नेता जी के नाम एक बच्चे का पत्र(भाग-2)
बुधवार, 16 अप्रैल 2014
आदरणीय नेता जी,
सादर चरण स्पर्श।
मैंने अपने पिछले पत्र में आप से कुछ बातों का अनुरोध किया था।आशा है आप उन
बातों पर तो विचार करेंगे ही। साथ में मैं अपने मित्रों और भाई बन्धुओं की कुछ और
बातें भी आज आपके सामने रख रहा हूं। चुनाव जीतने पर आप इन बातों पर भी ध्यान
दीजियेगा।
v
आप कभी अपने शहर में ध्यान से देखिये आपको हजारों की संख्या
में ऐसी झुग्गी झोपड़ियां मिल जायेंगी जो
कूड़े के ढेर के पास,नालों के किनारे या फ़िर किसी बड़ी बिल्डिंग के अगल बगल खाली
पड़े मैदानों में बनी हैं।इन्हें आप बड़े लोगों ने स्लम एरिया या मलिन बस्तियों का नाम
दिया है।इन बस्तियों में छोटी छोटी झोपड़ियों में हमारा
पूरा कुनबा बसता है।इन्हीं में हम रहते हैं।इन्हीं में हम पैदा होते हैं और
इन्हीं में मर जाते हैं।
लेकिन ये हमारे स्थायी
निवास नहीं हैं।बस यूं कह सकते हैं कि सर छुपाने का एक ठिकाना मात्र
हैं।हर समय हमारे मां बाप के सर के ऊपर एक तलवार लटकती रहती है कि कब हम यहां
से उजाड़ दिये आयेंगे।
आदरणीय नेता जी,मेरी उमर सिर्फ़ छः
साल है। और इन छः सालों में हमारी झोपड़ी को चार बार शहर के इस कोने से
उस कोने में फ़ुटबाल की तरह उछाला गया है।क्या आप चुनाव जीतने के बाद उजाड़े
जाने की हमारी इस अन्तहीन यात्रा को रुकवा कर हमारे रहने का कोई
पुख्ता इन्तजाम कर सकते हैं?
v अखबार तो आप भी पढ़ते
होंगे। और अक्सर ये खबर भी कि फ़लां गांव में दो साल का राजू बोरवेल के गड्ढे में
गिर पड़ा।पूरे
देश मैं पिछले तीन चार सालों में हम मासूमों के बोरवेल में गिरने
की कम से कम पचास घटनायें तो हुई होगी (संख्या और भी ज्यादा हो
सकती है)।इनमें कुछ बच्चों को अथक प्रयासों से बच्चा लिया गया . कुछ अभागे नही बच
सके। माननीय महोदय क्या इन सब मौतों को
रोकने के लिये कुछ कोशिश करेंगे?
v अखबार में
हर दूसरे तीसरे या कभी कभी रोज ही यह समाचार आते हैं कि “तीन वर्षीय मासूम(लड़का/लड़की) की दुराचार के बाद हत्या”। आप हमारे
साथ ऐसीपाशविक और घिनौनी
हरकत करने वालों से हमें बचाने की दिशा में भी कुछ काम करेंगे क्या?
v
आप सभी बड़े लोग हम बच्चों को मजदूरी करने से
रोकने,बाल श्रम को खतम करने की बातें तो
बहुत करते हैं---फ़िर आप अपने घर पर ही 14 साल से कम उम्र के बच्चों
से काम करवाने,अपनी कार में आठ नौ साल के बच्चे से पंचर जुड़वाने,अपनी कोठियों पर इसी उमर की हमारी बहनों
से झाड़ू पोंछा जैसे घरेलू काम क्यों करवाते हैं?इस तरह तो बाल श्रम
उन्मूलन की दिशा में आप लोगों द्वारा बनायी
गयी योजनायें कभी पूरी ही नहीं होंगी।
v नेता जी,हमारे
गांव में पिछले दिनों जहरीली शराब पीकर लगभग तीस आदमी(हमारे बापू सहित) मर गये
थे। इस तरह सिर्फ़ हमारे गांव में लगभग मेरे जैसे सत्तर बच्चे अनाथ हो गये थे।
पूरे प्रदेश और देश में हर साल ऐसे हजारों बच्चे अचानक अनाथ हो जाते हैं।आदरणीय नेता जी क्या आप इस जहर पर भी किसी तरह कोई रोक लगा सकेंगे?
v
चलते चलते एक बात और बता दूं महोदय कि मेरे
कुल सात बहनें और दो भाई हैं।मेरे बापू
हम सभी को आज तक कभी भर पेट खाना नहीं खिला सके।क्योंकि हमारा कुनबा
बहुत बड़ा हो गया।बापू की आमदनी उतनी है नहीं।जरा सोचिए आप मेरे ही बापू
की तरह हजारों बापू ऐसे होंगे जो एक अदद बेटे की चाह में कई-कई बेटियों को
जन्म देते हैं।भले ही उन्हें भर पेट खाना न खिला सकें।क्या आप हमारे बापू जैसे करोड़ों इन्सानों की बेटा
बेटी में फ़र्क करने की इस अमानवीय मानसिकता में बदलाव लाने के लिये कुछ प्रयास करेंगे?
आदरणीय
नेता जी,ये कुछ बातें थीं जो मैं आप तक पहुंचाना चाहता था।
हम बच्चों की इन बातों पर विचार करके,इन्हें दूर करने की
दिशा में यदि आप कुछ भी प्रयास करेंगे तो शायद यह देश के हम सभी बच्चों का सौभाग्य
होगा। और अपने बचपन का सही आनन्द उठा सकेंगे।
शुभकामनाओं के साथ।
आपके गांव का
एक बच्चा
0000
Read more...