बच्चा चाहे हो बीमार,मिले उसे नित्य आहार
शुक्रवार, 25 अक्तूबर 2013
(बचायें शिशु
को कुपोषण से)
अपने घर के बच्चों को,हम दें
कैसा भोजन आहार
दूर कुपोषण भागे उनसे, ना ही
पड़ें वो कभी बीमार।
बच्चों के स्वास्थ्य को लेकर हमारे समाज में कई भ्रान्तियां
हैं। मसलन बच्चे को अगर सामान्य सर्दी,जुकाम या हल्का बुखार है तो उसे टीके नहीं लगवाने
चाहिये---बच्चे को यदि पोलियो ड्राप्स पिला दिया गया तो उसके नपुंसक होने का खतरा
है--आदि--आदि।ऐसी ही एक भ्रान्ति और है कि बीमारी में बच्चे का आहार यानि भोजन बंद कर देना चाहिये। मातायें भी ऐसा ही सोचती हैं कि छोटे बच्चे को बीमारी में कम
खाना देना चाहिये। जबकि सच्चाई यह नहीं हैं।
बीमार बच्चे को तो स्वस्थ
बच्चे से भी ज्यादा खाने की जरूरत होती है।क्योंकि भोजन ही बच्चे को बीमारियों से लड़ने की ताकत और ऊर्जा देता है।इसलिये बीमारी में उसे बराबर खाना दें। इतना ही नहीं बीमारी के बाद उसे थोड़ा ज्यादा
खाना देने की जरूरत रहती है। इससे बीमारी के दौरान बच्चे के अन्दर आई कमजोरी जल्दी खत्म होगी और वह जल्दी स्वस्थ होगा।
बच्चों की आम बीमारियां जैसे
अतिसार,श्वसन तंत्र का तीव्र संक्रमण,बुखार आदि बच्चे के पोषण के स्तर पर असर डालती हैं। उसके * विकास में बाधा *भूख
में कमी * पाचन शक्ति में कमी लाने के साथ *ऊर्जा की जरूरत बढ़ाती हैं।*दस्त व
उल्टी उसके शरीर से पोषक तत्व निकाल देते हैं।
बच्चा जब भी हो
बीमार,कैसे बनें उसके तीमारदार ?
संक्रमण से कुपोषण और फ़िर कुपोषण से संक्रमण का
चक्र बच्चे के उचित इलाज के साथ-साथ निम्न तरीके से टूट सकता है-----
*4 से 6 माह के बच्चों की मातायें बीमारी में भी बच्चे को स्तनपान कराना जारी
रखें। तथा थोड़ी-थोड़ी देर पर ज्यादा बार
स्तनपान करायें।
* बीमारी में थोड़ा बड़े बच्चों की मातायें भी उन्हें स्तनपान कराना और खाना
देना जारी रखें।
*भूख न लगने पर बच्चों को मातायें --- कम खाना थोड़ी-थोड़ी देर पर दें।---मुलायम ठोस खाना दें जो निगलने में आसान
हो।---बच्चों को खाने के लिये उकसायें साथ ही उनकी पसन्द का खाना दें।
*6 माह से 2साल की उम्र वाले बच्चों की मातायें बीमारी के बाद उन्हें अतिरिक्त
खाना व चिकनाई दें।
*विटामिन ‘ए’ न मिलने पर बच्चों में गंभीर
बीमारियां,अंधापन भी आ सकता है। अतः बीमारी के दौरान भी उसे विटामिन ‘ए’ युक्त भोजन अवश्य दें।
*बच्चा जब स्वस्थ होने लगे तब भी उसे ये सभी भोजन खिलाते रहें।
श्वसन तंत्र के संक्रमण में क्या दें?
*बच्चे को बीमारी में भी सामान्य बच्चों की ही तरह स्तनपान/भोजन करायें।बीमारी
के बाद उसे ज्यादा दूध पिलायें/खाना
खिलायें।
*नाक बंद हो तो साफ़ कर दें। अधिक मात्रा में तरल पिलायें। स्तनपान थोड़ी-थोड़ी
देर बाद व देर तक करायें।
*अगर बच्चे को खाने,पीने में दिक्कत हो तो उसे तुरन्त स्वास्थ्य
कार्यकर्ता,चिकित्सक को दिखलायें।
अतिसार के
दौरान क्या करें?
*स्तनपान जारी रखें*यदि बच्चा स्तनपान न करे सामान्य दूध दें।बच्चा 6 माह से
कम का हो और ठोस आहार न लेता हो तो दूध
में आधा पानी मिलाकर दें।(यह पानी भी स्वच्छ होना चाहिये)
*यदि बच्चा छः माह का या बड़ा हो तथा ठोस आहार लेता हो तो----
0अनाज य अन्य माड़युक्त
भोजन,दाल,सब्जी,एक या दो चम्मच तेल मिलाकर दें0फ़लों का रस या केला मसल कर दें0ताजा
बना,अच्छी तरह पका खाना मसलकर उसे खिलायें0खाने के लिये बच्चे को
उत्साहित करें0दिन में कम से कम छः बार थोड़ा-थोड़ा खिलायें0दस्त ठीक होने के बाद
भी बच्चे को वही भोजन अतिरिक्त मात्रा में रोज दो सप्ताह तक दें।
*यदि दस्त ज्यादा दिनों तक बना रहे तो
ऊपर बताये गये भोजन के अलावा उसे—
0ऊपरी दूध आधा पानी मिलाकर या
मट्ठा,छाछ दें0अच्छीतरह पकाया अनाज,तेल,सब्जियों का सूप,दाल का पानी दिन में छः बार
दें0दस्त बन्द होने के बाद भी बच्चे को वही भोजन बराबर देते रहें0एक माह
तक बच्चे को सामान्य से एक बार अधिक खाना दें।
*और सबसे अन्तिम महत्वपूर्ण बात यह
है कि पर्याप्त तरल देने के बाद भी यदि बच्चे का दस्त न बन्द हो या उसमें
निर्जलीकरण(शरीर में पानी की कमी) के लक्षण दिखें तो बच्चे को फ़ौरन चिकित्सक को
दिखलायें।
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नेहा शेफ़ाली
ज़ेवियर्स इन्स्टीट्युट आफ़ कम्युनिकेशन्स
मुम्बई
1 टिप्पणियाँ:
उपयोगी सलाह, बीमारी से लड़ने के लिये शक्ति चाहिये।
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