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“बालवाटिका” के “संस्मरण” और “पर्यावरण” विशेषांक….।

शुक्रवार, 8 जुलाई 2016

             
     आज विज्ञापनों की चकाचौंध और बाजारवाद के युग में कोई पत्रिका निकालना और उसके स्तर को बरकरार रखना अपने आप में एक कठिन काम है।खासकर बच्चों की पत्रिकाओं के सन्दर्भ में यह बात ज्यादा लागू होती है।और उस स्थिति में तो और जब आपको यह पत्रिका पूरी तरह अपने बलबूते पर निकालनी हो।जब आपके पास प्रकाशन का एक बड़ा सेटप न हो।जब आपको पत्रिका के लिये स्तरीय सामग्री जुटाने से लेकर उसके प्रकाशन और प्रचार प्रसार की व्यवस्था खुद ही सम्हालनी हो।जब आपके पास सबसे बड़ी समस्या पत्रिका में खर्च किये जा रहे धन की वापसी की हो।ऐसी ही कई गम्भीर समस्याएं हैं जिनसे एक गैर व्यावसायिक पत्रिका निकालने वाले को रूबरू होना पड़ता है।और इन सारी मुसीबतों को झेलते हुये अगर कोई बाल पत्रिका निकालने का साहस कर रहा है तो वह निश्चय ही बाल साहित्य,बाल पत्रकारिता के क्षेत्र में बहुत बड़ा योगदान कर रहा है।
                  कुछ ऐसे ही संघर्षों के दौर से गुजरते हुये खुद को स्थापित किया है बाल पत्रिकाबालवाटिकाने।मैंबालवाटिकाका कई वर्षों से पाठक हूं।पर इधर के कुछ सालों में मैंबालवाटिकासे पाठक के साथ  ही बतौर लेखक भी जुड़ गया हूं।इसके अंकों के कलेवर में इधर जो सकारात्मक बदलाव आये हैं उसका पूरा श्रेय पत्रिका के सम्पादक डा0 भैरूंलाल गर्ग जी के साथ पत्रिका की पूरी सम्पादकीय टीम को जाता है।डा0भैरूं लाल गर्ग जी सिर्फ़ बालवाटिकानाम की पत्रिका नहीं निकाल रहे बल्कि हिन्दी बाल साहित्य के प्रचार और प्रसार के साथ इस पत्रिका के माध्यम से हिन्दी बाल साहित्य के नये और पुराने रचनाकारों को जोड़ने और उन्हें एक मंच पर एकत्रित करने की वह साधना कर रहे जो एक समर्पित सन्यासी ही कर सकता है।
   “बालवाटिकाके इधर आये विशेषांकों में दो विशेषांक तो बहुत ही महत्वपूर्ण और संग्रहणीय हैं।पहला संस्मरण विशेषांक”(मई-2016) और दूसरापर्यावरण विशेषांक”(जून-2016)
               पहले मैं बात करूंगा बालवाटिका केसंस्मरण विशेषांककी।बच्चों को उपलब्ध बाल साहित्य में ज्यादातर कहानियां,कविताएं,नाटक,गीत,निबन्ध,उपन्यास,यात्रा वृत्तान्त या अन्य रोचक और रोमांचक सामग्री ही पढ़ने के लिये मिल पाती है।लेकिन कभी कभी बच्चों के मन में भी यह सवाल जरूर आता होगा कि उनके लिये ये सारा साहित्य कौन लिखता है?उनका जीवन कैसा होता होगा?या उनका बचपन कैसे बीता होगा?क्या वो लोग भी उन्हीं की तरह बचपन में शरारतें करते रहे होंगे?या इस जैसे ही और भी ढेरों प्रश्न।
                     बच्चों की ऐसी ही जिज्ञासाओं को शान्त करेगाबालवाटिकाका संस्मरण विशेषांक।जिसमें नये पुराने लगभग 28 प्रतिष्ठित बाल साहित्यकारों के बचपन की यादों को संजोया गया है।बचपन के संस्मरणों के इस खण्ड में बच्चे अपने सभी प्रिय लेखकों प्रकाश मनु,राम दरश मिश्र,देवेन्द्र कुमार,दिविक रमेश,डा0 भैरूं लाल गर्ग,रमेश तैलंग,सूर्यनाथ सिंह,मंजुरानी जैन,प्रहलाद श्रीमाली,गोविंद शर्मा, जैसे स्थापित नामों के साथ ही नागेश पाण्डेय,रेनु चौहान,रावेन्द्र रवि जैसे युवा बाल साहित्यकारों के बचपन की यादों को पढ़ सकेंगे। और उनकी ये यादें निश्चित रूप से बच्चों के मन को गुदगुदाएंगी।यहां मेरा मकसद संस्मरण लेखकों के नाम गिनाना नहीं बल्कि मैं बाल पाठकों के उस आनन्द को बताना चाहूंगा जो इन संस्मरणों को पढ़ कर वो महसूस करेंगे।कि अरे तो ये हमारी तरह ही साहित्यकार भी बचपन में इतनी शरारतें करते थे?इन्होंने भी बगीचे से अमरूद तोड़ा है? या इन्होंने भी स्कूल की कक्षा छोड़ कर शैतानियां की।फ़िर उस समय उनका मन जिस तरह आह्लादित होगा उसे हम भी इन संस्मरणों को पढ़ कर ही महसूस कर सकते हैं।एक बात और ये संस्मरण निश्चित रूप से बच्चों को कुछ अच्छा करने की प्रेरणा भी देंगे।इस दृष्टि से बाल वाटिकाका यह संस्मरण विशेषांक महत्वपूर्ण है।
