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प्रदीप सौरभ की कविता

शनिवार, 30 अक्तूबर 2010

                                       पिता हो गये मां
पिता दहा्ड़ते
मेरा विद्रोह कांप जाता
मां शेरनी की तरह गुत्थमगुत्था करती
बच्चों को बचाती
दुलराती
पुचकारती
मां की मृत्यु के बाद
पिता मां हो गये।

पिता मर गये और मां ने नया अवतार ले लिया
सौ साल पार कर चुकने के बाद भी
वे खड़े रहते
अड़े रहते
वाकर पर चलते
फ़ुदक फ़ुदक
सहारे पर उन्हें गुस्सा आता
वे लाचारगी से डरते।


कभी-कभी अपने विद्रोह पर खिसियाता मैं
क्षमाप्रार्थी के तौर पर प्रस्तुत होता
पिता बस मुस्कुरा देते
अश्रुधारा बह उठती
पिता मां की तरह सहलाते।

फ़िर एक दिन वे मां के पास चले गये
उनके अनगिनत पुत्र पैदा हो गये
कंधा देने की बारी की प्रतीक्षा ही करता रहा मैं
और वे मिट्टी में समा गये।

अक्सर स्मृतियों के झोंके आते
गाहे-बगाहे रात-रात सोने न देते
विद्रोह और पितृत्व की मुठभेड़ में
पितृत्व बार बार जीतता
निरर्थक विद्रोह भ्रम है और पितृत्व सत्य।

पिता मैं भी बना
दो बेटियों का
पिता क्या होते हैं तब यह मैंने जाना।

पिता बरगद होते हैं
पिता पहाड़ होते हैं
पिता नदी होते हैं
पिता झरने होते हैं
पिता जंगल होते हैं
पिता मंगल होते हैं
पिता कलरव होते हैं
पिता किलकारी होते हैं
पिता धूप और छांव होते हैं
पिता बारिश में छत होते हैं
पिता दहाड़ते हैं तो शेर होते हैं।
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                                                                    प्रदीप सौरभ:पेशे से पत्रकार।हिन्दुस्तान दैनिक के दिल्ली संस्करण में विशेष संवाददाता।हिन्दी के चर्चित कवि,पत्रकार और लेखक। मुन्नी मोबाइल उपन्यास काफ़ी चर्चित। तीसरी ताली   उपन्यास प्रकाशनाधीन।कानपुर में  जन्म। परन्तु साहित्यिक यात्रा की शुरुआत इलाहाबाद से। कलम के साथ ही कैमरे की नजर से भी देश दुनिया को अक्सर देखते हैं।पिछले तीस सालों में कलम और कैमरे की यही जुगलबन्दी उन्हें खास बनाती है।गुजरात दंगों की बेबाक रिपोर्टिंग के लिये पुरस्कृत। लेखन के साथ ही कई धारावाहिकों के मीडिया सलाहकार। 
हेमन्त कुमार द्वारा प्रकाशित।



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हिन्दी ब्लाग के स्तंभ

रविवार, 10 अक्तूबर 2010

                        हिन्दी में अन्तर्जाल पर बहुत कुछ लिखा जा रहा है और काफ़ी अच्छा लिखा जा रहा है। यहां मैं उन कुछ खास ब्लाग्स की चर्चा कर रहा हूं जहां पहुंच कर आपको निश्चित रूप से पाठकीय सन्तुष्टि का अनुभव होगा।
                   सबसे पहले तो मैं बात करूंगा देवाशीष जी की वेबसाइट हिन्दी ब्लाग्स डाइरेक्ट्री की। यह अपने आप में एक अनूठा और प्रशंसनीय काम है देवाशीष जी का। आप को इस ब्लाग डाइरेक्ट्री पर दुनिया भर में लिखे जा रहे हिन्दी ब्लाग्स की अद्यतन सूची मिल जायेगी।जहां से आप हर ब्लाग पर पहुंच सकते हैं।अब आती है बात ब्लाग्स की तो मैं यहां हिन्दी के कुछ चुनिन्दा ब्लाग्स की संक्षिप्त जानकारी दे रहा हूं।

