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बाल साहित्य प्रेमियों के लिये बेहतरीन पुस्तक

मंगलवार, 27 जुलाई 2010

               
                        पुस्तक:बाल साहित्यकार कौशल पाण्डेय
                                   सृजन और संवाद
                         संपादन: डा0सुनीता यदुवंशी
                         प्रकाशक: शैलजा प्रकाशन
                                 57-पी,कुंज विहार2
                                 यशोदानगर, कानपुर-208011

                   किसी भी साहित्यकार के पूरे साहित्य को एक साथ एक ही जिल्द में पढ़ना अपने आप में एक अनोखा और विशिष्ट अनुभव होता है।अनोखा इसलिये कि आप एक साथ उस रचनाकार की विभिन्न विधाओं में लिखी गयी रचनाओं का रसस्वादन करते हैं।विशिष्ट इसलिये कि आप उस साहित्यकार की पूरी रचना यात्रा से रूबरू होते हैं।खासतौर से बाल साहित्य के संदर्भ में यह बात ज्यादा सार्थक कही जा सकती है।
                             कुछ ऐसा ही अनुभव प्रतिष्ठित लेखक कौशल पाण्डेय के ऊपर लिखी गई पुस्तक बाल साहित्यकार कौशल पाण्डेय:सृजन और संवाद पढ़कर हमें होता है। इस पुस्तक का संपादन डा0 सुनीता यदुवंशी ने किया है।पुस्तक में श्री कौशल पाण्डेय द्वारा रचित 41 बाल कवितायें,एक लंबी बाल कविता,तीन बाल कहानियां,तीन बाल नाटक तथा बाल साहित्य पर दो लेख संकलित हैं। इनके साथ ही कौशल जी के ऊपर लिखे गये लेखों एवं उनसे लिये गये साक्षात्कार भी शामिल किये गये हैं। यानी कि बाल साहित्य पर काम करने वाले किसी अध्येता को कौशल पाण्डेय के बाल साहित्य को ढूंढने के लिये कहीं इधर उधर भटकना नहीं पड़ेगा। उसे कौशल जी का समग्र बाल साहित्य एक साथ इसी किताब में मिल जायेगा। इस दृष्टि से यह एक महत्वपूर्ण पुस्तक है।
                              अब अगर हम इस पुस्तक में संकलित रचनाओं की चर्चा करें तो कह सकते हैं कि ये समस्त रचनायें एक ऐसे साहित्यकार द्वारा लिखी गयी हैं जिसको बाल मनोविज्ञान,बच्चों की रुचि अरुचि,उनकी भाषा के स्तर की बहुत गहरी समझ है। कौशल जी ने बाल मन के अंदर कितनी गहराई के साथ झांका है इस बात का प्रमाण उनकी बाल कविता दादा जी की चिट्ठीमें देखा जा सकता है---
         दादी जी को हुआ जुकाम/खाए थे दो कच्चे आम/उस पर पिया था ठण्ढा पानी/बोलो है ना ये नादानी।अब न करूंगी गलती ऐसी/कान पकड़ के उट्ठी बैठी/दादा
जी की आई------।
             यानि कि दादी जी की गलती पर उनसे उठक बैठक करवाना एक बालमन की उपज ही तो है।और बच्चों की इसी बाल सुलभ चंचलता को कौशल जी ने बखूबी पकड़ा है। बाल मन की यही चंचलता,उत्सुकता,उसकी कल्पना की उड़ान हमें इस पुस्तक की ज्यादातर कविताओं(कहो कहानी नानी जी,सिंहराज की बीमारी,सुनिये बंदर मामा जी,आज का अखबार,नाव आदि)में दिखाई पड़ती है।
            कौशल पाण्डेय की पकड़ बच्चों की कहानियों पर भी उतनी ही है जितनी कि कविताओं पर। वैसे भी पाण्डेय जी ने बड़ों के लिये कहानियां ज्यादा लिखी हैं। इस संकलन में हालांकि सिर्फ़ तीन ही बाल कहानियां हैं।वह दीवाली, कहानी दुष्ट कौवे की’ औरसीख ऐसे मिली।लेकिन लंबी बाल कविता सोन मछरिया गहरा पानी भी एक गीतात्मक कहानी ही है। और यह भी बाल पाठकों को पूरी कहानी का आनन्द देती है।वह दीवालीकहानी एक अध्यापक और छात्र के मनोभावों को गहराई से उकेरती है वहीं सीख ऐसे मिलीएक घमंडी बच्चे के हृदय परिवर्तन की कथा है। कहानी दुष्ट कौवे की’ अपेक्षाकृत छोटे बच्चों के लिये लिखी गयी कहानी है।
          कौशल पाण्डेय बाल गीतकार,कहानीकार के साथ ही एक सफ़ल नाटककार भी हैं।इस संग्रह में संकलित बाल नाटक आंखें ऐसे खुलीं,पासा पलट गया,जहाँ किशोर छात्रों की उद्दण्डताओं, शैतानियों के साथ उनमें आये बदलाव को रेखांकित करते हैं वहीं सच होता सपना प्रौढों एवं नव साक्षरों को संदेश देने वाला नाटक है।ये तीनों नाटक यद्यपि हैं तो छोटे यानि कम अवधि के। लेकिन आज बच्चों की ज़रूरत के हिसाब से उपयुक्त हैं।क्योंकि अक्सर बच्चों को अपने स्कूलों में मंचन के लिये छोटे नाटकों की ज़रूरत पड़ती है और ये नाटक इन ज़रूरतों को पूरा करेंगे।
          कौशल पाण्डेय की इस सर्जनात्मक यात्रा को और गहराई से समझने,बाल साहित्य कि प्रति उनके समर्पण,प्रतिबद्धता से समझने के लिये हमें उनके द्वारा लिखे लेख तथा उनके ऊपर लिखे गये लेखों और साक्षत्कार को भी पढ़ना आवश्यक है।ये लेख, साक्षत्कार हमें कौशल जी की बाल साहित्य की प्रतिबद्धता, समझ,अंर्तदृष्टि को तो बताते ही हैं,उनके अंदर छिपे बालमन का भी साक्षत्कार कराते हैं। पाण्डेय जी ने अंबिका सिंह वर्मा से बातचीत में इस बात को स्वीकार किया है कि बच्चों के लिये लिखना मेरे लिये आत्मसंतोष की बात है। और उनके अंदर का बाल साहित्य के प्रति यही झुकाव हमें उनकी समस्त रचनाओं में तो दिखाई पड़ता ही है साथ ही उन्हें बाल साहित्य के सर्जकों में एक विशिष्ट स्थान भी प्रदान करता है।
        कुल मिलाकर यह पुस्तक हिन्दी के सभी बाल साहित्य प्रेमियों के लिये तो लाभप्रद है ही,उन शोधार्थियों का भी यह मार्गदर्शन करेगी जो बाल साहित्य के क्षेत्र में शोध करना चाहते हैं।
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हेमन्त कुमार