        इन संस्मरणों के साथ ही इस अंक में बच्चों के ज्ञानवर्धन के लिये अलग अलग विषयों पर तीन लेख,मो0अरशद खान,विनायक और पंकज चतुर्वेदी की कहानियां,लगभग 14 बाल कविताएं तथा तीन पुस्तकों की समीक्षाएं प्रकाशित हैं।यानि कि वो सभी सामग्रियां जो एक अच्छी पत्रिका में होनी चाहिये।
                      अब थोड़ी बातबालवाटिकाकेपर्यावरण विशेषांककी।ये तो हम सभी जानते हैं कि पर्यावरण इस समय हमारे पूरे विश्व की चर्चा के केन्द्र में है।पूरी दुनिया में लोग अपनी इस धरती के बिगड़ते जा रहे पर्यावरण को लेकर चिंतित हैं,इस असन्तुलित होते जा रहे पर्यावरण को कैसे बचाया जाय इस पर चर्चाएं।,कोशिशें कर रहे।लोगों को सचेत कर रहे कि अभी भी समय है सम्हल जाओ और बचा लो अपनी इस धरती और यहां की प्राकृतिक सम्पदा को अन्यथा समय निकल जाने पर सिवाय धरती के विनाश के कुछ भी सम्भव नहीं रहेगा।
    तो ऐसे माहौल में हमारा यह भी कर्तव्य बनता है कि हम अपने इस पर्यावरण और धरती के प्रति अपनी सभी चिन्ताओं,विचारों,प्रयासों में अपने बच्चों को भी शामिल करें।उन्हें भी इस पर्यावरण असन्तुलन की भयावहता के बारे में बताएं।उन्हें भी इसे रोकने और धरती को बचाने के उपायों को समझाएं।क्योंकि अन्ततः धरती पर हामारे बाद हमारे बच्चों को ही रहना है।तो क्या हम उन्हें यह धरती ऐसे ही विनाश के कगार पर पहुंचा कर दे देंगे?हमें निश्चित रूप से अपनी आने वाली पीढ़ी को भी बताना होगा कि हमारी किन गलतियों के कारण हमारी धरती इस हालत तक पहुंची है?हम इसे कैसे बचा सकते हैं?
           “बालवाटिकाका पर्यावरण विशेषांक निकालने के पीछे संपादकीय टीम का भी मकसद अपने बाल पाठकों को इस धरती पर बढ़ रहे पर्यावरणीय असन्तुलन को बताना और इसे रोकने के उपायों के प्रति जागरूक करना था।यह बात इस अंक में प्रकाशित सामग्री को पढ़ने से स्पष्ट हो जाती है।इस अंक में भी बच्चों के लिये प्रतिष्ठित रचनाकारों की लगभग नौ कहानियां,नौ ही कविताएं,पांच लेख और आठ संस्मरण तथा पुस्तक समीक्षाएं हैं।यानि कि बच्चों के मनोरंजन और ज्ञानवर्धन की पूरी सामग्री।बालवाटिकाका यह पर्यावरण विशेषांक निश्चित रूप से बच्चों तक पर्यावरण संरक्षण का सन्देश पहुंचाने मे सक्षम होगा।और यही पत्रिका के इस विशेषांक का मकसद भी है।
                “बालवाटिकाके इन दोनों अंकों का कलेवर निश्चित रूप से किसी व्यावसायिक पत्रिका से कम नहीं है।साथ ही इन अंकों में प्रकाशित सामग्री का स्तर भी पत्रिका को पठनीय और संग्रहणीय बनाता है।
        “बालवाटिकासे जुड़े एक प्रसंग का मैं यहां उल्लेख करना चाहूंगा।इसके दोनों अंकों को मेरे पास देख कर मेरे एक मित्र (प्रतिष्ठित उपन्यासकार )ने मुझसेबालवाटिकाके दोनों अंक एक दिन के लिये उधार लिया।और अगले दिन पत्रिका वापस करते समय उन्होंने जो बात कही वह चमत्कृत करने वाली थी।उन्होंने कहा किभाई बालवाटिका तो बाल साहित्य कीहंसहै।यह बालवाटिका के लिये एक बहुत ही गौरवपूर्ण टिप्पणी है।
      कुल मिलाकरबालवाटिकाकेसंस्मरणऔरपर्यावरणदोनों ही विशेषांक बाल पाठकों का मनोरंजन, ज्ञानवर्धन तो करेंगे ही साथ ही उन्हें आगामी भविष्य के लिये एक बेहतर नागरिक के रूप में तैयार भी करने का प्रयास करेंगे। इसके लियेबालवाटिकाकी पूरी टीम को हार्दिक बधाई और साधुवाद।
                      0000
डा0हेमन्त कुमार