1--गंगा किनारे अजब सी मानसिक हलचल
             इस ब्लाग के लेखक श्री ज्ञानदत्त पाण्डेय जी पेशे से रेलवे में यातायात प्रबन्धक हैं।लेकिन उनका मन एक कवि और साहित्यकार का है।रेलवे की पटरियों के साथ ही आस पास,समाज,देश,साहित्य और संस्कृति में होने वाली हलचल ज्ञानदत्त जी के मन को उद्वेलित करती है और इस उद्वेलन को वे बाकायदा अपने ब्लाग में दर्ज करते हैं। बात चाहे ककड़ी,खीरा चकोतरा बेचने वाले की हो या गंगा किनारे के नाविक ,मछुवारों के खोजी बच्चों की।साहित्य हो या फ़िर किसी नयी पुस्तक की चर्चा,तीज त्योहार,मेले ,उत्सव सभी कुछ इनके ब्लाग पर आपको पढ़ने को मिलेगा।
 2- एक मुकम्मल पत्रिका है मानसी ब्लाग
          मानसी ब्लाग को यदि एक मुकम्मल पत्रिका कहा जाय तो कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी।कारण ,ज्यादातर ब्लोग किसी एक ही विधा में लिखे गये हैं।लेकिन इस ब्लाग में संवेदनात्मक कवितायें हैं तो मन को उद्वेलित करने वाली कहानियां भी हैं।एक ओर पद्य की विभिन्न विधाएं---कविता,गज़ल,दोहे,भजन,काव्यानुवाद के साथ ही जापान की प्रचलित काव्य विधा हाइकु हैं दूसरी ओर  कहानी, संस्मरण,लघुकथा, लेख,सांस्कृतिक समाचार,अनुभव आदि भी हम पढ़ सकते हैं।
  मानोशी एक सफ़ल अध्यापिका के साथ कुशल लेखिका भी हैं।यह बात उनके शिक्षा ,बाल मनोविज्ञान से संबन्धित लेखों को पढ़ कर हम समझ सकते हैं।इतना ही नही यदि हम इनके लेखों की भाषा ,शिल्प पर ध्यान दें तो भी इस ब्लाग पर प्रकाशित रचनाओं में हमें एक नयापन दिखाई देता है।
3-दो संस्कृतियों के मध्य एक सेतु----चोंच में आकाश
                    दो संस्कृतियों को जोड़ना अपने में एक कठिन काम है।पर इस काम को बखूबी अंजाम दे रही हैं पूर्णिमा बर्मन इस ब्लाग के माध्यम से।पूर्णिमा जी ने नेट पर उस समय अपने हस्ताक्षर बनाये थे जब नेट पर हिन्दी लिखना बहुत कठिन था।ब्लाग में आपको भारत के साथ पूरे यू ए ई के रीति रिवाजों त्योहारों रहनसहन,खानपान की रोचक जानकारियां मिल जायेंगी।आपको अन्तर्राष्ट्रीय चरित्रों बार्बीडाल,डोनल्ड डक के बारे में भी रोचक लेख मिलेंगे।पूर्णिमा संवेदनशील कवियत्री भी हैं।प्रकृति,समाज देश को लेकर इनके मन में होने वाली उथलपुथल इनकी कविताओं में पढ़ सकते हैं
4-कस्बे में समायी है एक पूरी दुनिया
             कस्बा सिर्फ़ ब्लाग नहीं एक पूरी दुनिया है रवीश जी की वैचारिक उथल पुथल,
मानसिक मन्थन और प्रतिबद्धताओं की। यह ब्लाग बताता है कि वे सिर्फ़ एक टी वी पत्रकार ही नहीं बल्कि उससे बहुत ऊपर मानवता के पुजारी हैं।उनके अन्दर एक बहुत कोमल हृदय कवि भी है।
           कस्बा में आपको एक तरफ़ राष्ट्रीय,अन्तर्राष्ट्रीय राजनीति,समाज,धर्म,संस्कृति,बोली, भाषा पर रोचक विचारोत्तेजक लेख मिलेंगे।जो आपको काफ़ी कुछ सोचने पर मजबूर कर देंगे।दूसरी ओर फ़िल्म समीक्षायें,स्लोगन्स,शिक्षा से जुड़ी और पूरी व्यवस्था पर प्रश्नचिन्ह लगाती टिप्पणियां। कभी कभी आपको लगेगा कि हम ब्लाग पढ़ रहे हैं या फ़िर किसी फ़ोटो एक्जीबिशन में घूम रहे हैं।मतलब यह कि सामाजिक सरोकारों से जुड़ी हर चर्चा आपको यहां मिलेगी।
