अक्षत का सातवां अंक
रविवार, 29 जून 2025
अक्षत
का सातवां अंक
जनसंचार माध्यमों के साथ-साथ समकालीन साहित्य
पर केंद्रित 'अक्षत ' ( सम्पादक-कौशल पांडेय ) पत्रिका का नया और सातवां अंक ( जुलाई- सितंबर, 2025 ) अपने आकर्षक आवरण के कारण हमारा ध्यान सहज ही
आकर्षित करता है l रचनात्मक विविधता वाले इस अंक में
कुमार कृष्ण , हीरालाल नागर, डॉ.रमेश मिलन, डॉ.रंजना दीक्षित, डॉ.भगवान
प्रसाद उपाध्याय, स्वरांगी साने, विजय नगरकर, अभिनव
पाण्डेय,पूनम श्रीवास्तव और चिन्मय सांकृत के
आलेख साहित्य, संस्कृति,फिल्म, रंगमंच, पत्रकारिता और संगीत के विविध पक्षों को
रेखांकित करते हैं l
डॉ.रंजना
जायसवाल और जयराम सिंह गौर की कहानियां, डॉ.मधु
प्रधान की बालकथा और समीक्षा तेलंग के व्यंग्य को भी इस अंक में पढ़ा जा सकता है।
डॉ.
हेमन्त कुमार के अप्रकाशित उपन्यास अंश को
पढ़ना आज के समय के साथ संवाद करने जैसा है।कविताओं की संख्या भले ही कम है पर ललन
चतुर्वेदी, शिवचरण चौहान और निवेदिता झा (मैथिली)
की अच्छी कविताएं इस बात का भरोसा दिलाती हैं कि पत्रिका कविताओं के प्रति भी
गंभीर है l
इस
अंक के सम्पादकीय में राजभाषा हिंदी से जुड़े कुछ जरूरी सवाल उठाए गए है, जिन पर आज चर्चा की कुछ ज्यादा ही जरूरत है।
बड़े आकार की साठ पेज की इस पत्रिका को
सामान्य पाठकों के साथ-साथ पत्रकारिता, फिल्म,रंगमंच,साहित्य के छात्रों और नए पत्रकारों को
जरूर पढ़ना चाहिए l
पत्रिका
प्राप्त करने के लिए व्हाट्सएप नंबर 9532455570 पर संदेश भेजकर जानकारी प्राप्त की जा सकती है ।
इस अंक के लिए रेखांकन देश की
प्रतिष्ठित चित्रकार किरण चोपड़ा ने बनाए है तथा आवरण AVI Studio द्वारा तैयार किया गया है l
०००
अर्पणा
पांडेय
मो०--
09455225325
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