हिम्मत करे इन्सान तो
शुक्रवार, 6 मार्च 2009
अगर आदमी के अन्दर हिम्मत है ,लगन है और कुछ कर दिखाने का जज्बा.. तो उसके लिए दुनिया की कोई मुसीबत रास्ते का रोड़ा नहीं बन सकती . ऐसे व्यक्ति ने कुछ करने की ठान ली है तो वह उसे पूरा करके ही रहेगा . जीवन में आगे बढ़ने का यही रास्ता भी है . अगर इस जज्बे को हम अपने अन्दर पैदा कर लें तो हमारे लिए कोई काम असंभव नहीं रहेगा .
जिंदगी जीने का यही नजरिया इंटर मीडयेट की परीक्षा दे रहे छात्र सिराजुद्दीन के अन्दर है . इसीलिये तो सिराजुद्दीन दोनों हाथ कटे होने के बावजूद इंटर की परीक्षा बिना किसी की सहायता के दे रहे हैं . वह अपने दोनों कटे हाथों के बीच कलम फंसा कर लिखते हैं.
जीवन के प्रति एकदम सकारात्मक और संघर्षपूर्ण विचार रखने वाले सिराजुद्दीन लखनऊ के डा० वीरेन्द्र सिंह पब्लिक इंटर कालेज के छात्र हैं . ये इस समय कला वर्ग (आर्ट साईड) से इंटर का इम्तहान दे रहे हैं . यूं.पी.बोर्ड की हाई स्कूल परीक्षा में इनको ५९ प्रतिशत अंक प्राप्त हुए थे . और इंटर में ७५ प्रतिशत अंक हासिल करने का इनका लक्ष्य है .
परीक्षा केन्द्र पर पहले दिन सहानुभूति दिखाने के लिए जब निरीक्षकों ने उनसे कहा की अगर तुमने अलग से कोई राईटर नहीं लिया है तो तुम्हें दस पन्द्रह मिनट का समय अधिक दे सकते हैं . लेकिन सिराजुद्दीन ने कक्ष निरीक्षक के इस प्रस्ताव को अस्वीकार कर दिया क्योंकि इन्हे किसी की कृपा का पात्र बन कर जीना मंजूर नहीं है . इनका मानना है की अल्लाह इतनी बेरहमी किसी के साथ नहीं करता . अगर किसी का काम बिगड़ता भी है तो वह उसे ठीक करने का रास्ता भी बताता है . बचपन में ही दोनों हाथ कट जाने के बावजूद भी सिराजुद्दीन ने अपने को कभी असहाय नहीं समझा .
किसी दुर्घटना में दोनों हाथ कट जाने के बावजूद जीवन जीने , असहायता पर विजय पाने का जज्बा ही तो है जो सिराजुद्दीन को आज इस मुकाम तक लाया . सिराजुद्दीन के हर काम का तरीका भी अपने आप में अलग और अनोखा है . प्रायः बच्चे प्रश्नों के उत्तर याद करते हैं और इम्तिहान में जाकर लिखते हैं . पर सिराजुद्दीन ने ऐसा नहीं किया .
इन्होनें प्रश्नों के उत्तर को बार बार लिखा . उससे वो उनके दिमाग में बैठ भी गया और तेज गति से लिखने की उनकी प्रैक्टिस भी हुयी . पूछने पर उन्होंने बताया भी कि ये तरीका मैंने इसलिए अपनाया ताकि परीक्षा के दौरान तीन घंटे में साफ़ सुथरी राइटिंग में सभी प्रश्नों के उत्तर लिख सकूं . इनका कहना है कि नाकामी के भय से हिम्मत हार कर जान देने वालों से बड़ा बुजदिल दुनिया में कोई नहीं है . बोर्ड परीक्षा में फेल होने के भय से छात्र अपनी जान न दें बल्कि दोबारा अच्छे ढंग से परीक्षा पास करने की तैयारी करें . सिराजुद्दीन के इस जज्बे को मेरा सलाम .
हेमंत कुमार
1 टिप्पणियाँ:
नमन है ऐसे जिन्ददिल इंसान को.......हमारी शुभ कामना
आपको होली की बधाई और मुबारकबाद
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