अस्तित्व -1
नेस्तनाबूद करने की
करो
हजार कोशिशें
कर दो
जमीन्दोज मुझे
पाताल की गहराइयों में ।
पर मैं
ऊपर आऊंगा जरूर
एक दिन
धरती का सीना फ़ाड़ कर
तुम्हारी खैरियत पूछने
क्योंकि
मैं एक बीज हूं ।
000000
अस्तित्व -2
माचिस
उठाने से पहले
देख तो लेते
मैं
फ़ूस का नहीं
बारूद का ढेर हूं ।
0000000
हेमन्त कुमार
7 टिप्पणियाँ:
इन कविताओं का अस्तित्व बरकरार रहेगा
मैं
ऊपर आऊंगा जरूर
एक दिन
धरती का सीना फ़ाड़ कर
तुम्हारी खैरियत पूछने
क्योंकि
मैं एक बीज हूं ।.....pratiksha rahegi komal,par sashakt beej....
माचिस
उठाने से पहले
देख तो लेते
मैं
फ़ूस का नहीं
बारूद का ढेर हूं ।...astitv ki jabardast baangi
दोनो ही कवितायें बहुत प्रभावी हैं।
वाह हेमंत जी......... कालजयी रचनाएं लिखी हैं आपने..........बीज में ही तो सम्पूर्ण श्रिस्टी का वास है............उसने तो आना ही है... .. दूसरी रचना भी बहुत कुछ कहती है ........... लाजवाब
आत्मविश्वास से भरी अत्यंत प्रभावशाली रचनाओं के लिए साधुवाद.
अमिट छाप छोडने वाली रचनाए है ये |
अमिट छाप छोडने वाली रचनाए है ये |
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