यह ब्लॉग खोजें

पुस्तक समीक्षा-- बच्चे पढ़ें—मम्मी पापा को भी पढ़ाएं—“लू लू की सनक”

मंगलवार, 9 जून 2015

पुस्तक-लू लू ली सनक
(बाल कहानी संग्रह)
लेखक-दिविक रमेश
चित्र-अतुल वर्धन
प्रकाशक-नेशनल बुक ट्रस्ट,इंडिया
नेहरू भवन,5,इंस्टीट्युशनल एरिया,फ़ेज-2
वसंत कुंज,नई दिल्ली-110070

संस्करण-2014 मूल्य-रू075/मात्र।

        हिन्दी में बाल साहित्य लिखा तो खूब जा रहा है,प्रकाशित भी हो रहा है।लेकिन इसमें नये प्रयोग बहुत कम हो रहे हैं।प्रयोग से यहां मेरा तात्पर्य रचनात्मक खिलन्दड़ेपन से है।मतलब रचनाओं से रचनाकार कुछ इस तरह खेले जो बाल मन को भाए,आकर्षित करे।उनके अंदर किताब को पढ़ने की ललक बढ़ाए।
     अभी कुछ ही दिनों पहले(2014) नेशनल बुक ट्र्स्ट से प्रकाशित दिविक रमेश जी का बाल कहानी संग्रह लू लू की सनक एक ऐसा ही प्रयोगधर्मी बाल कहानियों का संकलन है।इस संकलन में दिविक जी की कुल छः कहानियां संकलित हैं।लू लू की मां,लू लू की सनक,लू लू बड़ा हो गया,लू लू की बातें,लू लू का गुस्सा,और लाल बत्ती पर।संकलन की खास बात यह है कि इसकी सभी कहानियों का नुख्य पात्र लू लू नाम का स्कूल जाने वाला एक बच्चा है।हर कहानी में लू लू के साथ ही ्घटने वाली घटनाओं,उसके मन में उठने वाले प्रश्नों,उसकी मां द्वारा दिये गये उत्तरों और उसके आस-पास के वातावरण के माध्यम से दिविक जी ने सारी कहानियों का ताना बाना बुना है।
   एक ही पात्र को लेकर कई कहानियां लिखना किसी भी लेखक के लिये एक रचनात्मक प्रयोग तो है पर इसमें एक बड़ा खतरा भी है।खास तौर से तब जब कहानियां छोटे बच्चों के लिये लिखी जा रही हों।खतराघटनाओं,दृश्यों,शब्दों के दुहराव काखतरा रोचकता की कमी आने से पाठकों की ऊब कामुख्य पात्र के अतिरिक्त अन्य पात्रों से पकड़ छूट जाने का।लेकिन बाल मनोविज्ञान पर अच्छी पकड़ और बाल मनोभावों की गहराई तक पैठ बनाने वाले दिविक रमेश जी ने  यह प्रयोग बहुत सफ़लता पूर्वक किया है।
       संकलन की पहली कहानीलू लू की मां।इसमें लू लू के माध्यम से लेखक ने उन बच्चों को रिप्रजेण्ट किया है जो आलसी होते हैं।अपना काम खुद नहीं करना चाहते्।दूसरों पर आश्रित हो जाते हैं।जैसे कहानी का मुख्य पात्र लू लू अपना हर काम अपनी मां से करवाता है।क्योंकि यह उसे अच्छ लगता है।मां परेशान।पर लू लू के पड़ोसी टी लू की मां ने लू लू की मां को जो मन्त्र दिया उससे लू लू पूरी तरह बदल गया। और अपना हर काम खुद करने लगा।
      दूसरी कहानी—“लू लू ली सनकउन बच्चों के ऊपर आधारित है जो खाने पीने में आनाकानी करते हैं।सिर्फ़ किसी एक चीज को खाने के लिये अपने मां बाप से जिद करते हैं।कहानी में लू लू रोज स्कूल के टिफ़िन में सिर्फ़ चिप्स ले जाता है।कोई और चीज उसे पसंद नहीं।पर टी लू की मां और स्कूल की शिक्षिका ने जो मजेदार योजना उसे सुधारने की बनायी यह कहानी पढ़ कर ही समझा जा सकता है। और अन्ततः लू लू सुधर गया।
