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रीना पीटर की फ़ोटो की दुनिया

बुधवार, 10 सितंबर 2014

फ़ोटोग्रैफी एक कला भी है और दुनिया को देखने की एक तीसरी आंख भी।आज मैं यहां अपनी मित्र रीना पीटर के द्वारा मोबाइल कैमरे में कैद किये गये कुछ दृश्य यहां पोस्ट कर रहा हूं।

                        
                               

                      

                        

                        

                            

                     

                              






एम0बी0ए0 कर चुकी रीना पीटर दिल्ली की एक फ़र्नीचर डिजाइन कम्पनी में इन्टीरियर डिजाइनिंग से जुड़ी हैं।रचनात्मकता और कला इनके हर कार्य में झलकती है।फ़ोटोग्रैफ़ी इनका प्रिय शौक है।

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पत्रिका ---"निकट” का नौवां अंक ---।

रविवार, 7 सितंबर 2014

           
 हिंदी साहित्य को प्रतिष्ठित कराने और पहचान दिलाने में लघु पत्रिकाओं की एक बहु-आयामी भूमिका रही है।बहुत सी पत्रिकाएं निकलीं और कुछ अंक प्रकाशित करने के बाद बंद भी हुईं,पर इनकी परंपरा और निरंतरता पर कभी विराम नहीं लगा।इन पत्रिकाओं में प्रकाशित तमाम रचनाएं वास्तव में हिंदी साहित्य की अमूल्य धरोहर है और कई मायनों में इतिहास भी।व्यक्तिगत साधनों से निकलने वाली इन पत्रिकाओं ने हज़ारों की संख्या में नए लेखकों को मंच ही नहीं दिया,ल्कि उन्हें प्रसद्धि भी दी"निकट"एक ऐसी ही साहित्यिक पत्रिका है,जिसके ले ही वर्ष में केवल दो अंक निकलते है,पर इसमें प्रकाशित रचनाओं का सन्देश बहुत दूर तक जाता है।लघु पत्रिका निकालना निश्चित ही एक चुनौती भरा काम है।यह चुनौती तब और भी बढ़ जाती है,जब इस तरह की पत्रिका देश के बाहर रह कर निकालनी हो।  
          कथाकार कृष्ण बिहारी के सम्पादन में संयुंक्त अरब अमीरात की राजधानी आबूधाबी से प्रकाशित होने वाली पत्रिका"निकट"का अंक-9 (जुलाई,14 दिसम्बर,14)हाल ही में प्रकाशित होकर आया है।इस अंक में वह सब कुछ सामग्री है जो किसी भी साहित्यिक पत्रिका को सम्पूर्णता प्रदान करती है।स्व0अमरकांत पर लिखे रवीन्द्र कालिया के संस्मरण को पढ़ना एक ऐसे लेखक को निकट से जानने के अहसास से होकर गुजरना है,जिसने अपना पूरा जीवन अभावों में बिता दिया पर लेखन को अपने से दूर नहीं जाने दिया।लेखक बने रहने यह जिद प्राय:कम ही रचनाकारों में देखने को मिलती है।        
स्व0कवि मान बहादुर सिंह की कुछ अप्रकाशित कविताएं इस अंक की खास उपलब्धि है।मान बहादुर सिंह ने अपनी कविताओं में जिस तरह से लोक जीवन को सम्पूर्णता के साथ उकेरा है,वह उन्हें अपने समकालीन कविओं में एक अलग पहचान देता है।इसके लिए उन्हें लम्बे समय तक याद किया जाएगा।कुछ पंक्तियां दृष्टव्य हैं।
उजरा बैल उलांच रहा है,
पगहे भर में नाच रहा है,
खूंटा सूंघ चाटकर नथ को
अपने मूत लिखी जो भाषा,
मुँह बिचकाए बांच रहा है
उजरा बैल कुलांच रहा है--।
        रवींद्र कालिया,प्रेम भारद्धाज,विभारानी और प्रताप दीक्षित की कहानियां तो कथारस से भरपूर है ही,बिमल चन्द्र पाण्डेय के उपन्यास का अंश भी कम पठनीय नहीं है।हिंदी में अभी भी सिनेमा पर गंभीर आलेख प्राय:कम ही पढ़ने को मिलते है,पर सुचित्रा सेन पर दयानंद पाण्डेय और समकालीन फिल्मों पर सुदीप्ति के आलेख इस अति प्रभवशाली माध्यम के प्रति पत्रिका के सकारात्मक दृष्टिकोण को रेखांकित करते है।आज सिनेमा और रंगमंच का साहित्य से जो रिश्ता जुड़ रहा है उसमे इस तरह के आलेख निश्चित ही उस रिश्ते को मजबूती देने और   समझने में एक सार्थक भूमिका का निर्वाह करेंगे।"निकट" के अगले अंकों से और भी अपेक्षाएं है।
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कौशल पाण्डेय                                  
1310ए,वसंत विहार,
कानपुर208021
मो0-09389462070                                                                                                 
                                   

