नेताओ का चरित्र है।
आपकी दोनों लघुकथाएं पसंद आईं.अच्छे व्यंग्य है .
बताओ तुमने आज तक कितनी हत्याएं की हैं?”
“एक भी नहीं प्रभु।” मंगू सहम कर बोला।
“तुमने कितने बलात्कार किए हैं?”विष्णु ने पूछा।
“भला मैं ये पाप कैसे कर सकता हूँ।” मंगू बोला।
“तुमने आज तक कितनी बैंक डकैतियां की?”भगवान विष्णु ने तेज आवाज में पूछा।
“ये अनर्थ मुझसे नहीं हो सकता था स्वामी।” मंगू रुंआसा हो गया।
“तुम्हारे खिलाफ कितने थानों में स्मगलिंग,ड्रग्स के धंधे और किडनैपिंग के केस दर्ज हैं?”भगवान विष्णु खीझ कर बोले।
“एक भी नहीं मेरे आराध्य देव।” मंगू रोते हुए भगवान के चरणों में गिर पड़ा।
“तो जाओ मंगू । ये सभी काम पूरे करके थोड़ा अनुभव प्राप्त करो। फ़िर मुझसे ‘नेता’बनने का वरदान मांगना।”
वाह .....! हेमंत जी नेता बनाने के बहुत गुण आते हैं आपको .....!!
Balla kaa saach hai sabhi netaoo ko bejh de
Balaa aa sach hai sabhii netaao ko bejh do
व्यंग्य और यथार्थ दोनों हैं। बढ़िया।
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