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बारिश का मतलब

गुरुवार, 5 अगस्त 2010

बारिश का मतलब
नहीं होता सिर्फ़
गरम गरम पकौड़ी और चाय
हंसी ठहाका और तफ़रीह
या फ़िर लार्ज या स्माल पेग और मुर्गा
साथ में राजनीति
सास बहू या कहानी घर घर की पर
चर्चा और लफ़्फ़ाजी।

बारिश का मतलब होता है
झोपड़ी के कोने में
पूरे कुनबे का गुड़मुड़िया कर
एक ही बंसेहठी पर बैठना
चारों ओर से फ़टी पालीथिन की छत से
टपकते पानी को एकटक निहारना
झोपड़ी में भर गये पानी में
तैरते हुये खाली बरतनों को देखना
और अररा कर बरस रहे मेघ को
भयभीत नजरों से निहारना।

चिन्ता इस बात की करना कि
पूरा कुनबा
इस झर झर बारिश में
कहां सोयेगा
झोपड़ी के किस कोने में परबतिया
जलायेगी चूल्हा
कहां पकायेगी रोटी
कि भर सके पूरे कुनबे का पेट।

बारिश का मतलब होता है
इस बात की चिन्ता भी कि अगर
हवा और तेज हुयी
फ़िर भरभरा कर गिर जायेगी
कच्ची माटी की भीत तो
पूरा कुनबा शहर के किस कोने में
शरण लेगा
किसी खाली बस स्टैन्ड के शेड के नीचे
नगर निगम के ह्यूम पाइप में
या फ़िर किसी निर्माणाधीन इमारत के बराम्दे में।

बारिश का मतलब होता है
हरखू की चिन्ता
इस बात की कि कल
जब सबके खेतों में चलेगा हल
तो कैसे जोतेगा वह खेत
बिना बैलों के
कहां से आयेगा बीज बोने के लिये।

लेकिन हमें क्या मतलब है
हरखू या परबतिया की चिन्ता से
हमारे लिये तो बारिश का मतलब ही है
बालकनी में बैठकर
चाय या व्हिस्की की चुस्कियां
मुर्गे की टांग या पकौड़ी
और झमाझम बौछार का आनन्द उठाना।
000
हेमन्त कुमार

13 टिप्पणियाँ:

प्रज्ञा पांडेय 5 अगस्त 2010 को 11:04 am बजे  

samvedana se bharee aapki yah kavita ekdam sach kah rahi hai .

kshama 5 अगस्त 2010 को 11:21 am बजे  

बालकनी में बैठकर
चाय या व्हिस्की की चुस्कियां
मुर्गे की टांग या पकौड़ी
और झमाझम बौछार का आनन्द उठाना।
Ye ek matlab to hai,lekin phirbhi paanee kee qillat ke karan samany janome thodi jagruti to ho rahi hai.Ye bhi sach hai,ki,in jhonpadon me rahnewalon ko makan muhaiyya bhi karo to use kiraye pe laga dete hain.

श्रद्धा जैन 5 अगस्त 2010 को 9:43 pm बजे  

barish waqayi sirf chai aur pakode khane ka mousam nahi hai... khushiyan aur umangon ka mousam nahi hai ye mousam sirf sheetalta nahi laata bahut sari pareshaniyan bhi lata hai. bahut bahut achchi kavita.... man ko bheetar tak sachet kar dene wali

प्रवीण पाण्डेय 6 अगस्त 2010 को 8:59 am बजे  

भावप्रधान अभिव्यक्ति।

सु-मन (Suman Kapoor) 7 अगस्त 2010 को 5:49 am बजे  

बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति.....................

हरकीरत ' हीर' 7 अगस्त 2010 को 6:00 am बजे  

बारिश का मतलब होता है
झोपड़ी के कोने में
पूरे कुनबे का गुड़मुड़िया कर
एक ही बंसेहठी पर बैठना
चारों ओर से फ़टी पालीथिन की छत से
टपकते पानी को एकटक निहारना
झोपड़ी में भर गये पानी में
तैरते हुये खाली बरतनों को देखना
और अररा कर बरस रहे मेघ को
भयभीत नजरों से निहारना।



हेमंत जी सच कहूँ ......??

आज अपना लिखा सब कम लगने लगा है इस रचना के आगे ......!!

हाँ ये भी एक ज़िन्दगी है जिसे हम देखना या सोचना भी नहीं चाहते .....!!

आँखें खोल देने वाली रचना .......!!

hem pandey 7 अगस्त 2010 को 8:43 am बजे  

बारिश को बेहद संवेदनशील तरीके से देखा है आपने.ऐसी उत्तम रचनाएं ब्लॉग जगत का गौरव बढायेंगी.

रश्मि प्रभा... 7 अगस्त 2010 को 7:38 pm बजे  

बारिश का मतलब होता है
झोपड़ी के कोने में
पूरे कुनबे का गुड़मुड़िया कर
एक ही बंसेहठी पर बैठना
चारों ओर से फ़टी पालीथिन की छत से
टपकते पानी को एकटक निहारना
झोपड़ी में भर गये पानी में
तैरते हुये खाली बरतनों को देखना
और अररा कर बरस रहे मेघ को
भयभीत नजरों से निहारना।
nihshabd kar diya

Akshitaa (Pakhi) 9 अगस्त 2010 को 5:04 am बजे  

बारिश के कित्ते रूप...
____________
'पाखी की दुनिया' में आपका स्वागत है.

बेनामी,  9 अगस्त 2010 को 11:13 pm बजे  

bahut sundar rachna...
Meri Nai Kavita padne ke liye jaroor aaye..
aapke comments ke intzaar mein...

A Silent Silence : Khaamosh si ik Pyaas

pragya 12 अगस्त 2010 को 2:48 am बजे  

बहुत ख़ूबसूरत...

सुशीला पुरी 14 अगस्त 2010 को 6:09 am बजे  

बहुत ही संवेदना से लिखा आपने ..... बहुत बहुत बधाई ।

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