            और इन सबसे अलग आपको रवीश जी के कवि हृदय को आप उनकी कविताओं के माध्यम से पढ़ सकते हैं।इस ब्लाग पर प्रकाशित कई कविताओं में से एक है बाबू जी का मकान और मकान में उनका फ़्रेम।इस कविता को जितनी बार मैने पढ़ा मेरी आंखों में आंसू आये ------अब आप भी पढ़ कर देखिये।                                                                         5-गीत,गज़ल,लेख का अनोखा संगम उड़न तश्तरी
               जहां न जाये रवि वहां जाये कवि।इस ब्लाग के लिये यह बात सच है।यहां आप छोटी बातों पर लेख पढ़ सकते हैं जिन्हें आपने सोचा नहीं होगा। एक तरफ़ रोचक लेख मिलेंगे दूसरी ओर गम्भीर गजलें कवितायें।एक तरफ़ समीर जी की ब्लागरों के साथ चलने वाली जुगलबन्दी हैं दूसरी ओर देश विदेश की सांस्कृतिक गतिविधियों की झलकियां। ऊपर से समीर जी की सरल भाषा और प्रवाहमयी शैली पढ़ने के आनन्द को दोगुना कर देती है।इनके लेखन की खासियत है कि वो अपने लेख किसी छोटी सी बात से शुरू करके उसे किसी गजल,कविता के साथ पूर्णता तक पहुंचाते हैं। ब्लाग सचमुच उड़न तश्तरी ही है।
6-प्राथमिक शिक्षा की बेहतरी की दिशा में एक कदम----प्राइमरी का मास्टर
     किसी भी देश के भविष्य का पूरा दारोमदार वहां की प्राथमिक शिक्षा पर होता है। हमारे देश में सरकारी ,गैरसरकारी स्तरों पर प्राथमिक शिक्षा की बेहतरी के लिये काफ़ी कोशिशें हो रही हैं।इनसे अलग हटकर एक प्राथमिक शिक्षक इस विषय में क्या सोचता है,क्या चाहता है यह जानने के लिये हमें प्राइमरी का मास्टर ब्लाग जरूर पढ़ना चाहिये।पेशे से प्राथमिक शिक्षक प्रवीण त्रिवेदी ने अपने इस ब्लाग में प्राथमिक शिक्षा से जुड़े हर पहलू को बखूबी उठाया है।फ़तेहपुर जैसी छोटी जगह पर रहने के बावजूद दुनिया भर की प्राथमिक शिक्षा और बच्चों से जुड़ी हर कोशिश,हर खबर ,हर शोध पर इनकी नजर रहती है।
7-बाल कल्पनाओं की उड़ान-- बाल सजग
 बाल अधिकारों में एक अभिव्यक्ति की आज़ादी भी है।यानि हर बच्चा हम बड़ों से अपनी बातें कहने के लिये स्वतंत्र है।इसी आजादी से हम उन्हें दूर रखते हैं।खासकर उन बच्चों को जिनका पूरा दिन दाल रोटी के जुगाड़ में बीतता है।बाल सजग ऐसे ही बच्चों के सपनों को साकार करने की एक कोशिश है।इसमें बच्चे ही सम्पादक,लेखक,चित्रकार सब कुछ हैं।और ये वो बच्चे हैं जो अपने माता पिता के साथ ईंट भट्ठे पर सारा दिन काम करते हैं।लेकिन इन बच्चों की कल्पनाओं,सपनों की ऊंची उड़ान हम इनकी रचनात्मकता में देख सकते हैं।इन बच्चों की कल्पनाओं में पंख लगाने का पूरा श्रेय महेश कुमार और सिरीश को है।काश कि महेश और सिरीश जैसी लगन हर भारतीय में पैदा हो जाय।
                                                 इन सभी ब्लाग्स पहुंचने का रास्ता नीचे लिखा है। आप इन पर क्लिक
करके इन ब्लाग्स पर पहुंच सकते हैं----
1-हिन्दी ब्लाग डाइरेक्ट्री---http://www.hindiblogs.org/
2- मानसिक हलचल---http://halchal.gyandutt.com/
4- चोंच में आकाशhttp://purnimavarman.blogspot.com/
5- कस्बाhttp://naisadak.blogspot.com/
6-उड़न तश्तरीhttp://udantashtari.blogspot.com/
7प्राइमरी का मास्टरhttp://primarykamaster.blogspot.com/
8बाल सजग--http://balsajag.blogspot.com/
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हेमन्त कुमार

