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नित्या शेफाली की कविताएं

शुक्रवार, 29 नवंबर 2024

 आज आप मेरे ब्लाग पर पढ़ सकते हैं मेरी छोटी बेटी नित्या शेफाली की चार कविताएं।




(1)लहरों की दौड़



ना इनका कोई अंत है


ना इनकी कोई सीमा है


फिर भी


लहरें भी रेस लगाती हैं


सागर की गहराइयों से


कई अलग अलग किनारों से


कुछ गोताखोरों


कुछ मछुआरों से


कुछ जलजीवों से


तो कुछ आसमान और 


उसके पंछियों से


किस्से कहानियां बटोरे


हमें सुनाने की कोशिश में


लहरें भी रेस लगाती हैं।


एक मधुर ध्वनि की तरह


तो कभी तेज गर्जन के साथ


लहरें भी रेस लगाती हैं।


कभी कभी ये लहरें


किसी शैतान बच्चे की तरह


किसी की अंगूठी


तो किसी की चप्पल,


अपने साथ लेके भाग जाती हैं।


उस समय भी


ये लहरें रेस लगाती हैं।


ठीक उसी तरह


जैसे हम मनुष्य


जीवन की रेस लगाते हैं।


फर्क बस इतना है,


कि ये लहरें 


खुशी देने और खुश रहने 


के लिए रेस लगाती हैं।


और हम सिर्फ खुद के लिए।


000

 


(2) नाव और समंदर


कभी देखा है ऐसा


एक अनोखा रिश्ता?



कई कहानियों को समेटे


एक लंबा सफर तय करता हुआ


साथ हो कर डूब जाने का डर


दूर हो तो खालीपन में खोने का।


मगर इस डर की डोर ने 


दोनो को बांधा है।


कभी नाव लहरों का


तो कभी ये लहरें


किस्सों से भरी नाव का


कांधा है।


000


(3) सपने 


दूर कहीं बादलों में


किसी के सपनों की गठरी


अपने आंगन को पीछे छोड़ 


हवा के संग 


और आगे का सफर 


तय करती है।


और किसी की मजबूरी


उसके सपनों को


बारिश की बूंदों के साथ


वापस मिट्टी में खींच लाती है।


इस उम्मीद से,


कि शायद अगली बार 


बिना अपना घर छोड़े


वो बारिश की बूंद,


उसके सपनों के

 

बीज को 


एक छायादार फलदार


तने हुए ऊंचे आसमान छूते


वृक्ष में बदल दे।


उफ्फ ये नादान नासमझ सपने।


ना जाति धर्म


ना ऊंच नीच


ना अमीरी गरीबी


ना मजबूरी,


कुछ नहीं देखते हैं ये।


बस, चुपचाप


दबे पांव,


आ कर बस जाते हैं,


आखों में, और .....


इस चंचल मन में।


000


4-मंजिल


धुंधली सी शुरुआत है


रास्ते ऊबड़ खाबड़ हैं ।


मन कुछ उफनती लहरों सा


कुछ रेतीले पहाड़ सा


कुछ पेड़ पे उगती 


नई पत्ती जैसा है।


ख्वाब बादलों की तरह


कभी बहते,


कभी गरज के बरसते 


और कभी बस अपनी जगह


रुके हुए से दिख रहे हैं।


मगर मंज़िल अब भी


आंखों से ओझल नहीं हुई 


साफ दिख रही है।


उत्सुक है,


शायद, वो भी


मेरे उस तक 


पहुंचने का


इंतज़ार कर रही है।


वो भी,


एक नई मैं से मिलने का 


इंतज़ार कर रही है।


000


नित्या शेफाली
 


लखनऊ की युवा कवयित्री नित्या शेफाली मूलतः ज्वेलरी डिजाइनिंग का काम करती हैं।और वर्तमान में जयपुर में कैरेट लेन कम्पनी में  ज्वेलरी डिजाइनर के पद पर कार्यरत हैं।बचपन से ही कला,साहित्य,संगीत और अभिनय में रूचि।नई नई किताबें खूब पढ़ती हैं।नित्या शेफाली कभी कभी मन में घुमड़ते विचारों को कविताओं के रूप में कलमबद्ध भी करती हैं।

 

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