   संकलन की तीसरी कहानी लू लू बड़ा हो गयामें लू लू के माध्यम से लेखक ने ऐसे बच्चों के जीवन को दिखाने की कोशिश की है जो सिर्फ़ अपनी ही दुनिया में खोए रहते हैं और किसी से कोई मतलब नहीं रखना चाहते।लू लू अपने जन्म दिवस के उपहारों के लिये इतनी बेसब्री दिखाता है कि अगले जन्मदिन के इन्तजार का एक एक दिन उसके लिये काटना मुश्किल।लेकिन मां द्वारा ढंग से समझाने पर उसे यह समझ में आ गया कि जितनी खुशी उपहार पाने पर है उससे कहीन अधिक खुशी उपहार देने पर होती है।जिस दिन उसने अपने घर की कमवाली के बेटे को उसके जन्मदिवस पर अपना प्यारा पिग्गी बाक्स उपहार में दे दिया उस दिन उसे सच्ची खुशी मिली।
    संकलन की चौथी कहानी लू लू की बातें,पांचवीं लू लू का गुस्सा,और अंतिम रेड लाइट पर”—में भी दिविक लेखक ने एक छोटे बच्चे के मनोभावों को बड़ी सूक्ष्मता के साथ प्रस्तुत किया है।लू लू के मन में उठने वाले तरह तरह के सवालों के मां द्वारा दिए जाने वाले उत्तर उसे संतुष्ट करते हैं।लू लू का मेढक की तरह उचक उचक कर चलना फ़िर सोचना कि मेढक इस तरह उचक उचक कर चलते हुये क्या सोचता होगा?ये बातें बाल मन का कोई बहुत सूक्ष्म पारखी ही लिख सकता है। और यह काम लेखक ने बखूबी किया है।
   संकलन की सभी कहानियों की भाषा इतनी सरल और सहज है कि बच्चा इन कहानियों को बहुत ही आसानी से समझ सकेगा।सबसे बड़ी बात कथानक को शब्दों में इस तरह से बांधा गया है कि बच्चे के मन में बराबर ये उत्सुकता भी बनी रहेगी  कि लू लू अगली कहानी में क्या गुल खिलाने वाला है?वह अपनी मां से क्या बातें पूछेगा?
    एक बात औरयह संकलन जितनाबच्चों के लिये रोचक,मनोरंजक प्रेरणापद और पठनीय है उतना ही यह अभिभावकों के लिये भी महत्वपूर्ण है।क्योंकि हर कहानी में लू लू की मां को जिस ढंग से लू लू को हैण्डिल करते दिखाया गया है वह काबिले तारीफ़ है।लू लू की मां लू लू की हर सनक को,उसके हर प्रश्न को बिना गुस्सा हुये बहुत ही सहजता के साथ हैण्डिल करती है,उसका समाधान निकालती है। जबकि आज की तारीख में ज्यादा संख्या ऐसे अभिभावकों की है जो बच्चों के प्रश्नों पर या तो खीझते हैं या फ़िर उन्हें टाल देते हैं। ऐसे अभिभावकों को लू लू की सनक से निश्चित ही प्रेरणा मिलेगी। और यह इस संकलन की सबसे बड़ी सफ़लता होगी।
     पुस्तक में अतुल वर्धन द्वारा बनाए गये चित्रों ने पात्रों को सजीव तो किया ही है कथानक को औअ सुसज्जित कर दिया है।इस पठनीय और अच्छी पुस्तक के प्रकाशन के लिये दिविक जी के साथ ही नेशनल बुक ट्रस्ट को भी बधाई।
                           00000
समीक्षक-डा0हेमन्त कुमार

डा0दिविक रमेश
डा0 दिविक रमेश हिन्दी साहित्य  के प्रतिष्ठित कथाकार,कवि, एवम बाल साहित्यकार हैं।
आपकी अब तक कविता,आलोचनात्मक निबन्धों,बाल कहानियों,बालगीतों की 50 से अधिक पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं।तथा आप कई राष्ट्रीय एवम अन्तर्राष्ट्रीय पुरस्कारों से सम्मानित किये जा चुके हैं।पिछले वर्ष आपको उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान द्वारा बाल साहित्य भारती सम्मान से नवाजा गया है।फ़िलवक्त आप दिल्ली में रह कर स्वतन्त्र लेखन कर रहे हैं।

Read more...

