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कुछ अलग करने की चाहत और जज्बे से भरपूर हैं--- रामकिशोर।

रविवार, 8 सितंबर 2013

किसी भी देश के बच्चे अगर वहां के भविष्य हैं तो युवा वहां की वर्तमान शक्ति। इतिहास गवाह है कि किसी भी देश का इतिहास बदलने और बनाने दोनों में ही युवा शक्ति का ही हाथ रहता है। मगर अफ़सोस की बात है कि आज हमारे देश में दिशाहीन,दिग्भ्रमित और निराश युवाओं की एक लंबी फ़ौज खड़ी है। जिनमें शक्ति है,जोश है और कुछ कर दिखाने कि तमन्ना भी। लेकिन उसके पास कोई
स्पष्ट रास्ता नहीं है जो उसे अपनी मंजिल तक पहुंचा सके।
                युवाओं की इसी फ़ौज में कुछ चेहरे ऐसे भी हैं जो तमाम परेशानियों,दुखों के पहाड़ों को तोड़ कर भी उसके बीच से अपने रास्ते खुद बना रहे हैं और लगातार सफ़लता की मंजिल की ओर बढ़ भी रहे हैं।
        आज ऐसे ही एक युवा से हम आपको मिलवा रहे हैं। इनका नाम है रामकिशोर कन्नौजिया उमर है 27 साल। हाई स्कूल फ़ेल मगर कुछ नया करने के जोश से भरपूर।पेशा हमारे आपके सौन्दर्य में अपने हाथ से प्रेस किये कपड़ों से चार चांद लगाना।
                     रामकिशोर रहते तो हैं जानकीपुरम में।पर सेक्टर-21 में इनकी कपड़े प्रेस करने की गुमटी है।और इसी गुमटी में संजो रखे हैं इस युवा ने हजारों सपने,जिन्हें पूरा करने के लिये ये दिन-रात मेहनत करते हैं।
         इनकी दिनचर्या से ही आपको इनकी मेहनत,जोश,लगन,और जज्बे का अंदाजा लग जायेगा।ये रोज सुबह 4 बजे उठ कर साइकिल से जानकीपुरम से इन्जीनियरिंग कालेज चौराहे जाकर वहां से अखबारों का बंडल उठाते हैं। 8 बजे तक सारे अखबार जानकीपुरम से लेकर इंदिरानगर तक में बांट फ़ुर्सत पाते हैं। फ़िर 8 बजे अपनी प्रेस की दूकान खोलते हैं।जब तक इनका प्रेस गरम होता है तब तक ये थोड़ा चाय नाश्ता कर लेते हैं।फ़िर आठ बजे से इनका कपड़ों पर प्रेस करने का काम शुरू होता है जो रात के 8 बजे तक चलता है।
                                   

                  अभी हाल में ही रामकिशोर ने अपना काम थोड़ा और बढ़ाने की कोशिश की है।इन्होंने अपनी गुमटी में ही मोबाइल रिपेयरिंग और मोबाइल टाप-अप,रीचार्ज आदि का नया काम भी शुरू किया है।जब प्रेस के काम से खाली रहते हैं तो मोबाइल का काम देख लेते हैं।
               और सबसे बड़ी बात यह है कि रामकिशोर ये सारी मेहनत,सारा काम अपने शौक(सिनेमा,होटल,बाइक,महंगे कपड़े खरीदना आदि)पूरे करने के लिये नहीं करते।जो कि आज के हर युवा कर रहा है।एक बार बातचीत के दौरान इन्होंने
मुझसे बताया कि, भाई साहब मैं चाहता हूं कि मेरे अम्मा बाबू अब ये काम(कपड़े प्रेस और धुलाई) न करें और आराम करें। उन्होंने बहुत दिन काम कर लिया। इसी लिये मैं इतनी हाड़ तोड़ मेहनत कर रहा।
             आप खुद ही सोचिये आज जब तमाम पढ़ा लिखा युवा महंगे मोबाइल,तेज चाल वाली बाइक,शापिंग माल,होटेलिंग,बीयर पीने जैसे शौक पूरे करने के लिये मेहनत कर रहा---या फ़िर असफ़ल होने पर सारी शिक्षा,ऊंची डिग्रियों के बावजूद चेन स्नैचिंग या दूसरे गलत काम की तरफ़ भाग रहा---ऐसे में रामकिशोर जैसे युवा क्या उनके प्रेरणास्रोत नहीं बन सकते?
               काश कि रामकिशोर जैसी ईमानदारी, सोच,जज्बा और लगन आज के हर युवा में पैदा हो सके तो शायद हमारे देश और समाज की तस्वीर निश्चित तौर
पर बदल सकती है।
                    00000



डा0हेमन्त कुमार

5 टिप्पणियाँ:

रविकर 9 सितंबर 2013 को 3:58 am बजे  

उत्तम-
बधाई स्वीकारें आदरणीय-
गणेश चतुर्थी की शुभकामनायें-

Unknown 9 सितंबर 2013 को 4:57 am बजे  

sabhi desh vashiyo ko ganish charturthi ki hardhik subhakamnaya

laxminarayan prajpt
village - joosari
dist - nagour( rajasthan )
laxminarayanprajapt@gmail.com

Pratibha Verma 10 सितंबर 2013 को 1:19 am बजे  

बहुत सुन्दर प्रस्तुति। ।

प्रवीण पाण्डेय 10 सितंबर 2013 को 2:04 am बजे  

देश को ऐसे युवाओं पर गर्व होता है जो लगन में भरे हों।

Smart Indian 10 सितंबर 2013 को 6:02 pm बजे  

रामकिशोर को शुभकामनायें। काश कोई कुछ उत्साह और समय देकर उन्हें हाई स्कूल पूरा करने की ओर भी प्रवृत्त कर सके तो उनकी प्रगति के कई अन्य मार्ग भी खुल सकते हैं।

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