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. ‘देख लूं तो चलूं’ "आदिज्ञान" का जुलाई-सितम्बर “देश भीतर देश”--के बहाने नार्थ ईस्ट की पड़ताल “बखेड़ापुर” के बहाने “बालवाणी” का बाल नाटक विशेषांक। “मेरे आंगन में आओ” ११मर्च २०१९ ११मार्च 1mai 2011 2019 अंक 48 घण्टों का सफ़र----- अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस अण्डमान का लड़का अनुरोध अनुवाद अभिनव पाण्डेय अभिभावक अम्मा अरुणpriya अर्पणा पाण्डेय। अशोक वाटिका प्रसंग अस्तित्व आज के संदर्भ में कल आतंक। आतंकवाद आत्मकथा आनन्द नगर” आने वाली किताब आबिद सुरती आभासी दुनिया आश्वासन इंतजार इण्टरनेट ईमान उत्तराधिकारी उनकी दुनिया उन्मेष उपन्यास उपन्यास। उम्मीद के रंग उलझन ऊँचाई ॠतु गुप्ता। एक टिपण्णी एक ठहरा दिन एक तमाशा ऐसा भी एक बच्चे की चिट्ठी सभी प्रत्याशियों के नाम एक भूख -- तीन प्रतिक्रियायें एक महत्वपूर्ण समीक्षा एक महान व्यक्तित्व। एक संवाद अपनी अम्मा से एल0ए0शेरमन एहसास ओ मां ओडिया कविता ओड़िया कविता औरत औरत की बोली कंचन पाठक। कटघरे के भीतर कटघरे के भीतर्। कठपुतलियाँ कथा साहित्य कथावाचन कर्मभूमि कला समीक्षा कविता कविता। कविताएँ कवितायेँ कहां खो गया बचपन कहां पर बिखरे सपने--।बाल श्रमिक कहानी कहानी कहना कहानी कहना भाग -५ कहानी सुनाना कहानी। काफिला नाट्य संस्थान काल चक्र काव्य काव्य संग्रह किताबें किताबों में चित्रांकन किशोर किशोर शिक्षक किश्प्र किस्सागोई कीमत कुछ अलग करने की चाहत कुछ लघु कविताएं कुपोषण कैंसर-दर-कैंसर कैमरे. कैसे कैसे बढ़ता बच्चा कौशल पाण्डेय कौशल पाण्डेय. कौशल पाण्डेय। क्षणिकाएं क्षणिकाएँ खतरा खेत आज उदास है खोजें और जानें गजल ग़ज़ल गर्मी गाँव गीत गीतांजलि गिरवाल गीतांजलि गिरवाल की कविताएं गीताश्री गुलमोहर गौरैया गौरैया दिवस घर में बनाएं माहौल कुछ पढ़ने और पढ़ाने का घोसले की ओर चिक्कामुनियप्पा चिडिया चिड़िया चित्रकार चुनाव चुनाव और बच्चे। चौपाल छिपकली छोटे बच्चे ---जिम्मेदारियां बड़ी बड़ी जज्बा जज्बा। जन्मदिन जन्मदिवस जयश्री राय। जयश्री रॉय। जागो लड़कियों जाडा जात। जाने क्यों ? 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