लघु कथा ---दूरदर्शी
शुक्रवार, 27 मार्च 2009
गंगू बहुत वर्षों से भगवान की तपस्या में लगा था। एक दिन भगवान विष्णु मुस्कराकर उससे बोले---“वत्स!तुम वर्षों से मेरी तपस्या कर रहे हो। बोलो,तुम्हें कौन सी वस्तु चाहिए…..धन”?
गंगू बोला —“नहीं देव!”
भगवान विष्णु बोले —“तो…ऐश्वर्य?”
गंगू बोला —“देव!केवल ऐश्वर्य लेकर कोई मनुष्य जीवित नहीं रह सकता।”
विष्णु पुनः बोले-“अच्छा तो फ़िर…..तुम शक्ति ले लो।”
गंगू ने कहा---“नहीं देव!शक्ति से मनुष्य के मन में अंहकार उत्पन्न होता है..और अंहकार मनुष्य को नष्ट कर देता है।”
“अच्छा!तुम्हें यदि संपूर्ण पृथ्वी का स्वामी बना दिया जाय?”
गंगू ने धैर्य पूर्वक उत्तर दिया,“क्षमा करें देव!मैं अपने इस शरीर का ही बोझ नहीं उठा पा रहा हूँ….तो इस संपूर्ण पृथ्वी का बोझ कैसे उठा सकूंगा?”
अंत में विष्णु भगवान थोड़ा खीझ कर बोले---“फ़िर मुझसे क्या चाहते हो?”
गंगू मुस्कराता हुआ बोला,“भगवान आप मुझे यही वरदान दे दें की मैं जल्द ही एक“नेता”बन जाऊं।” विष्णु भगवान ने गंगू की इस दूरदर्शिता पर मुस्कराकर कहा----“तथास्तु!”और अंतर्ध्यान हो गए।
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हेमंत कुमार
गंगू बोला —“नहीं देव!”
भगवान विष्णु बोले —“तो…ऐश्वर्य?”
गंगू बोला —“देव!केवल ऐश्वर्य लेकर कोई मनुष्य जीवित नहीं रह सकता।”
विष्णु पुनः बोले-“अच्छा तो फ़िर…..तुम शक्ति ले लो।”
गंगू ने कहा---“नहीं देव!शक्ति से मनुष्य के मन में अंहकार उत्पन्न होता है..और अंहकार मनुष्य को नष्ट कर देता है।”
“अच्छा!तुम्हें यदि संपूर्ण पृथ्वी का स्वामी बना दिया जाय?”
गंगू ने धैर्य पूर्वक उत्तर दिया,“क्षमा करें देव!मैं अपने इस शरीर का ही बोझ नहीं उठा पा रहा हूँ….तो इस संपूर्ण पृथ्वी का बोझ कैसे उठा सकूंगा?”
अंत में विष्णु भगवान थोड़ा खीझ कर बोले---“फ़िर मुझसे क्या चाहते हो?”
गंगू मुस्कराता हुआ बोला,“भगवान आप मुझे यही वरदान दे दें की मैं जल्द ही एक“नेता”बन जाऊं।” विष्णु भगवान ने गंगू की इस दूरदर्शिता पर मुस्कराकर कहा----“तथास्तु!”और अंतर्ध्यान हो गए।
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हेमंत कुमार
8 टिप्पणियाँ:
:-)
हेमंत जी
अच्छा वरदान माँगा उस ने..........दूदर्शी था
नेता बन कर सब कुछ अपने एपी ही पा लेगा
हेमंत जी,
इसका अर्थ हुआ कि नेता नाम के इस आधुनिक दैत्य के वध के लिए भगवान विष्णु को फिर से अवतार लेना पड़ेगा!
गंगू मुस्कराता हुआ बोला,“भगवान आप मुझे यही वरदान दे दें की मैं जल्द ही एक“नेता”बन जाऊं।”...
सोचने वाली बात है...क्या नेताओं को सारे सुख नसीब होते हैं.....???
चुनावी गहमागहमी है ..इस मौके पर नेता और जनता के अलावा तो कुछ सुनाई नही देता है । रुतबे औऱ रोब से समाज में नेताओ का चरित्र इस कदर ओजस्वी हो गया है कि सभी नेता बनना चाहते है । नेता बनने का मतलब है ऊची ओहदेवाला होना । इसलिए तो आजकल भगवान से भी नेता बनने के वरदान मागें जाते है धन्यवाद
आशा है गंगू ने अब टिकट भी कबाड़ लिया होगा और चुनाव लड़ रहा होगा.
Is baar gagar me sagar bhar laye aap to.Badhai.
Hemantji,
Shayad aap abhitak mujhse naraz hain....phir ekbaar apnee khatakee maafee chahtee hun....kshama karen...chahe tabiyat kharab ho ya any kuchh karan, dobara aisee galati nahee karungi..aaplogonki rahnumayee sehee likh paatee hun, adna-si wyakti hun...
Aapke lekhanpe tippanee karun, itnee to meree haisiyatbhee nahee...
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