लेबल

. ‘देख लूं तो चलूं’ "आदिज्ञान" का जुलाई-सितम्बर “देश भीतर देश”--के बहाने नार्थ ईस्ट की पड़ताल “बखेड़ापुर” के बहाने “बालवाणी” का बाल नाटक विशेषांक। “मेरे आंगन में आओ” ११मर्च २०१९ ११मार्च 1mai 2011 2019 अंक 48 घण्टों का सफ़र----- अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस अण्डमान का लड़का अनुरोध अनुवाद अभिनव पाण्डेय अभिभावक अम्मा अरुणpriya अर्पणा पाण्डेय। अशोक वाटिका प्रसंग अस्तित्व आज के संदर्भ में कल आतंक। आतंकवाद आत्मकथा आनन्द नगर” आने वाली किताब आबिद सुरती आभासी दुनिया आश्वासन इंतजार इण्टरनेट ईमान उत्तराधिकारी उनकी दुनिया उन्मेष उपन्यास उपन्यास। उम्मीद के रंग उलझन ऊँचाई ॠतु गुप्ता। एक टिपण्णी एक ठहरा दिन एक तमाशा ऐसा भी एक बच्चे की चिट्ठी सभी प्रत्याशियों के नाम एक भूख -- तीन प्रतिक्रियायें एक महत्वपूर्ण समीक्षा एक महान व्यक्तित्व। एक संवाद अपनी अम्मा से एल0ए0शेरमन एहसास ओ मां ओडिया कविता ओड़िया कविता औरत औरत की बोली कंचन पाठक। कटघरे के भीतर कटघरे के भीतर्। कठपुतलियाँ कथा साहित्य कथावाचन कर्मभूमि कला समीक्षा कविता कविता। कविताएँ कवितायेँ कहां खो गया बचपन कहां पर बिखरे सपने--।बाल श्रमिक कहानी कहानी कहना कहानी कहना भाग -५ कहानी सुनाना कहानी। काफिला नाट्य संस्थान काल चक्र काव्य काव्य संग्रह किताबें किताबों में चित्रांकन किशोर किशोर शिक्षक किश्प्र किस्सागोई कीमत कुछ अलग करने की चाहत कुछ लघु कविताएं कुपोषण कैंसर-दर-कैंसर कैमरे. कैसे कैसे बढ़ता बच्चा कौशल पाण्डेय कौशल पाण्डेय. कौशल पाण्डेय। क्षणिकाएं क्षणिकाएँ खतरा खेत आज उदास है खोजें और जानें गजल ग़ज़ल गर्मी गाँव गीत गीतांजलि गिरवाल गीतांजलि गिरवाल की कविताएं गीताश्री गुलमोहर गौरैया गौरैया दिवस घर में बनाएं माहौल कुछ पढ़ने और पढ़ाने का घोसले की ओर चिक्कामुनियप्पा चिडिया चिड़िया चित्रकार चुनाव चुनाव और बच्चे। चौपाल छिपकली छोटे बच्चे ---जिम्मेदारियां बड़ी बड़ी जज्बा जज्बा। जन्मदिन जन्मदिवस जयश्री राय। जयश्री रॉय। जागो लड़कियों जाडा जात। जाने क्यों ? जेठ की दुपहरी टिक्कू का फैसला टोपी ठहराव ठेंगे से डा० शिवभूषण त्रिपाठी डा0 हेमन्त कुमार डा०दिविक रमेश डा0दिविक रमेश। डा0रघुवंश डा०रूप चन्द्र शास्त्री डा0सुरेन्द्र विक्रम के बहाने डा0हेमन्त कुमार डा0हेमन्त कुमार। डा0हेमन्त कुमार्। डॉ.