आने वाली किताब---
शनिवार, 13 अगस्त 2011
बेंगाली गर्ल्स डोण्ट----
लेखिका—एल0ए0शेरमन
प्रकाशक-अमेजन बुक्स
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किसी ऐसी लेखिका,जिसकी आंखें ही बमों के धमाकों,सैनिकों की क्रूरता और अत्याचार तथा निहत्थे लोगों के चीत्कार के बीच खुली हों—के अनुभवों को उसी के शब्दों में पढ़ना अपने आप में एक अलग किस्म का अनुभव होगा। अलग इसलिये क्योंकि लेखिका शिशु होने के नाते इन अनुभवों से खुद भले ही नहीं गुजरी है।लेकिन उसने इन अनुभवों को अपने माता पिता,सगे सम्बन्धियों
परिजनों से सुना और गहराई से उन परिस्थितियों को महसूस किया है।
मैं आज आपको एक ऐसी ही आत्मकथात्मक पुस्तक के बारे में बता रहा हूं।“बेंगाली गर्ल्स डोण्ट” शीर्षक से यह किताब टाम्पा,फ़्लोरिडा की रहने वाली लेखिका,माडल और अभिनेत्री एल0ए0शेरमन ने लिखी है।
लकी शेरमन की यह आत्मकथा अमेजन बुक्स ने ई बुक के रूप में प्रकाशित की है। और जल्द ही इसका प्रिण्ट वर्जन भी आने वाला है। यद्यपि मैंने अभी इसका कुछ अंश ही पढ़ा है।लेकिन इसकी कहानी कुछ ऐसी है जो निश्चित रूप से हर वर्ग के पाठक को पूरी पुस्तक पढ़ने के लिये आकर्षित करेगी।
कहानी की शुरुआत 1971 में पाकिस्तान के विभाजन और बांग्ला देश के निर्माण के साथ होती है। उस समय पाकिस्तानी सेनाओं द्वारा बांगला देश में जो अत्याचार किये गये, निहत्थों का खून बहाने के साथ ही महिलाओं के साथ जिस क्रूरता के साथ बलात्कार और फ़िर हत्या जैसे जघन्य काण्ड किये गये,बच्चों तक को जिस पाशविकता के साथ मारा गया उन सब का यथावत वर्णन आपको इस पुस्तक में मिलेगा।
इस आत्मकाथात्मक पुस्तक में आपको एक ऐसी लड़की की कहानी पढ़ने को मिलेगी जिसका पूरा परिवार पाकिस्तानी सैनिकों की पाशविकता का शिकार होकर अपनी जन्मभूमि यानि बांग्लादेश छोड़ने को मजबूर हो गया। शेरमन का पूरा परिवार ब्रिटेन चला गया। वहां उस परिवार का जन्मभूमि छोड़ने का दर्द,स्थापित होने का संघर्ष सब कुछ लिखा गया है इस आत्मकथा में।
15 साल की उम्र में पिता द्वारा जबर्दस्ती बंगलादेश ले जाकर अपनी(पिता की)उम्र के एक व्यक्ति से शादी और फ़िर वहां की घुटन, उससे मुक्ति का मार्ग ढूंढ़ना,अमेरिका जाकर वहां लेखिका द्वारा खुद अपनी पहचान बनाने और नये जीवन की शुरुआत करने का संघर्ष ये सभी घटनायें पुस्तक को रोचक बनाती हैं।शेरमन की इस पुस्तक में आपको बंगाली एवम मुस्लिम संस्कृति दोनों की झलक मिलेगी।
साथ ही लेखिका द्वारा जीवन के हर पल में खुशी की खोज के साथ ही अपने परिवार के साथ सन्तुलन बनाने का उल्लेख उनके संघर्षशील जीवन का परिचायक है। जीवन के प्रति यह जिजीविषा निश्चित ही पाठकों को कहीं न कहीं प्रभावित करेगी।
यद्यपि यह किताब अंग्रेजी भाषा में लिखी गयी है फ़िर भी मुझे नहीं लगता कि थोड़ा भी अंग्रेजी की समझ रखने वाले पाठकों को इसे पढ़ने में दिक्कत आयेगी। क्योंकि परिस्थितियों के अनुकूल शब्दों का चयन और भाषा का प्रवाह शेरमन की लेखन शैली की विशेषता है।
मुझे लगता है कि जीवन संघर्ष,पूर्व और पश्चिम की संस्कृतियों तथा बंगला देश के मुक्ति आन्दोलन को जानने ,समझने और पढ़ने वाले पाठकों को यह किताब जरूर पढ़नी चाहिये।
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हेमन्त कुमार
लेखिका—एल0ए0शेरमन
लेखिका होने के साथ ही एक कुशल माडल और अभिनेत्री हैं। “बेंगाली गर्ल्स डोण्ट”इनकी दूसरी पुस्तक है।
7 टिप्पणियाँ:
Swatantrata Diwas kee dheron shubh kamnayen!
समाज की उथल पुथल जीवन पर बहुत असर डालती है।
प्रिंटेड वर्ज़न का इंतज़ार है...
aapki is pustak ki samixha ne ise jald se jald padhne ki lalak paida kar di hai .sach me vah pustak avshy hi logo ko apni aor aakarshhit karegi .ab us kitaab ke varjan ka intzaar besabri se hai.
badhai
poonam
सतत प्रेरणा आपकी, बढ़ा इधर उत्साह ||
रचनाकारों को सदा , रहें दिखाते राह ||
aapne pustak ke bare me bata ke bahut achchha kiya .jab bhi milegi padhungi
saader
dhnyavad
rachana
I would surely like to read this book..
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