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. ‘देख लूं तो चलूं’ "आदिज्ञान" का जुलाई-सितम्बर “देश भीतर देश”--के बहाने नार्थ ईस्ट की पड़ताल “बखेड़ापुर” के बहाने “बालवाणी” का बाल नाटक विशेषांक। “मेरे आंगन में आओ” ११मर्च २०१९ ११मार्च 1mai 2011 2019 अंक 48 घण्टों का सफ़र----- अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस अण्डमान का लड़का अनुरोध अनुवाद अभिनव पाण्डेय अभिभावक अम्मा अरुणpriya अर्पणा पाण्डेय। अशोक वाटिका प्रसंग अस्तित्व आज के संदर्भ में कल आतंक। आतंकवाद आत्मकथा आनन्द नगर” आने वाली किताब आबिद सुरती आभासी दुनिया आश्वासन इंतजार इण्टरनेट ईमान उत्तराधिकारी उनकी दुनिया उन्मेष उपन्यास उपन्यास। उम्मीद के रंग उलझन ऊँचाई ॠतु गुप्ता। एक टिपण्णी एक ठहरा दिन एक तमाशा ऐसा भी एक बच्चे की चिट्ठी सभी प्रत्याशियों के नाम एक भूख -- तीन प्रतिक्रियायें एक महत्वपूर्ण समीक्षा एक महान व्यक्तित्व। एक संवाद अपनी अम्मा से एल0ए0शेरमन एहसास ओ मां ओडिया कविता ओड़िया कविता औरत औरत की बोली कंचन पाठक। कटघरे के भीतर कटघरे के भीतर्। कठपुतलियाँ कथा साहित्य कथावाचन कर्मभूमि कला समीक्षा कविता कविता। कविताएँ कवितायेँ कहां खो गया बचपन कहां पर बिखरे सपने--।बाल श्रमिक कहानी कहानी कहना कहानी कहना भाग -५ कहानी सुनाना कहानी। काफिला नाट्य संस्थान काल चक्र काव्य काव्य संग्रह किताबें किताबों में चित्रांकन किशोर किशोर शिक्षक किश्प्र किस्सागोई कीमत कुछ अलग करने की चाहत कुछ लघु कविताएं कुपोषण कैंसर-दर-कैंसर कैमरे. कैसे कैसे बढ़ता बच्चा कौशल पाण्डेय कौशल पाण्डेय. कौशल पाण्डेय। क्षणिकाएं क्षणिकाएँ खतरा खेत आज उदास है खोजें और जानें गजल ग़ज़ल गर्मी गाँव गीत गीतांजलि गिरवाल गीतांजलि गिरवाल की कविताएं गीताश्री गुलमोहर गौरैया गौरैया दिवस घर में बनाएं माहौल कुछ पढ़ने और पढ़ाने का घोसले की ओर चिक्कामुनियप्पा चिडिया चिड़िया चित्रकार चुनाव चुनाव और बच्चे। चौपाल छिपकली छोटे बच्चे ---जिम्मेदारियां बड़ी बड़ी जज्बा जज्बा। जन्मदिन जन्मदिवस जयश्री राय। जयश्री रॉय। जागो लड़कियों जाडा जात। जाने क्यों ? 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