ममता धवन डोमनिक लापियर तकनीकी विकास और बच्चे। तपस्या तलाश एक द्रोण की तितलियां तीसरी ताली तुम आए तो थियेटर दरख्त दरवाजा दशरथ प्रकरण दस्तक दिशा ग्रोवर दुनिया का मेला दुनियादार दूरदर्शी देश दोहे द्वीप लहरी नई किताब नदी किनारे नया अंक नया तमाशा नयी कहानी नववर्ष नवोदित रचनाकार। नागफ़नियों के बीच नारी अधिकार नारी विमर्श निकट नियति निवेदिता मिश्र झा निषाद प्रकरण। नेता जी नेता जी के नाम एक बच्चे का पत्र(भाग-2) नेहा शेफाली नेहा शेफ़ाली। पढ़ना पतवार पत्रकारिता-प्रदीप प्रताप पत्रिका पत्रिका समीक्षा परम्परा परिवार पर्यावरण पहली बारिश में पहले कभी पहले खुद करें–फ़िर कहें बच्चों से पहाड़ पाठ्यक्रम में रंगमंच पार रूप के पिघला हुआ विद्रोह पिता पिता हो गये मां पिताजी. पितृ दिवस पुण्य तिथि पुण्यतिथि पुनर्पाठ पुरस्कार पुस्तक चर्चा पुस्तक समीक्षा पुस्तक समीक्षा। पुस्तकसमीक्षा पूनम श्रीवास्तव पेड़ पेड़ बनाम आदमी पेड़ों में आकृतियां पेण्टिंग प्यारा कुनबा प्यारी टिप्पणियां प्यारी लड़की प्यारे कुनबे की प्यारी कहानी प्रकृति प्रताप सहगल प्रतिनिधि बाल कविता -संचयन प्रथामिका शिक्षा प्रदीप सौरभ प्रदीप सौरभ। प्राथमिक शिक्षा प्राथमिक शिक्षा। प्रेम स्वरूप श्रीवास्तव प्रेम स्वरूप श्रीवास्तव। प्रेमस्वरूप श्रीवास्तव प्रेमस्वरूप श्रीवास्तव. प्रेमस्वरूप श्रीवास्तव। प्रेरक कहानी फ़ादर्स डे।बदलते चेहरे के समय आज का पिता। फिल्म फिल्म ‘दंगल’ के गीत : भाव और अनुभूति फ़ेसबुक बंधु कुशावर्ती बखेड़ापुर बचपन बचपन के दिन बच्चे बच्चे और कला बच्चे का नाम बच्चे का स्वास्थ्य। बच्चे पढ़ें-मम्मी पापा को भी पढ़ाएं बच्चे। बच्चों का विकास और बड़ों की जिम्मेदारियां बच्चों का आहार बच्चों का विकास बच्चों को गुदगुदाने वाले नाटक बदलाव बया बहनें बाघू के किस्से बाजू वाले प्लाट पर बादल बारिश बारिश का मतलब बारिश। बाल अधिकार बाल अपराधी बाल दिवस बाल नाटक बाल पत्रिका बाल मजदूरी बाल मन बाल रंगमंच बाल विकास बाल साहित्य बाल साहित्य प्रेमियों के लिये बेहतरीन पुस्तक बाल साहित्य समीक्षा। बाल साहित्यकार बालवाटिका बालवाणी बालश्रम बालिका दिवस बालिका दिवस-24 सितम्बर। बीसवीं सदी का जीता-जागता मेघदूत बूढ़ी नानी बेंगाली गर्ल्स डोण्ट बेटियां बैग में क्या है ब्लाइंड स्ट्रीट ब्लाग चर्चा भजन भजन-(7) भजन-(8) भजन(4) भजन(5) भजनः (2) भद्र पुरुष भयाक्रांत भारतीय रेल मंथन मजदूर दिवस्। मदर्स डे मनीषियों से संवाद--एक अनवरत सिलसिला कौशल पाण्डेय मनोविज्ञान महुअरिया की गंध मां माँ मां का दूध मां का दूध अमृत समान माझी माझी गीत मातृ दिवस मानस मानस रंजन महापात्र की कविताएँ मानस रंजन महापात्र की कवितायेँ मानसी। मानोशी मासूम पेंडुकी मासूम लड़की मुंशी जी मुद्दा मुन्नी मोबाइल मूल्यांकन मेरा नाम है मेराज आलम मेरी अम्मा। मेरी कविता मेरी रचनाएँ मेरे मन में मोइन और राक्षस