              

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लेबल

. ‘देख लूं तो चलूं’ "आदिज्ञान" का जुलाई-सितम्बर “देश भीतर देश”--के बहाने नार्थ ईस्ट की पड़ताल “बखेड़ापुर” के बहाने “बालवाणी” का बाल नाटक विशेषांक। “मेरे आंगन में आओ” ११मर्च २०१९ ११मार्च 1mai 2011 2019 अंक 48 घण्टों का सफ़र----- अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस अण्डमान का लड़का अनुरोध अनुवाद अभिनव पाण्डेय अभिभावक अम्मा अरुणpriya अर्पणा पाण्डेय। अशोक वाटिका प्रसंग अस्तित्व आज के संदर्भ में कल आतंक। आतंकवाद आत्मकथा आनन्द नगर” आने वाली किताब आबिद सुरती आभासी दुनिया आश्वासन इंतजार इण्टरनेट ईमान उत्तराधिकारी उनकी दुनिया उन्मेष उपन्यास उपन्यास। उम्मीद के रंग उलझन ऊँचाई ॠतु गुप्ता। एक टिपण्णी एक ठहरा दिन एक तमाशा ऐसा भी एक बच्चे की चिट्ठी सभी प्रत्याशियों के नाम एक भूख -- तीन प्रतिक्रियायें एक महत्वपूर्ण समीक्षा एक महान व्यक्तित्व। एक संवाद अपनी अम्मा से एल0ए0शेरमन एहसास ओ मां ओडिया कविता ओड़िया कविता औरत औरत की बोली कंचन पाठक। कटघरे के भीतर कटघरे के भीतर्। कठपुतलियाँ कथा साहित्य कथावाचन कर्मभूमि कला समीक्षा कविता कविता। कविताएँ कवितायेँ कहां खो गया बचपन कहां पर बिखरे सपने--।बाल श्रमिक कहानी कहानी कहना कहानी कहना भाग -५ कहानी सुनाना कहानी। काफिला नाट्य संस्थान काल चक्र काव्य काव्य संग्रह किताबें किताबों में चित्रांकन किशोर किशोर शिक्षक किश्प्र किस्सागोई कीमत कुछ अलग करने की चाहत कुछ लघु कविताएं कुपोषण कैंसर-दर-कैंसर कैमरे. कैसे कैसे बढ़ता बच्चा कौशल पाण्डेय कौशल पाण्डेय. कौशल पाण्डेय। क्षणिकाएं क्षणिकाएँ खतरा खेत आज उदास है खोजें और जानें गजल ग़ज़ल गर्मी गाँव गीत गीतांजलि गिरवाल गीतांजलि गिरवाल की कविताएं गीताश्री गुलमोहर गौरैया गौरैया दिवस घर में बनाएं माहौल कुछ पढ़ने और पढ़ाने का घोसले की ओर चिक्कामुनियप्पा चिडिया चिड़िया चित्रकार चुनाव चुनाव और बच्चे। चौपाल छिपकली छोटे बच्चे ---जिम्मेदारियां बड़ी बड़ी जज्बा जज्बा। जन्मदिन जन्मदिवस जयश्री राय। जयश्री रॉय। जागो लड़कियों जाडा जात। जाने क्यों ? जेठ की दुपहरी टिक्कू का फैसला टोपी ठहराव ठेंगे से डा० शिवभूषण त्रिपाठी डा0 हेमन्त कुमार डा०दिविक रमेश डा0दिविक रमेश। डा0रघुवंश डा०रूप चन्द्र शास्त्री डा0सुरेन्द्र विक्रम के बहाने डा0हेमन्त कुमार डा0हेमन्त कुमार। डा0हेमन्त कुमार्। डॉ.