जागो लड़कियों
शुक्रवार, 23 सितंबर 2011
बालिका दिवस पर दुनिया की सभी बालिकाओं को समर्पित मेरी यह
कविता---तथा सभी पाठकों/पाठिकाओं को हार्दिक शुभकामनायें।
जागो लड़कियों
जागो लड़कियों जागो
बना दो अपने हस्ताक्षर
इतिहास के सीने पर।
हर गांव गली चौराहों पर
गूंजें बस
तुम्हारे ही गाये हुये गीत
बता दो इस पूरी दुनिया को
कि तुमने भी
सजा लिया है
वक्त की रफ़्तार को
अपनी सुकोमल लेकिन
धारदार हथेलियों पर।
हवाओं से कह दो
वो भी गुनगुनायें
तुम्हारे गीत और राग
हर दिशा में
झरनों की अठखेलियां भी
अब मिला लें ताल
तुम्हारी ही इजाद की हुई
अनोखी नृत्य मुद्राओं से।
बता दो आज पूरी दुनिया को
कि अब नहीं धड़कता है तुम्हारा सीना
खामोश आंगन की चहारदिवारियों में अकेला
अब तुम्हारी
हर धड़कन के साथ है
चिड़ियों का कलरव
झरनों का संगीत
हवाओं की सरसराहट
फ़ूलों की खुशबू
पर्वतों की ऊंचाइयां
और सागर की उत्ताल तरंगों की
गम्भीर गर्जना।
जागो लड़कियों जागो
बना दो हस्ताक्षर
इतिहास के सीने पर।
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हेमन्त कुमार