मोनिका अग्रवाल मौत के चंगुल में मौत। मौसम यात्रा यादें झीनी झीनी रे युवा रंगबाजी करते राजीव जी रस्म मे दफन इंसानियत राजीव मिश्र राजेश्वर मधुकर राजेश्वर मधुकर। राधू मिश्र रामकली रामकिशोर रिपोर्ट रिमझिम पड़ी फ़ुहार रूचि लगन लघुकथा लघुकथा। लड़कियां लड़कियां। लड़की लालटेन चौका। लिट्रेसी हाउस लू लू की सनक लेख लेख। लेखसमय की आवश्यकता लोक चेतना और टूटते सपनों की कवितायें लोक संस्कृति लोकार्पण लौटना वनभोज वनवास या़त्रा प्रकरण वरदान वर्कशाप वर्ष २००९ वह दालमोट की चोरी और बेंत की पिटाई वह सांवली लड़की वाल्मीकि आश्रम प्रकरण विकास विचार विमर्श। विश्व पुतुल दिवस विश्व फोटोग्राफी दिवस विश्व फोटोग्राफी दिवस. विश्व रंगमंच दिवस व्यंग्य व्यक्तित्व व्यन्ग्य शक्ति बाण प्रकरण शब्दों की शरारत शाम शायद चाँद से मिली है शिक्षक शिक्षक दिवस शिक्षक। शिक्षा शिक्षालय शैलजा पाठक। शैलेन्द्र श्र प्रेमस्वरूप श्रीवास्तव स्मृति साहित्य प्रतियोगिता श्रीमती सरोजनी देवी संजा पर्व–मालवा संस्कृति का अनोखा त्योहार संदेश संध्या आर्या। संवाद जारी है संसद संस्मरण संस्मरण। सड़क दुर्घटनाएं सन्ध्या आर्य सन्नाटा सपने दर सपने सफ़लता का रहस्य सबरी प्रसंग सभ्यता समय समर कैम्प समाज समीक्षा। समीर लाल। सर्दियाँ सांता क्लाज़ साक्षरता निकेतन साधना। सामायिक सारी रात साहित्य अमृत सीता का त्याग.राजेश्वर मधुकर। सुनीता कोमल सुरक्षा सूनापन सूरज सी हैं तेज बेटियां सोन मछरिया गहरा पानी सोशल साइट्स स्तनपान स्त्री विमर्श। स्मरण स्मृति स्वतन्त्रता। हंस रे निर्मोही हक़ हादसा। हाशिये पर हिन्दी का बाल साहित्य हिंदी कविता हिंदी बाल साहित्य हिन्दी ब्लाग हिन्दी ब्लाग के स्तंभ हिम्मत हिरिया होलीनामा हौसला accidents. Bअच्चे का विकास। Breast Feeding. Child health Child Labour. Children children. Children's Day Children's Devolpment and art. Children's Growth children's health. children's magazines. Children's Rights Children's theatre children's world. Facebook. Fader's Day. Gender issue. Girl child.. Girls Kavita. lekh lekhh masoom Neha Shefali. perenting. Primary education. Pustak samikshha. Rina's Photo World.रीना पीटर.रीना पीटर की फ़ोटो की दुनिया.तीसरी आंख। Teenagers Thietor Education. World Photography day Youth

हमारीवाणी

www.hamarivani.com

ब्लागवार्ता


CG Blog

ब्लागोदय


CG Blog

ब्लॉग आर्काइव

कुल पेज दृश्य

  © क्रिएटिव कोना Template "On The Road" by Ourblogtemplates.com 2009 and modified by प्राइमरी का मास्टर

Back to TOP