ममता धवन डोमनिक लापियर तकनीकी विकास और बच्चे। तपस्या तलाश एक द्रोण की तितलियां तीसरी ताली तुम आए तो थियेटर दरख्त दरवाजा दशरथ प्रकरण दस्तक दिशा ग्रोवर दुनिया का मेला दुनियादार दूरदर्शी देश दोहे द्वीप लहरी नई किताब नदी किनारे नया अंक नया तमाशा नयी कहानी नववर्ष नवोदित रचनाकार। नागफ़नियों के बीच नारी अधिकार नारी विमर्श निकट नियति निवेदिता मिश्र झा निषाद प्रकरण। नेता जी नेता जी के नाम एक बच्चे का पत्र(भाग-2) नेहा शेफाली नेहा शेफ़ाली। पढ़ना पतवार पत्रकारिता-प्रदीप प्रताप पत्रिका पत्रिका समीक्षा परम्परा परिवार पर्यावरण पहली बारिश में पहले कभी पहले खुद करें–फ़िर कहें बच्चों से पहाड़ पाठ्यक्रम में रंगमंच पार रूप के पिघला हुआ विद्रोह पिता पिता हो गये मां पिताजी. पितृ दिवस पुण्य तिथि पुण्यतिथि पुनर्पाठ पुरस्कार पुस्तक चर्चा पुस्तक समीक्षा पुस्तक समीक्षा। पुस्तकसमीक्षा पूनम श्रीवास्तव पेड़ पेड़ बनाम आदमी पेड़ों में आकृतियां पेण्टिंग प्यारा कुनबा प्यारी टिप्पणियां प्यारी लड़की प्यारे कुनबे की प्यारी कहानी प्रकृति प्रताप सहगल प्रतिनिधि बाल कविता -संचयन प्रथामिका शिक्षा प्रदीप सौरभ प्रदीप सौरभ। प्राथमिक शिक्षा प्राथमिक शिक्षा। प्रेम स्वरूप श्रीवास्तव प्रेम स्वरूप श्रीवास्तव। प्रेमस्वरूप श्रीवास्तव प्रेमस्वरूप श्रीवास्तव. प्रेमस्वरूप श्रीवास्तव। प्रेरक कहानी फ़ादर्स डे।बदलते चेहरे के समय आज का पिता। फिल्म फिल्म ‘दंगल’ के गीत : भाव और अनुभूति फ़ेसबुक बंधु कुशावर्ती बखेड़ापुर बचपन बचपन के दिन बच्चे बच्चे और कला बच्चे का नाम बच्चे का स्वास्थ्य। बच्चे पढ़ें-मम्मी पापा को भी पढ़ाएं बच्चे। बच्चों का विकास और बड़ों की जिम्मेदारियां बच्चों का आहार बच्चों का विकास बच्चों को गुदगुदाने वाले नाटक बदलाव बया बहनें बाघू के किस्से बाजू वाले प्लाट पर बादल बारिश बारिश का मतलब बारिश। बाल अधिकार बाल अपराधी बाल दिवस बाल नाटक बाल पत्रिका बाल मजदूरी बाल मन बाल रंगमंच बाल विकास बाल साहित्य बाल साहित्य प्रेमियों के लिये बेहतरीन पुस्तक बाल साहित्य समीक्षा। बाल साहित्यकार बालवाटिका बालवाणी बालश्रम बालिका दिवस बालिका दिवस-24 सितम्बर। बीसवीं सदी का जीता-जागता मेघदूत बूढ़ी नानी बेंगाली गर्ल्स डोण्ट बेटियां बैग में क्या है ब्लाइंड स्ट्रीट ब्लाग चर्चा