प्राथमिक शिक्षा ---आखिर कब तक चलेगा ये सिलसिला .......
रविवार, 19 अप्रैल 2009
अभी कल के अख़बार में आप लोगों ने भी ये ख़बर शायद पढी ही होगी की एक मासूम बच्ची सन्नो अपनी टीचर के टार्चर का शिकार होकर अपनी जान गँवा बैठी.यह क्रूर घटना हुयी है अपने देश की राजधानी दिल्ली में.
सन्नो… कक्षा दो में पढने वाली मासूम बच्ची….उम्र सिर्फ़ ११ साल.शायद चार पॉँच दिनों पहले इस मासूम की किसी छोटी मोटी गलती पर उसकी शिक्षिका ने बहुत देर तक उसे धूप में मुर्गा बना कर रखा….तब तक ..जब तक कि वह बेहोश नहीं हो गयी.अस्पताल पहुँचते पहुँचते वो कोमा में चली गयी थी…..बचाने की हर कोशिशों के बावजूद मासूम सन्नो ने शुक्रवार को दम तोड़ दिया……सजा देने वाली टीचर और प्रिसिपल को सस्पेन्ड भी कर दिया गया.लेकिन क्या उनके सस्पेन्ड हो जाने मात्र से सन्नो वापस आ जायेगी…..या ..हर बच्चे और सारे अभिभावकों को ये गारन्टी मिल जायेगी की भविष्य में उनके भी बच्चे किसी टीचर की ऐसी क्रूरता के शिकार नहीं होंगे?
बच्चों के साथ स्कूलों में होने वाली क्रूरता का शिकार बनने वाली सन्नो पहली लडकी नहीं है.अगर हम पिछले चार पॉँच सालों पर भी निगाह डालें तो पूरे देश में ऐसे मासूमों की मौतों का आंकडा सैकड़ों में जरूर होगा.कहीं बच्चों को क्लास रूम में बेंच पर खड़ा कराया गया,कहीं उनको पीट कर उँगलियाँ तोड़ दी गयीं यहाँ तक कि क्रूरता और अत्याचार की सभी सीमायें पर करते हुए किसी स्कूल में बच्चे को नंगा कर के घुमाया भी गया था.(आज से लगभग सात आठ साल पहले उडीसा या बिहार के किसी स्कूल में )
काफी पहले ठीक यही घटना उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में एक सरकारी बालिका विद्यालय में हुयी थी .वो बच्ची भी शायद कक्षा ८ की थी …चार पॉँच दिनों तक बुखार की तपिश झेल कर आई थी …उसे भी धूप में घंटों खड़ा कराया गया था…….नतीजा …बेहोशी फ़िर मौत…टीचर ..प्रिंसपल का सस्पेंशन ..फ़िर सब कुछ यथावत।
ऐसा ही शायद इस केस में भी होगा.कुछ दिनों के बाद टीचर ….प्रिसिपल दोनों बहाल हो जायेंगी.लोग सब कुछ भूल जायेंगे…….आखिर कब तक चलेगा ये सिलसिला?
एक तरफ़ प्लान इंडिया की और से प्रदेशों में लर्न विदाउट फीयर ..अभियान चलाया जा रहा है.
बच्चों को स्कूल में निर्भय होकर आने के लिए माहौल बनाया जा रहा है.शिक्षकों को इस बात का प्रशिक्षण देने के लिए कि वे स्कूल में,कक्षा में बच्चों के साथ कैसा बर्ताव करें …सरकारी स्तर पर अच्छा खासा पैसा खर्च किया जा रहा है..पर उसका नतीजा क्या निकल रहा है?मासूम बच्चों की मौतें…उनका उत्पीडन.इन हालातों में अभिभावक कैसे और किसके भरोसे भेजेंगे अपने बच्चों को स्कूल?शिक्षकों के भरोसे…प्रिन्सिपल के भरोसे..हमारी शिक्षा व्यवस्था की योजनायें बनाने वाले अफसरों के भरोसे …या फ़िर सरकार के भरोसे ??????????????????????????????????????????????????????????
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हेमंत कुमार
6 टिप्पणियाँ:
प्राथमिक शिक्षा मे बच्चों को किसी भी रूप में प्रताड़ित नही किया जाना चाहिए।
aisi kathor sazaa denewale yah nahi soch paate ki iska kya bura asar hoga to we to purntaya galat hain....hataa dene se to waakai sanno nahi aayegi
बहुत ही ज्वलंत समस्या को उठाया है आपने हेमंत जी.............प्रशासन को, अभिभावकों को कदम उठाना होगा इस बात में
दुखद घटना। गुस्सा आता है इस व्यवस्था पर। ये हाल सरकारी या हिंदी मीडियम स्कूलों का ही नहीं बल्कि पब्लिक और मिशनरी स्कूलों का भी है। ऐसी कई घटनाएं हुई हैं बीते सालों में।
बहुत ही दर्दनाक हादसा सुना दिया हेमंत जी, कुछ तो सख्त कदम उठाने होंगे इन घटनाओं को रोकने के लिए...शिक्षको की भरती के लिए सिर्फ बी. एड . की डिग्री ही नहीं उनका व्यव्हार भी शिक्षक बनने योग्य होना चाहिए ......!!
क्या बतायें भैया, बचपन में डस्टर और संटी खाये हैं स्कूल में, और उसकी यादें अप्रिय हैं बहुत।
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