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भारतीय परम्परा,संस्कृति और अध्यात्म की चित्रकार–ॠतु गुप्ता।

रविवार, 12 जुलाई 2015

     
      भारतीय चित्रकला के वर्तमान परिदृश्य को देखने पर एक बात स्पष्ट रूप से सामने आती है वो यह कि इधर कलाकारों ने भारतीय परंपरा,संस्कृति या अध्यात्म पर ज्यादा काम नहीं किया।किया भी है तो या तो कार्टून चित्रों के रूप में या किसी देवी देवता का नकारात्मक चित्र बना कर हंगामा खड़ा करने और लाइम लाइट में आने के लिये।ऐसे कम कलाकार हैं जिन्होंने अपनी कला के माध्यम से भारतीय परंपरा,संस्कृति और अध्यात्म को विश्व स्तर पर स्थापित करने की कोशिश की है।
    ऐसे ही गिने चुने कलाकारों में एक नाम है ॠतु गुप्ता का। 1नवम्बर 1973 को जन्मी ॠतु कानपुर की रहने वाली हैं। ॠतु गुप्ता के अंदर बचपन से ही एक कलाकार भी छिपी बैठी थी।जिसने इन्हें कला के ही क्षेत्र में आगे बढ़ने को प्रेरित किया।इन्होंने अपने कला कर्म की शुरुआत 1995 में कानपुर विश्वविद्यालय के डी0जी0कालेज से फ़ाइन आर्ट्स में मास्टर्स की डिग्री लेने के बाद से किया।अपने कैरियर के शुरुआती दौर में ॠतु ने एक शौकिया चित्रकार के रूप में काम करना शुरू किया था।लेकिन जैसे जैसे वो कला कर्म में गहराई तक उतरती गयीं उनकी कृतियों में निखार आता गया।
                
वैसे तो ॠतु जी ने अपनी पेण्टिंग्स में प्रकृति द्वारा रचित हर आब्जेक्ट को अपना विषय बनाया है।लेकिन इनकी ज्यादातर कलाकृतियां भारतीय परम्पराओं,सांस्कृतिक मूल्यों और अध्यात्म पर केन्द्रित हैं।इनकी पेण्टिंग्स में भारतीय पारंपरिक कला और संस्कृति काफ़ी मुखर रूप में दिखायी देती है।पारंपरिक कलाओं से  सामंजस्य बैठाते हुये इन्होंने अपने चित्रों में अपनी सृजनात्मकता का जो एक खुद का प्रभाव छोड़ा,उसे एक नया मोड़ दिया वह अद्भुत तो है ही साथ ही कला के क्षेत्र में एक क्रान्तिकारी शुरुआत भी है।
 ॠतु की पेण्टिंग्स की सबसे पहली प्रदर्शनी का विषय भारतीय आस्था के प्रतीक गणेश थे।जैसा कि हमारी परम्परा और संस्कृति में है कि हर शुभ कार्य की शुरुआत गणेश जी से ही होती है।शायद अपनी पहली कला प्रदर्शनी के वक्त यही बात इस युवा चित्रकर्त्री के मन में भी रही हो। ॠतु की प्रसिद्ध पेन्टिंग शृंखलाएं हैं—“श्री यंत्र,राधा रमण,इम्पावरिंग लव,स्त्री औरडिवाइन गाडेस
  
ॠतु की पेण्टिंग्स के चटक और आकर्षक रंग हमें बरबस ही अपनी तरफ़ खींचते हैं।इनका रंग संयोजन और ब्रश स्ट्रोक्स इनकी कलाकृतियों को एक अलग एफ़ेक्ट देते हैं।जो हमारे मन को,दिल को शांति पहुंचाने वाला प्रभाव कहा जा सकता है।इन्होंने अपनी पेण्टिंग्स में हर छोटी से छोटी चीज या वस्तु को बहुत सूक्ष्मता और सफ़ाई के साथ चित्रित किया है।जैसे देवताओं  या देवियों के शरीर पर पहनाए जाने वाले वस्त्रों या आभूषणों इत्यादि का।एक खास बात और जिसे मैं रेखांकित करूंगा वो यह कि इनकी हर पेण्टिंग आम जन को कला से जोड़ने की अद्भुत क्षमता रखती है।और यह किसी भी कलाकार के कला कर्म की सबसे बड़ी सफ़लता कही जायेगी।
        ॠतु गुप्ता की पेण्टिंग्स की अब तक देश विदेश में 18 से ज्यादा एकल प्रदर्शनियां लग चुकी हैं और लगभग 21 से अधिक ग्रुप शो में भी आपकी पेन्टिंग्स की उपस्थिति दर्ज हो चुकी है।
   कोई भी कला कर्म एक बहुत बड़ी पूजा और साधना है।इसे साधने में लोगों को बहुत लम्बा सफ़र तय करना होता है।बहुत लम्बा समय भी लगता है।तब कहीं जाकर किसी कलाकार को एक मुकाम हासिल हो पाता है।लेकिन ॠतु गुप्ता ने बहुत कम समय में ही अपनी लगन और अभ्यास से वह मुकाम हासिल कर लिया जहां तक पहुंचने में आमतौर पर कला साधक को बहुत लम्बा समय लग जाता है।उम्मीद है कि ॠतु जी ने अपनी कला के माध्यम से भारतीय परंपरा,संस्कृति और आध्यात्मिक मूल्यों को विश्व के स्तर पर स्थापित करने की जो शुरुआत की है वह निश्चित ही हमारी संस्कृति और परम्पराओं को एक नया आयाम देगी।
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ॠतु गुप्ता
सम्पर्क :9415067901
वेबसाइट-www.galleryatreyi.com


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