भजन भजन-(7) भजन-(8) भजन(4) भजन(5) भजनः (2) भद्र पुरुष भयाक्रांत भारतीय रेल मंथन मजदूर दिवस्। मदर्स डे मनीषियों से संवाद--एक अनवरत सिलसिला कौशल पाण्डेय मनोविज्ञान महुअरिया की गंध मां माँ मां का दूध मां का दूध अमृत समान माझी माझी गीत मातृ दिवस मानस मानस रंजन महापात्र की कविताएँ मानस रंजन महापात्र की कवितायेँ मानसी। मानोशी मासूम पेंडुकी मासूम लड़की मुंशी जी मुद्दा मुन्नी मोबाइल मूल्यांकन मेरा नाम है मेराज आलम मेरी अम्मा। मेरी कविता मेरी रचनाएँ मेरे मन में मोइन और राक्षस मोनिका अग्रवाल मौत के चंगुल में मौत। मौसम यात्रा यादें झीनी झीनी रे युवा रंगबाजी करते राजीव जी रस्म मे दफन इंसानियत राजीव मिश्र राजेश्वर मधुकर राजेश्वर मधुकर। राधू मिश्र रामकली रामकिशोर रिपोर्ट रिमझिम पड़ी फ़ुहार रूचि लगन लघुकथा लघुकथा। लड़कियां लड़कियां। लड़की लालटेन चौका। लिट्रेसी हाउस लू लू की सनक लेख लेख। लेखसमय की आवश्यकता लोक चेतना और टूटते सपनों की कवितायें लोक संस्कृति लोकार्पण लौटना वनभोज वनवास या़त्रा प्रकरण वरदान वर्कशाप वर्ष २००९ वह दालमोट की चोरी और बेंत की पिटाई वह सांवली लड़की वाल्मीकि आश्रम प्रकरण विकास विचार विमर्श। विश्व पुतुल दिवस विश्व फोटोग्राफी दिवस विश्व फोटोग्राफी दिवस. विश्व रंगमंच दिवस व्यंग्य व्यक्तित्व व्यन्ग्य शक्ति बाण प्रकरण शब्दों की शरारत शाम शायद चाँद से मिली है शिक्षक शिक्षक दिवस शिक्षक। शिक्षा शिक्षालय शैलजा पाठक। शैलेन्द्र श्र प्रेमस्वरूप श्रीवास्तव स्मृति साहित्य प्रतियोगिता श्रीमती सरोजनी देवी संजा पर्व–मालवा संस्कृति का अनोखा त्योहार संदेश संध्या आर्या। संवाद जारी है संसद संस्मरण संस्मरण। सड़क दुर्घटनाएं सन्ध्या आर्य सन्नाटा सपने दर सपने सफ़लता का रहस्य सबरी प्रसंग सभ्यता समय समर कैम्प समाज समीक्षा। समीर लाल। सर्दियाँ सांता क्लाज़ साक्षरता निकेतन साधना। सामायिक सारी रात साहित्य अमृत सीता का त्याग.राजेश्वर मधुकर। सुनीता कोमल सुरक्षा सूनापन सूरज सी हैं तेज बेटियां सोन मछरिया गहरा पानी सोशल साइट्स स्तनपान स्त्री विमर्श। स्मरण स्मृति स्वतन्त्रता। हंस रे निर्मोही हक़ हादसा। हाशिये पर हिन्दी का बाल साहित्य हिंदी कविता हिंदी बाल साहित्य हिन्दी ब्लाग हिन्दी ब्लाग के स्तंभ हिम्मत हिरिया होलीनामा हौसला accidents. 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