  

1 टिप्पणियाँ:

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' 9 जुलाई 2016 को 3:31 am बजे  

आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल रविवार (10-07-2016) को "इस जहाँ में मुझ सा दीवाना नहीं" (चर्चा अंक-2399) पर भी होगी।
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सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
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चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
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हार्दिक शुभकामनाओं के साथ
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

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. ‘देख लूं तो चलूं’ "आदिज्ञान" का जुलाई-सितम्बर “देश भीतर देश”--के बहाने नार्थ ईस्ट की पड़ताल “बखेड़ापुर” के बहाने “बालवाणी” का बाल नाटक विशेषांक। “मेरे आंगन में आओ” ११मर्च २०१९ ११मार्च 1mai 2011 2019 अंक 48 घण्टों का सफ़र----- अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस अण्डमान का लड़का अनुरोध अनुवाद अपराध अपराध कथा अभिनव पाण्डेय अभिभावक अम्मा अरुणpriya अर्पणा पाण्डेय। अशोक वाटिका प्रसंग अस्तित्व आज के संदर्भ में कल आतंक। आतंकवाद आत्मकथा आनन्द नगर” आने वाली किताब आबिद सुरती आभासी दुनिया आश्वासन इंतजार इण्टरनेट ईमान उत्तराधिकारी उनकी दुनिया उन्मेष उपन्यास उपन्यास। उम्मीद के रंग उलझन ऊँचाई ॠतु गुप्ता। एक टिपण्णी एक ठहरा दिन एक तमाशा ऐसा भी एक बच्चे की चिट्ठी सभी प्रत्याशियों के नाम एक भूख -- तीन प्रतिक्रियायें एक महत्वपूर्ण समीक्षा एक महान व्यक्तित्व। एक संवाद अपनी अम्मा से एल0ए0शेरमन एहसास ओ मां ओडिया कविता ओड़िया कविता औरत औरत की बोली कंचन पाठक। कटघरे के भीतर कटघरे के भीतर्। कठपुतलियाँ कथा साहित्य कथावाचन कर्मभूमि कला समीक्षा कविता कविता। कविताएँ कवितायेँ कहां खो गया बचपन कहां पर बिखरे सपने--।बाल श्रमिक कहानी कहानी कहना कहानी कहना भाग -५ कहानी सुनाना कहानी। काफिला नाट्य संस्थान काल चक्र काव्य काव्य संग्रह किताबें किताबों में चित्रांकन किशोर किशोर शिक्षक किश्प्र किस्सागोई कीमत कुछ अलग करने की चाहत कुछ लघु कविताएं कुपोषण कैंसर-दर-कैंसर कैमरे. कैसे कैसे बढ़ता बच्चा कौशल पाण्डेय कौशल पाण्डेय. कौशल पाण्डेय। क्षणिकाएं क्षणिकाएँ खतरा खेत आज उदास है खोजें और जानें गजल ग़ज़ल गर्मी गाँव गीत गीतांजलि गिरवाल गीतांजलि गिरवाल की कविताएं गीताश्री गुलमोहर गौरैया गौरैया दिवस घर में बनाएं माहौल कुछ पढ़ने और पढ़ाने का घोसले की ओर चिक्कामुनियप्पा चिडिया चिड़िया चित्रकार चुनाव चुनाव और बच्चे। चौपाल छिपकली छोटे बच्चे ---जिम्मेदारियां बड़ी बड़ी जज्बा जज्बा। जन्मदिन जन्मदिवस जयश्री राय। जयश्री रॉय। जागो लड़कियों जाडा जात। जाने क्यों ? 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